
पंजाब की राजनीति में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। इस बार केंद्र में है—भाजपा द्वारा राज्यभर में लगाए जा रहे कॉमन फैसिलिटी सेंटर के शिविर, जिन पर आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है।
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि भाजपा इन शिविरों की आड़ में नागरिकों का निजी डेटा अवैध तरीके से एकत्रित कर रही है, जिसे भविष्य में साइबर फ्रॉड और मतदाता सूची में हेरफेर जैसे गंभीर अपराधों में इस्तेमाल किया जा सकता है। दूसरी ओर, भाजपा का दावा है कि उनका उद्देश्य केवल केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करना और उन्हें आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराना है।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा का बड़ा बयान: “भाजपा को नहीं लगाने देंगे ये शिविर”
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में स्पष्ट शब्दों में कहा कि भाजपा के ये कैंप “गैरकानूनी” हैं और सरकार इन्हें किसी भी सूरत में राज्य में अनुमति नहीं देगी। “भाजपा आम जनता का निजी डेटा एकत्रित कर रही है, जिसका इस्तेमाल एआई के जरिए साइबर फ्रॉड में किया जा सकता है। इसकी गारंटी कौन लेगा? ‘डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट–2023’ ऐसे डेटा संग्रहण की अनुमति नहीं देता,”
उन्होंने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए उसे “वोट चोर पार्टी” करार दिया और आरोप लगाया कि वह विभिन्न राज्यों में चुनावी धांधली और मतदाता सूची में हेरफेर के लिए कुख्यात हो चुकी है। चीमा ने कहा कि भाजपा का मकसद सिर्फ लोगों की मदद नहीं, बल्कि राजनीतिक लाभ और डिजिटल हेरफेर है।
दिल्ली और बिहार के चुनावों का हवाला, पुरानी घटनाओं की याद
चीमा ने अपने बयान में दिल्ली विधानसभा चुनावों, चंडीगढ़ मेयर चुनाव और बिहार विधानसभा चुनाव में हुईं कथित मतदाता अनियमितताओं का हवाला देते हुए भाजपा की “चुनावी साजिशों” को उजागर किया। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान पहले भी चुनाव आयोग और संसद में इस मुद्दे को उठा चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब में चल रहे शिविरों का मकसद बेखबर नागरिकों के बैंक खातों से पैसा निकालना, मतदाता सूचियों में हेरफेर करना, और लोगों को झूठे वादों से गुमराह करना है।
पुलिस का अलर्ट: “कमीशन लेकर सरकारी कार्य और बैंक डिटेल मांगने की घटनाएं सामने आईं”
पंजाब पुलिस ने भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बयान जारी किया है। एक प्रवक्ता ने कहा कि पुलिस को ऐसी कई शिकायतें मिली हैं, जिनमें कुछ लोग स्वयं को एक विशेष राजनीतिक दल से जुड़ा बताकर नागरिकों से निजी दस्तावेज, बैंक खाता नंबर और अन्य संवेदनशील जानकारियां मांग रहे हैं।
कुछ मामलों में तो बैंक खातों से पैसे निकलने की भी पुष्टि हुई है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि इस तरह के लोगों के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस की जांच टीमें गठित की जा चुकी हैं और घटनाओं की विवेचना प्रारंभ हो गई है।
पुलिस की जनता से अपील: “ऐसे तत्वों से सावधान रहें, फर्जी कैंप की सूचना तुरंत दें”
पंजाब पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे ऐसे समाज-विरोधी तत्वों से दूर रहें, जो किसी पार्टी का नाम लेकर आपके निजी डेटा की मांग करें। किसी को भी अपने आधार कार्ड, बैंक डिटेल्स या फोन नंबर जैसी जानकारी न दें। “यदि आपके क्षेत्र में कोई भी अवैध कैंप लगाया गया है या किसी ने आपसे बैंक डिटेल्स मांगी हैं, तो तुरंत स्थानीय पुलिस थाने में रिपोर्ट करें,”
भाजपा की सफाई: “जनकल्याण के लिए चल रहे शिविर”
वहीं भाजपा की ओर से कहा गया है कि इन शिविरों का मकसद किसानों, मजदूरों, महिलाओं और अन्य जरूरतमंद वर्गों को केंद्र सरकार की योजनाओं की जानकारी देना और उन्हें डिजिटल रूप से सशक्त बनाना है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि यह एक राजनीतिक द्वेष है, जिससे राज्य सरकार भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता से घबरा गई है। भाजपा नेताओं का यह भी कहना है कि ‘कॉमन फैसिलिटी सेंटर’ जैसी पहलें पहले से चल रही हैं और यह सरकार द्वारा अनुमोदित योजनाओं के अंतर्गत आती हैं।
आप सरकार की नागरिक सेवा योजनाओं का भी ज़िक्र
फाइनेंस मिनिस्टर चीमा ने यह भी दोहराया कि पंजाब सरकार पहले से ही लगभग 500 से अधिक नागरिक सेवाएं लोगों के घर-द्वार पर पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि सेवा केंद्रों का एक मजबूत नेटवर्क तैयार किया गया है, जिससे लोगों को अपने क्षेत्र में ही सरकारी सेवाएं प्राप्त करने की सुविधा है। “हम जनता से वादा करते हैं कि किसी भी सरकारी योजना का लाभ उन्हें सरकारी माध्यम से ही मिलेगा, किसी पार्टी के निजी कैंप के ज़रिए नहीं,”