
जीएसटी काउंसिल ने एक बड़ा फैसला लेते हुए उन उत्पादों पर 40 प्रतिशत तक का टैक्स लगाने का निर्णय लिया है, जो ‘सिन गुड्स’ यानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक या अनावश्यक विलासिता से जुड़े माने जाते हैं। इनमें सिगरेट, गुटखा, तंबाकू, शुगर युक्त एनर्जी व कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, और बड़ी इंजन क्षमता वाली लग्ज़री गाड़ियां शामिल हैं।यह टैक्स स्लैब, मौजूदा 28 प्रतिशत के मुकाबले कहीं ज्यादा है और इसका उद्देश्य लोगों को इन उत्पादों की खपत से रोकना, साथ ही सरकार की आमदनी बढ़ाना है।
क्या हैं ‘सिन गुड्स’ और क्यों लगाया गया 40% टैक्स?
‘सिन गुड्स’ वह उत्पाद होते हैं जिनका अत्यधिक सेवन सार्वजनिक स्वास्थ्य या सामाजिक ढांचे को नुकसान पहुंचा सकता है। इनमें तंबाकू उत्पाद, अत्यधिक शुगर वाले ड्रिंक्स और लग्ज़री आयटम शामिल होते हैं।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद जानकारी देते हुए कहा, “हमारा उद्देश्य न केवल राजस्व बढ़ाना है, बल्कि लोगों को हानिकारक उत्पादों के उपयोग से रोकना भी है। सिन गुड्स पर ऊंचा टैक्स लगाकर हम यह संदेश देना चाहते हैं कि सरकार इन पर सख्त नजर रखे हुए है।”
किन उत्पादों पर लगेगा 40% जीएसटी?
इस नए टैक्स स्लैब के अंतर्गत निम्नलिखित आइटम्स पर अब 40% जीएसटी लागू होगा:
तंबाकू उत्पाद:
- सिगरेट
- गुटखा
- पान मसाला
- चबाने वाला तंबाकू (जैसे जर्दा)
- बीड़ी
- सिगार, चुरूट, सिगारिलो
- सुगंधित तंबाकू
- अनमैन्युफैक्चर्ड तंबाकू
कैफीन और शुगर युक्त पेय पदार्थ:
- कोल्ड ड्रिंक्स
- फ्लेवर्ड और मीठे एनर्जी ड्रिंक्स
- कार्बोनेटेड ड्रिंक्स
लग्ज़री वाहन और अन्य महंगे आइटम्स:
- 1,200 सीसी से बड़ी पेट्रोल कारें
- 1,500 सीसी से बड़ी डीज़ल कारें
- 350 सीसी से अधिक की मोटरसाइकिलें
- रेसिंग कारें
- ऑनलाइन जुआ और गेमिंग प्लेटफॉर्म
शराब को क्यों रखा गया जीएसटी से बाहर?
अल्कोहलिक बेवरेज यानी शराब को इस टैक्स स्लैब में शामिल नहीं किया गया है। इसका कारण है कि शराब अब भी राज्यों के अधिकार क्षेत्र में है। केंद्र सरकार ने शराब को शुरू से ही जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है, ताकि राज्य सरकारें इस पर स्वतंत्र रूप से कर लगा सकें। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि राज्यों की राजस्व निर्भरता को देखते हुए, फिलहाल शराब पर जीएसटी लागू करने की कोई योजना नहीं है।
रोजमर्रा के सामानों पर राहत: दूध, पनीर और रोटी पर नहीं लगेगा टैक्स
जहां एक ओर ‘सिन गुड्स’ पर कर बढ़ाया गया है, वहीं आम जनता को राहत देने के लिए रोजमर्रा के खाद्य उत्पादों पर से जीएसटी पूरी तरह हटा दी गई है। अब इन वस्तुओं पर कोई टैक्स नहीं देना होगा
- दूध
- पनीर
- छेना
- रोटी
- पराठा
- कुछ आवश्यक दवाइयां
वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा कि गरीब और मध्यम वर्ग की जेब पर बोझ नहीं बढ़ने दिया जाएगा। यही वजह है कि रोजमर्रा की जरूरत की चीज़ों को टैक्स से बाहर रखा गया है।
कब से लागू होगा नया टैक्स स्ट्रक्चर?
जीएसटी काउंसिल द्वारा घोषित यह संशोधित टैक्स स्लैब 22 सितंबर 2025 से पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने राज्यों को इसकी तैयारी के लिए लगभग तीन सप्ताह का समय दिया है, ताकि व्यापारियों और उद्योग जगत को भी समायोजन का समय मिल सके।
स्वास्थ्य और सामाजिक संगठनों ने किया स्वागत
स्वास्थ्य और सामाजिक संगठनों ने इस कदम का खुले दिल से स्वागत किया है। उनका कहना है कि सरकार का यह कदम युवाओं को नशे और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली से दूर करने में मदद करेगा।राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह फैसला पब्लिक हेल्थ की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब कोल्ड ड्रिंक और तंबाकू उत्पादों की खपत में निश्चित रूप से गिरावट आएगी।”