
उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित बदरीनाथ धाम में इस वर्ष चारधाम यात्रा की शुरुआत के साथ ही आस्था का अभूतपूर्व सैलाब उमड़ पड़ा है। महज चार दिनों में ही 66,498 श्रद्धालु भगवान बदरीविशाल के दर्शन कर चुके हैं। हर दिन औसतन 10,000 से अधिक श्रद्धालु धाम की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे क्षेत्र में जबरदस्त धार्मिक उत्साह और व्यावसायिक गतिविधियों की रौनक लौट आई है।
बुधवार को अकेले 16,804 श्रद्धालु भगवान बदरीनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे। सुबह से ही मंदिर परिसर के बाहर लंबी कतारें लग गई थीं और शाम तक श्रद्धालुओं की आवाजाही बदस्तूर जारी रही। प्रशासन और तीर्थ पुरोहितों के अनुसार, श्रद्धालुओं की यह संख्या अभी यात्रा के शुरुआती चरण में ही है और यदि यही रफ्तार बनी रही, तो जल्द ही यह आंकड़ा 1 लाख को पार कर जाएगा।
बदरीनाथ धाम: आध्यात्मिकता और प्रकृति का संगम
समुद्र तल से लगभग 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बदरीनाथ धाम को हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। यह चारधाम यात्रा का एक प्रमुख केंद्र है और भगवान विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप को समर्पित है। हर साल अक्षय तृतीया के बाद धाम के कपाट खुलते हैं और लाखों श्रद्धालु इस पवित्र स्थल की यात्रा पर निकलते हैं।
इस बार भी जैसे ही बदरीनाथ के कपाट 5 मई को खोले गए, पहले दिन से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, कोरोना काल के बाद यह अब तक का सबसे मजबूत शुरुआत वाला यात्रा सीजन है।
मौसम ने डाली परीक्षा, फिर भी नहीं डिगा श्रद्धा का भाव
बुधवार को दोपहर बाद अचानक तेज बारिश शुरू हो गई जिससे धाम में तापमान में गिरावट आ गई और ठंडक में इज़ाफा हो गया। बर्फीली हवाओं के बीच भी श्रद्धालु डटे रहे और कतार में खड़े होकर दर्शन का इंतजार करते रहे।
मंदिर के मुख्य पुजारी ने कहा, “यह श्रद्धा की ताकत है कि बारिश और ठंड भी लोगों के उत्साह को नहीं रोक सकी। श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ दर्शन करने पहुंच रहे हैं और भगवान बदरीविशाल की कृपा उन पर बनी हुई है।”
कारोबारियों में भी लौटी रौनक
श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या से बदरीनाथ धाम और उसके आसपास के क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों में तेजी आई है। होटल, धर्मशालाएं, ढाबे, रेस्टोरेंट, पूजा सामग्री बेचने वाले दुकानदार और स्थानीय वाहन चालक सभी इस यात्रा सीजन से काफी आशान्वित और उत्साहित हैं।
बदरीनाथ बाजार के एक होटल व्यवसायी ने बताया, “पिछले दो वर्षों में कोरोना के कारण व्यापार पूरी तरह ठप हो गया था। इस बार यात्रा की शुरुआत से ही हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। यदि ऐसे ही श्रद्धालु आते रहे तो इस सीजन में अच्छी कमाई की उम्मीद है।”
प्रशासन ने कसी कमर, सुविधाओं की निगरानी जारी
भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने यात्रा मार्ग और बदरीनाथ धाम में व्यवस्थाओं को मजबूत किया है। सुरक्षा बलों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाएं, जल व्यवस्था और सफाई के इंतजामों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
चमोली जिले के डीएम हिमांशु खुराना ने बताया कि “श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे कंट्रोल रूम काम कर रहा है। हमने मेडिकल कैंप, वाटर स्टेशन, मोबाइल शौचालय और विश्राम स्थलों की संख्या बढ़ा दी है।”
इसके अलावा, भीड़ नियंत्रण के लिए डिजिटल क्यू सिस्टम, CCTV निगरानी और वालंटियर स्कीम भी लागू की गई है ताकि किसी भी तरह की अफरा-तफरी से बचा जा सके।
तीर्थयात्रियों से अपील: पर्यावरण का रखें ध्यान
प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे बदरीनाथ धाम की प्राकृतिक और धार्मिक पवित्रता बनाए रखें। कूड़ा न फैलाएं, प्लास्टिक का उपयोग न करें और यात्रा के दौरान सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन्स का पालन करें।
एक स्थानीय स्वयंसेवी संस्था के कार्यकर्ता ने कहा, “बदरीनाथ न केवल धार्मिक बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है। श्रद्धालु यहां स्वच्छता बनाए रखने में योगदान देंगे तो हम इस धाम की गरिमा को आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बचा पाएंगे।”
यात्रा पंजीकरण अनिवार्य, ऑनलाइन व्यवस्था सफल
उत्तराखंड सरकार ने इस वर्ष यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली को और अधिक सरल और सुलभ बना दिया है। श्रद्धालुओं को यात्रा से पहले पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण करना अनिवार्य है, जिससे प्रशासन को भीड़ प्रबंधन और संसाधन आवंटन में मदद मिल रही है। अब तक 1.5 लाख से अधिक श्रद्धालु पंजीकरण कर चुके हैं, और इस संख्या में प्रतिदिन वृद्धि हो रही है।