
उत्तराखंड की विकास यात्रा को नई गति देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को राज्य कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में कुल 11 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिनमें राज्य की पहली योग नीति, गोल्डन कार्ड पर कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए कैशलेस इलाज की नई व्यवस्था, उत्तराखंड सेवा क्षेत्र नीति 2024 और मेगा इंडस्ट्रियल नीति जैसे अहम फैसले शामिल हैं।
सरकार के इस व्यापक दृष्टिकोण से स्पष्ट है कि राज्य सरकार स्वास्थ्य, रोजगार, औद्योगिक विकास और पारदर्शी प्रशासन जैसे क्षेत्रों में ठोस बदलाव लाने को प्रतिबद्ध है।
उत्तराखंड को मिली पहली योग नीति
राज्य में योग और प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तराखंड की पहली योग नीति को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई। यह नीति वर्षों से लंबित थी, लेकिन अब इसे क्रियान्वयन के लिए हरी झंडी दे दी गई है।
मुख्य बिंदु:
- पांच नए योग हब स्थापित किए जाएंगे, जिनमें एक पहाड़ी क्षेत्रों में और चार मैदानी क्षेत्रों में प्रस्तावित हैं।
- पहाड़ी क्षेत्रों में 50% तक और मैदानी क्षेत्रों में 25% तक सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है।
- योग को पाठ्यक्रम और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में शामिल किया जाएगा।
- योग शिक्षकों को प्रतिपूर्ति के रूप में ₹250 प्रति सत्र दिए जाएंगे।
- ध्यान गुफाएं, विपासना केंद्र और योग रिट्रीट के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
- योग केंद्रों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा।
इस नीति से न केवल योग को संस्थागत रूप मिलेगा, बल्कि यह उत्तराखंड को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय योग पर्यटन के नक्शे पर प्रमुख रूप से स्थापित करने की दिशा में अहम कदम होगा।
गोल्डन कार्ड पर कैशलेस इलाज की नई व्यवस्था
कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों के लिए संचालित गोल्डन कार्ड योजना में बदलाव करते हुए अब नई कैशलेस इलाज प्रणाली लागू की जाएगी।
मुख्य निर्णय:
- सरकार ने ₹75 करोड़ का ऋण देने का प्रस्ताव पारित किया है ताकि अस्पतालों को समय पर भुगतान सुनिश्चित हो सके।
- इलाज की लागत मौजूदा अंशदान से दोगुनी हो चुकी है, इसलिए गैप फंडिंग की व्यवस्था लागू की जा रही है।
- इसके अंतर्गत अस्पतालों को बेहतर भुगतान सुविधा और लाभार्थियों को बिना रुकावट इलाज की गारंटी दी जाएगी।
- इसके अलावा सरकार इस प्रणाली के लिए एक नई नीति लाने पर विचार कर रही है, जिसके लिए सभी हितधारकों से परामर्श किया जाएगा।
सेवा क्षेत्र नीति 2024 को मंजूरी
उत्तराखंड सेवा क्षेत्र नीति 2024 को कैबिनेट से स्वीकृति मिली, जो राज्य में आईटी, बीपीओ, टूरिज्म, हेल्थकेयर और एजुकेशन जैसे सेक्टरों में निवेश को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
प्रमुख बातें:
- जहां पहले से सेवा क्षेत्र आधारित संस्थान हैं, वहां सब्सिडी नहीं मिलेगी।
- जिन क्षेत्रों में सेवा सेक्टर की मौजूदगी नहीं है, वहां आकर्षक प्रोत्साहन और सब्सिडी दी जाएगी।
- यह नीति रोजगार और कौशल विकास को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।
मेगा इंडस्ट्रियल नीति को स्वीकृति
औद्योगिक निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए “उत्तराखंड मेगा इंडस्ट्रियल नीति” को भी मंजूरी दी गई। नीति के अंतर्गत निवेशकों को उनके निवेश और रोजगार क्षमता के आधार पर श्रेणियों में बाँटा गया है।
श्रेणियों का विवरण:
- लार्ज कैटेगरी (₹50–200 करोड़) – न्यूनतम 50 स्थायी रोजगार, 10% सब्सिडी।
- अल्ट्रा लार्ज (₹200–500 करोड़) – न्यूनतम 150 स्थायी रोजगार, 15% सब्सिडी।
- मेगा (₹500–1000 करोड़) – 300 स्थायी रोजगार जरूरी।
- अल्ट्रा मेगा (₹1000 करोड़ से अधिक) – 500+ स्थायी रोजगार के साथ अतिरिक्त प्रोत्साहन।
सरकारी खरीद नियमों में बड़ा बदलाव
उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली 2017 में संशोधन को भी कैबिनेट ने मंजूरी दी।
प्रमुख परिवर्तन:
- स्थानीय ठेकेदारों के लिए सीमा ₹5 करोड़ से बढ़ाकर ₹10 करोड़ कर दी गई।
- ई और डी श्रेणी के पंजीकृत ठेकेदारों की पात्रता सीमा में वृद्धि।
- स्वयं सहायता समूहों को ₹5 लाख तक के कार्य दिए जा सकेंगे।
- MSME को प्राथमिकता देने के प्रावधान किए गए हैं — लोवेस्ट टेंडर से 10% अधिक दर पर भी काम दिया जा सकता है।
- प्रोक्योरमेंट में नॉन-कंसल्टेंसी कार्यों की स्वीकृति भी अब ऑनलाइन प्रक्रिया से होगी।
- ई-टेंडर की सिक्योरिटी राशि ऑनलाइन जमा करने की व्यवस्था की जाएगी।
- आईएफएमएस पोर्टल पर शिकायत निवारण प्रणाली (Grievance Redressal) भी स्थापित की जाएगी।
अन्य महत्वपूर्ण निर्णय
- राज्य बाल सुरक्षा संगठन की रिपोर्ट को सदन में रखने की स्वीकृति।
- उत्तराखंड विष कब्जा एवं विक्रय नियमावली में मिथाइल एल्कोहल को शामिल किया गया।
- राजकीय विभाग अधीनस्थ लेखा संवर्ग नियमावली में पूर्व की व्यवस्था को बरकरार रखा गया।
- उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के ढांचे में 11 पदों का सृजन।
- देहरादून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेजों में तीमारदारों के लिए रिहायशी सुविधा — एम्स ऋषिकेश मॉडल पर, बेहद कम दरों पर भोजन और रहने की व्यवस्था के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाएगी।