
गृह मंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ के बस्तर दौरे के बीच तेलंगाना के भद्रादी कोठागुडेम जिले में शनिवार को 86 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। यह घटना तब हुई जब प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के 86 सदस्य, जिनमें 20 महिलाएं भी शामिल हैं, हेमचंद्रपुरम पुलिस मुख्यालय पहुंचे और पुलिस के सामने अपनी बंदूकें डाल दीं। इनमें से चार सदस्य ऐसे थे, जो एरिया कमेटी (एसीएम) के सदस्य थे, और इन पर चार-चार लाख रुपये का इनाम था।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का उद्देश्य शांति की ओर बढ़ना
इन नक्सलियों ने नक्सलवाद के हिंसक रास्ते को छोड़कर अब शांति से एक सामान्य जीवन जीने की इच्छा जताई। उनका यह कदम उनके परिवारों और आदिवासी समुदायों के लिए बेहतर भविष्य की ओर बढ़ने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। ये आत्मसमर्पण नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन ‘चेयुथा’ का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य माओवादियों को मुख्यधारा में लाकर उनका शोषण करना और समाज में शांति स्थापित करना है।
पुलिस ने बताया कि इस आत्मसमर्पण समारोह में मल्टी जोन-1 के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) एस चंद्रशेखर रेड्डी ने मौजूद होकर नक्सलियों से मिलकर उनकी पुनर्वास प्रक्रिया की शुरुआत की। उन्होंने उन सभी नक्सलियों को तत्काल 25,000 रुपये की मदद भी दी, ताकि वे अपनी नयी जीवनशैली में एक शुरुआत कर सकें।
आदिवासी समुदाय के लिए विकास कार्यों ने नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया
भद्रादी कोठागुडेम जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) बी रोहित राजू ने बताया कि चार एरिया कमेटी सदस्यों पर चार-चार लाख रुपये का इनाम था। ये चार सदस्य नक्सल संगठन के शीर्ष नेतृत्व में शामिल थे। पुलिस ने बताया कि इन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण करने का फैसला तब लिया, जब उन्होंने आदिवासी समुदायों के लिए चलाए जा रहे विकास कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल की। उनके अनुसार, इन योजनाओं के बारे में जानने के बाद उन्होंने महसूस किया कि हिंसा और नक्सलवाद के रास्ते पर चलने से आदिवासी समुदाय का कोई भला नहीं हो सकता, और यही कारण था कि उन्होंने मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया।
224 नक्सलियों का इस वर्ष आत्मसमर्पण
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इस साल अब तक विभिन्न नक्सली संगठनों के कुल 224 सदस्य आत्मसमर्पण कर चुके हैं। इस प्रकार के आत्मसमर्पण से यह संकेत मिलता है कि नक्सलवाद के समर्थन में गिरावट आई है और अब माओवादी संगठनों को आदिवासी समुदाय से उतना समर्थन नहीं मिल रहा है जितना पहले था। पुलिस ने बताया कि प्रतिबंधित सीपीआई(एम) अब अपनी पुरानी विचारधारा को बढ़ावा देने के बजाय मुख्यधारा में शामिल होने के लिए नए रास्ते तलाशने पर मजबूर हो गया है।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का कहना है कि वे अब शांति से जीवन जीना चाहते हैं और अपनी गलतियों को सुधारने का अवसर पाना चाहते हैं। आदिवासी क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों में हुए विकास कार्यों, जैसे सड़क, स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा, और पानी की उपलब्धता, ने इन नक्सलियों को यह एहसास दिलाया कि सरकार उनके लिए बेहतर जीवनशैली सुनिश्चित करने के लिए गंभीर है।
तेलंगाना पुलिस की अपील: नक्सलियों से आत्मसमर्पण की अपील
तेलंगाना पुलिस ने माओवादियों से अपील की है कि जो भी व्यक्ति नक्सलवाद से बाहर आना चाहता है, वह अपने निकटतम पुलिस थाने या जिला अधिकारियों से संपर्क कर आत्मसमर्पण कर सकता है। पुलिस ने यह भी कहा है कि आत्मसमर्पण करने वालों को न केवल सुरक्षा प्रदान की जाएगी, बल्कि उनके पुनर्वास के लिए भी सहायता दी जाएगी।
तेलंगाना पुलिस का यह प्रयास नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की दृढ़ नीति और आदिवासी इलाकों में विकास की ओर एक सकारात्मक कदम है। पुलिस का कहना है कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज में पुनः स्थापित करने के लिए हर संभव मदद दी जाएगी, ताकि वे मुख्यधारा में शामिल हो सकें और एक शांतिपूर्ण जीवन जी सकें।