
पंजाब में संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की दिशा में आम आदमी पार्टी (AAP) ने बड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने लुधियाना शहरी क्षेत्र के लिए दो नए पदाधिकारियों की नियुक्ति कर एक बार फिर साफ कर दिया है कि वह आने वाले समय में न सिर्फ सत्ता में टिके रहना चाहती है, बल्कि संगठनात्मक ताकत को भी नई धार देना चाहती है।
जतिंदर खंगुरा को लुधियाना शहरी क्षेत्र का जिला प्रभारी और निधि गुप्ता को जिला सचिव नियुक्त किया गया है। पार्टी की ओर से जारी नियुक्ति पत्र में आप के स्टेट प्रभारी मनीष सिसोदिया और प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा के हस्ताक्षर शामिल हैं, जो इस निर्णय को संगठनात्मक रूप से अहम और रणनीतिक दृष्टि से मजबूत बनाते हैं।
संगठनात्मक मजबूती के लिए AAP का सक्रिय अभियान
पंजाब में आप सरकार के तीन साल पूरे होने को हैं, और इसी बीच पार्टी ने संगठन स्तर पर अपनी पकड़ को और मजबूत करने के लिए यह कदम उठाया है।
विशेषकर लुधियाना, जो औद्योगिक राजधानी के रूप में जाना जाता है, वहां पार्टी की सक्रियता को आगामी विधानसभा चुनावों और निकाय चुनावों की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
जतिंदर खंगुरा और निधि गुप्ता की नियुक्ति इस बात का संकेत है कि पार्टी स्थानीय नेतृत्व को उभारने और जमीनी कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने की रणनीति पर काम कर रही है। दोनों नए पदाधिकारियों को पार्टी की नीतियों और कार्यों को आम जनता तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है।
लुधियाना पश्चिम उपचुनाव: आम आदमी पार्टी की अग्निपरीक्षा
इन नियुक्तियों की घोषणा ऐसे समय पर की गई है जब लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर हाल ही में उपचुनाव संपन्न हुआ है। 19 जून को हुई वोटिंग में 51.33% मतदान दर्ज किया गया, जिसे संतुलित माना जा रहा है।
यह उपचुनाव AAP सरकार के लिए एक राजनीतिक कसौटी बन गया है, क्योंकि यह सीट जनवरी 2025 में पार्टी विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी के निधन के बाद खाली हुई थी।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस सीट को बरकरार रखने के लिए स्वयं कमान संभाली और आक्रामक प्रचार अभियान चलाया। उन्होंने आम जनता से विकास के नाम पर समर्थन मांगा और विपक्ष को घेरते हुए कहा कि “अब वक्त है काम को वोट देने का, नाम को नहीं।”
संजीव अरोड़ा पर दांव: उद्योगपति से जनसेवक तक का सफर
आप ने इस उपचुनाव में राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को मैदान में उतारा है। 61 वर्षीय अरोड़ा लुधियाना के प्रतिष्ठित उद्योगपति और सामाजिक कार्यकर्ता माने जाते हैं।
उनकी सादगी और समाजसेवा की छवि को देखते हुए पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए उपयुक्त चेहरा समझा।
अरोड़ा के चुनावी भाषणों में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसे विषय प्रमुख रहे। उन्होंने कहा, “मैं लुधियाना का बेटा हूं और यहां की सेवा के लिए राजनीति में आया हूं, मैं उद्योग का अनुभव जनता की भलाई में लगाऊंगा।”
मुकाबला कांटे का, कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल भी मैदान में
हालांकि मैदान में कुल 14 उम्मीदवार हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला AAP, कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल के बीच माना जा रहा है। कांग्रेस इस सीट पर पहले छह बार जीत दर्ज कर चुकी है, ऐसे में वह भी इसे दोबारा कब्जाने की कोशिश में है।
बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल (SAD) की भी इस चुनाव में प्रतिष्ठा दांव पर है। दोनों पार्टियों ने स्थानीय मुद्दों को उठाते हुए AAP सरकार पर वादाखिलाफी और बिगड़ती कानून व्यवस्था के आरोप लगाए हैं।
अब सबकी निगाहें 23 जून की मतगणना पर टिकी हैं, जब तय होगा कि जनता ने विकास को वोट दिया या असंतोष को।
क्यों महत्वपूर्ण है लुधियाना पश्चिम सीट?
लुधियाना पश्चिम सीट पंजाब की राजनीतिक दिशा तय करने वाली मानी जाती है। यह शहरी इलाका न सिर्फ आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां का मतदाता भी राजनीतिक रूप से जागरूक है।
यहां का चुनाव परिणाम संकेत देगा कि आम आदमी पार्टी की नीतियों और तीन वर्षों के कामकाज को जनता कितना स्वीकार कर रही है।
इस उपचुनाव को आम आदमी पार्टी के लिए जनमत संग्रह के रूप में देखा जा रहा है। यदि AAP इस सीट को बरकरार रखती है, तो यह भगवंत मान सरकार की नीतियों पर मुहर मानी जाएगी, वहीं हार पार्टी की रणनीति को पुनर्विचार के लिए मजबूर कर सकती है।