
बाबा केदार की पावन धरती पर एक बार फिर श्रद्धा का सागर उमड़ पड़ा है। चारधाम यात्रा के तहत केदारनाथ धाम में सिर्फ चार दिनों में एक लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर चुके हैं। सोमवार को यात्रा के चौथे दिन दर्शन करने वालों की संख्या 26,180 रही, जिससे कुल आंकड़ा 1,05,879 तक पहुंच गया। यह आंकड़ा न केवल श्रद्धालुओं के गहरे विश्वास को दर्शाता है, बल्कि उत्तराखंड सरकार के बेहतर यात्रा प्रबंधन की भी पुष्टि करता है।
चारधाम यात्रा का शुभारंभ इस वर्ष 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ हुआ था। इसके बाद 2 मई को केदारनाथ धाम और 4 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए। यात्रा की शुरुआत से ही तीर्थयात्रियों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है।
जहां केदारनाथ यात्रा को हिमालय की कठिन और दुर्गम यात्रा माना जाता है, वहीं श्रद्धालुओं की भीड़ ने एक बार फिर साबित किया है कि आस्था हर बाधा को पार कर सकती है।
केदारनाथ धाम समुद्रतल से करीब 11,755 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां की यात्रा लगभग 18 किलोमीटर लंबी पैदल चढ़ाई से होकर पूरी होती है, जो गौरीकुंड से शुरू होती है। इसके बावजूद हर उम्र के श्रद्धालु पूरी निष्ठा और उमंग के साथ बाबा केदार के दर्शन के लिए यहां पहुंच रहे हैं।
यात्रा के दौरान बुजुर्गों, दिव्यांगों और महिलाओं के लिए भी सरकार द्वारा विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। हेलीकॉप्टर सेवा, घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी, और इलेक्ट्रिक वाहन जैसे विकल्पों से भी यात्रियों की सुविधा का विशेष ध्यान रखा गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यात्रा की तैयारी को लेकर खुद लगातार निगरानी की है। उन्होंने कहा, “बाबा केदार के आशीर्वाद और प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में इस बार की चारधाम यात्रा ऐतिहासिक और प्रेरणादायक बन रही है। हमनें सुरक्षित, सुगम और सुविधाजनक यात्रा सुनिश्चित करने के लिए सभी इंतजाम किए हैं।”
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि पैदल मार्गों पर साफ-सफाई, पीने का पानी, शौचालय, स्वास्थ्य सेवाएं और विश्राम स्थल जैसी मूलभूत सुविधाएं पहले से कहीं बेहतर बनाई गई हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष रुचि और विजन के चलते केदारनाथ धाम का पुनर्विकास किया गया है। वर्ष 2013 की विनाशकारी आपदा के बाद जिस तरह से केदारनाथ को फिर से खड़ा किया गया, वह देश के लिए प्रेरणा बन चुका है।
आधुनिक वास्तुकला और परंपरा का अद्भुत संगम अब केदारनाथ में दिखाई देता है। मंदिर प्रांगण का विस्तार, नया घाट, पैदल मार्गों का चौड़ीकरण, पर्यावरण अनुकूल निर्माण और संचार सेवाओं का सुदृढ़ीकरण जैसे कार्य प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे हैं। इस बार की यात्रा में यात्रियों की भारी संख्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ई-पंजीकरण अनिवार्य किया है ताकि भीड़ नियंत्रण और आपातकालीन सहायता में कोई कठिनाई न हो। रुद्रप्रयाग, गौरीकुंड और सोनप्रयाग जैसे बेस कैंपों पर चिकित्सा दल, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात हैं।
राज्य सरकार ने यात्रा मार्ग पर CCTV कैमरे, PA सिस्टम, LED सूचना बोर्ड और कंट्रोल रूम की व्यवस्था कर रखी है, जिससे किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंचाई जा सके।
श्रद्धालुओं ने यात्रा की व्यवस्थाओं की सराहना की है। वाराणसी से आए एक तीर्थयात्री रमेश त्रिपाठी ने कहा,
“मैं पहली बार बाबा केदार के दर्शन को आया हूं। यहां की व्यवस्था देखकर मन खुश हो गया। स्वास्थ्य चेकअप, साफ-सफाई और सुरक्षाकर्मी हर कदम पर मदद कर रहे हैं।”
वहीं दिल्ली की सुमन रावत, जो अपने परिवार के साथ आई थीं, ने कहा,
“पहाड़ की कठिन यात्रा के बावजूद हमने महसूस किया कि सरकार ने हर सुविधा का ध्यान रखा है। बाबा केदार के दर्शन ने जीवन को सार्थक कर दिया।”