
पहल्गाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार पूरी तरह सतर्क हो गई है। इसी कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को देश के सभी मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिया कि उनके राज्य में वीजा पर रह रहे पाकिस्तान मूल के नागरिकों की तत्काल पहचान कर उन्हें भारत से वापस भेजा जाए।
गृह मंत्री के इस सख्त निर्देश के बाद कई राज्यों ने त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है। पंजाब और हरियाणा जैसे सीमावर्ती राज्यों में जहां पहले से ही सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर थीं, अब इन राज्यों में पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान और उनकी वापसी की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जा रही है।
पंजाब में 86 पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान, वापसी शुरू
पंजाब सरकार ने अमित शाह के आदेश का पालन करते हुए राज्य में कार्रवाई तेज कर दी है। राज्य के लॉ एंड ऑर्डर के स्पेशल डीजीपी अर्पित शुक्ला ने सभी जिला पुलिस प्रमुखों—कमिश्नर, एसएसपी और एसएचओ को निर्देश जारी किए हैं कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान कर उन्हें शीघ्र उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू करें।
सूत्रों के अनुसार, फिलहाल पंजाब में 86 पाकिस्तानी नागरिक ऐसे हैं जो वीजा पर राज्य में रह रहे हैं। इनमें से कुछ की वापसी पहले ही हो चुकी है, जबकि शेष की प्रक्रिया जारी है। शुक्रवार को अटारी बॉर्डर से 191 पाकिस्तानी नागरिकों की वापसी दर्ज की गई, जबकि कुल 287 नागरिक भारत छोड़कर पाकिस्तान लौटे।
पंजाब सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से वैधानिक दायरे में की जा रही है और इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।
हरियाणा में भी अलर्ट, पाक नागरिकों को 27 अप्रैल तक राज्य छोड़ने का आदेश
हरियाणा सरकार ने भी केंद्र के निर्देशों को गंभीरता से लेते हुए तुरंत एक्शन मोड में कदम बढ़ा दिए हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शुक्रवार शाम को राज्य के वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक के दौरान उन्होंने राज्य में रह रहे पाकिस्तान मूल के नागरिकों की सूची तैयार कर उन्हें नियत समयसीमा में वापस भेजने के निर्देश दिए।
गृह मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, पाकिस्तान नागरिकों को 27 अप्रैल तक हरियाणा छोड़ना होगा। हालांकि, चिकित्सा वीजा धारकों के लिए यह समय सीमा 29 अप्रैल तय की गई है। यह निर्देश लंबी अवधि के वीजा, राजनयिक वीजा या आधिकारिक वीजा रखने वालों पर लागू नहीं होंगे।
हरियाणा में 450 पाकिस्तानी नागरिक, अधिकांश हिंदू परिवार
प्रारंभिक रिपोर्टों के मुताबिक, हरियाणा में इस समय लगभग 450 पाकिस्तानी नागरिक मौजूद हैं। इनमें करीब 85 फीसदी लोग हिंदू समुदाय से संबंध रखते हैं, जो पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के चलते भारत आए हैं।
इनमें से डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों को पहले ही नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत भारतीय नागरिकता प्रदान की जा चुकी है। हालांकि, केंद्र सरकार से प्राप्त रिपोर्ट के बाद ही राज्य में पाकिस्तानी नागरिकों की वास्तविक संख्या की पुष्टि हो सकेगी।
कश्मीरी छात्रों को सुरक्षा का भरोसा
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में यह भी निर्देश दिए कि राज्य में मौजूद कश्मीरी छात्रों को सुरक्षा और भरोसे का वातावरण उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने बताया कि फिलहाल हरियाणा के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में करीब 1,157 कश्मीरी छात्र अध्ययनरत हैं।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इन छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और किसी भी प्रकार की अफवाह या शांति भंग करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकता में
गृह मंत्रालय का यह कदम स्पष्ट रूप से इस बात का संकेत है कि केंद्र सरकार अब पाकिस्तान से जुड़े नागरिकों की उपस्थिति को लेकर अधिक सतर्क है, खासकर ऐसे समय में जब सीमाओं पर आतंकवादी गतिविधियों में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, वीजा पर आए कुछ पाक नागरिकों के देश में लंबे समय तक रुकने और गलत उद्देश्यों के लिए उनके संपर्कों का इस्तेमाल होने की आशंका को देखते हुए यह फैसला समयानुकूल और रणनीतिक है।
अटारी बॉर्डर पर बढ़ी गतिविधियां
भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित अटारी बॉर्डर पर बीते 24 घंटों में वापसी करने वाले पाकिस्तानी नागरिकों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी देखी गई है। शुक्रवार को 191 नागरिकों की वापसी दर्ज की गई, जबकि कुल संख्या 287 तक पहुंच गई।
सीमा पर इमिग्रेशन और सुरक्षा एजेंसियों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी अवांछनीय व्यक्ति देश में न रुके।
नागरिकता संशोधन अधिनियम का संदर्भ
गृह मंत्रालय द्वारा जारी इस आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के अंतर्गत नागरिकता प्राप्त कर चुके लोगों पर यह निर्देश लागू नहीं होता। यह अधिनियम विशेष रूप से धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यकों के लिए बनाया गया था, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं।