
उत्तराखंड की चारधाम यात्रा इस वर्ष एक नया कीर्तिमान स्थापित कर रही है। आध्यात्म और आस्था से ओतप्रोत यह यात्रा न केवल देश बल्कि विदेश से भी श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही है। 45 दिनों में अब तक 28 लाख से अधिक श्रद्धालु केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और सिखों के पवित्र तीर्थ हेमकुंड साहिब के दर्शन कर चुके हैं। श्रद्धालुओं के इस जबरदस्त उत्साह ने चारधाम यात्रा को ऐतिहासिक बना दिया है।
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि केवल केदारनाथ धाम में ही दर्शन करने वालों की संख्या 10 लाख को पार कर गई है। प्रतिदिन लगभग 70,000 से अधिक श्रद्धालु केदारनाथ पहुंच रहे हैं, जो न केवल राज्य प्रशासन बल्कि स्थानीय व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती और उपलब्धि दोनों है।
30 अप्रैल से शुरू हुई यात्रा, बारिश और बर्फबारी भी नहीं रोक पाई आस्था
चारधाम यात्रा 30 अप्रैल 2025 से विधिवत आरंभ हुई, जब चारों धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए। यात्रा के शुरुआती दिनों में मौसम ने कई बार मुश्किलें खड़ी कीं—बर्फबारी, बारिश और भूस्खलन जैसी चुनौतियां सामने आईं। लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था इतनी प्रबल रही कि खराब मौसम भी उन्हें रोके नहीं पाया।
पर्यटन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, चारों धामों—केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री—की यात्रा तेजी से आगे बढ़ रही है और हेमकुंड साहिब में भी भक्तों का तांता लगा हुआ है।
भारी भीड़ के बीच प्रशासनिक व्यवस्थाएं मजबूत
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बावजूद प्रशासन की ओर से की गई व्यवस्थाएं चारधाम यात्रा को सुचारू बनाए रखने में सफल रही हैं। यात्रा की निगरानी और संचालन के लिए प्रशासन द्वारा तकनीकी और भौतिक संसाधनों का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है।
चारधाम यात्रा के नोडल अधिकारी योगेंद्र गंगवार ने बताया कि अब तक 42 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है, जिनमें से 28 लाख से अधिक दर्शन कर चुके हैं। उन्होंने कहा: “हमारी पूरी टीम यात्रा को सुरक्षित, सुचारू और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक बनाने में लगी है। प्रतिदिन लाखों यात्रियों का आगमन हमारी तैयारियों की परीक्षा है, लेकिन हम इसे सेवा का अवसर मानते हैं।”
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से हो रहा पंजीकरण
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से उपलब्ध कराया गया है। हालांकि ऑनलाइन पंजीकरण अभी भी प्राथमिक विकल्प है, लेकिन कई लोग अब भी ऑफलाइन पंजीकरण को तरजीह दे रहे हैं।
हरिद्वार, ऋषिकेश, हरर्बटपुर और विकासनगर जैसे शहरों में ऑफलाइन पंजीकरण केंद्रों पर रोजाना 28,000 तक श्रद्धालु पंजीकरण करवा रहे हैं। यह दर्शाता है कि यात्रा के प्रति उत्साह सभी आयु और तकनीकी पृष्ठभूमि के लोगों में समान रूप से बना हुआ है।
केदारनाथ: श्रद्धा और संघर्ष का केंद्र
चारधामों में सबसे चुनौतीपूर्ण यात्रा मानी जाती है केदारनाथ की। लगभग 16 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई, ऊंचाई पर स्थित मंदिर और तेजी से बदलते मौसम के बावजूद केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या सबसे अधिक रही है। 10 लाख से अधिक भक्तों का वहां पहुंचना यह दर्शाता है कि आस्था की शक्ति किसी भी भौगोलिक या शारीरिक बाधा से कहीं अधिक है।
यात्रा मार्ग पर तैनात सुरक्षाबल, स्वास्थ्यकर्मी, स्वयंसेवक और प्रशासनिक अधिकारी दिन-रात व्यवस्था बनाए रखने में लगे हुए हैं।
बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में भी बढ़ी भीड़
बदरीनाथ धाम, जिसे भगवान विष्णु का निवास माना जाता है, में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है। यहां तक कि गंगोत्री और यमुनोत्री, जो अपेक्षाकृत दुर्गम हैं, वहां भी भक्तों की लंबी कतारें और टेंटों में रुकते हुए लोग हर जगह देखे जा सकते हैं।
गंगोत्री और यमुनोत्री धाम तक जाने वाले मार्गों पर ट्रैफिक नियंत्रण, स्वच्छता और चिकित्सा व्यवस्थाएं भी दुरुस्त की गई हैं।
हेमकुंड साहिब में भी उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
हेमकुंड साहिब, जो सिख श्रद्धालुओं के लिए एक अत्यंत पवित्र स्थल है, वहां भी इस वर्ष अब तक लाखों की संख्या में भक्त पहुंच चुके हैं। बर्फीले ट्रेक और कठिन चढ़ाई के बावजूद यहां भी श्रद्धा की मिसाल देखने को मिल रही है।
मौसम की चुनौती बनी हुई है
चारधाम यात्रा के दौरान लगातार बदलता मौसम एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। कई बार बारिश, बर्फबारी और भूस्खलन के कारण मार्ग बाधित हुए, लेकिन प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की।
मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक भी ऊपरी इलाकों में बारिश और ओलावृष्टि की संभावना बनी हुई है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं को सलाह दी है कि वे यात्रा के दौरान सावधानी बरतें और मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए ही आगे बढ़ें।
यात्रा से जुड़े आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
चारधाम यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी मानी जाती है। इस यात्रा से स्थानीय व्यापारियों, होटलों, ट्रांसपोर्ट सेवाओं, टूर गाइड्स, घोड़ा-खच्चर संचालकों और अन्य सेवाओं को बड़ा आर्थिक लाभ होता है।
पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, यात्रा से राज्य को अब तक हजारों करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष राजस्व प्राप्त हो चुका है।
सुरक्षा, स्वास्थ्य और आपात सेवाएं मुस्तैद
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए उत्तराखंड पुलिस, ITBP, SDRF और स्वास्थ्य विभाग की टीमें चौबीसों घंटे कार्यरत हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में तैनात मोबाइल हेल्थ यूनिट्स और हेलीकॉप्टर एंबुलेंस की सुविधा भी प्रदान की जा रही है।
राज्य सरकार की तरफ से यात्रा मार्गों पर फ्री मेडिकल चेकअप कैंप, जलपान केंद्र, विश्राम गृह और शौचालय जैसी सुविधाएं भी सुनिश्चित की गई हैं।