
भारत द्वारा पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर निर्णायक और सटीक हमलों के बाद, पाकिस्तान ने शनिवार को औपचारिक रूप से युद्धविराम की घोषणा की, जिसे भारत ने सशर्त स्वीकार कर लिया है। हालांकि यह युद्धविराम केवल काइनेटिक एक्शन (सैन्य हमलों) तक सीमित रहेगा, जबकि सभी गैर-सैन्य प्रतिबंध यथावत बने रहेंगे। भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता, जल, व्यापार, कूटनीति और वित्त से संबंधित सभी प्रतिबंध जारी रहेंगे।
ऑपरेशन सिंदूर ने बदला भू-राजनीतिक परिदृश्य
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत ने सख्त रुख अपनाया और 26 अप्रैल से “ऑपरेशन सिंदूर” की शुरुआत की। इस अभियान के तहत भारत ने पाकिस्तान के भीतर कई आतंकवादी ठिकानों और सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया। इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान को रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक रूप से जबरदस्त नुकसान हुआ।
भारतीय हमलों के बाद पाकिस्तान की सेना और सरकार दबाव में आ गई, और अंततः शनिवार को पाकिस्तान की ओर से औपचारिक तौर पर सीजफायर का अनुरोध किया गया।
DGMO से DGMO की बात, पाकिस्तान ने मांगी शांति
पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) ने अपने भारतीय समकक्ष को कॉल कर कहा कि पाकिस्तान आगे कोई भी सैन्य कार्रवाई नहीं करेगा और वह युद्धविराम की घोषणा करता है। भारत की तरफ से भी इस कॉल की पुष्टि की गई, लेकिन भारत ने यह स्पष्ट किया कि यह युद्धविराम केवल सैन्य संघर्ष के लिए सीमित होगा और आतंकवाद को संरक्षण देने वाली नीतियों में बदलाव नहीं होने तक अन्य प्रतिबंध यथावत रहेंगे।
सूत्रों के मुताबिक “भारत की सुरक्षा नीति में अब बदलाव आया है। हम आतंकवाद और पारंपरिक युद्ध को अलग नहीं मानते। पाकिस्तान को यह समझना होगा कि अगर वह आतंक का समर्थन करेगा, तो उसे उसी भाषा में जवाब मिलेगा।”
अमेरिकी दबाव ने बदला पाकिस्तान का रवैया
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान पर इस युद्धविराम के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी भारी दबाव डाला। अमेरिका ने पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत दिया कि अगर वह तनाव कम नहीं करता तो IMF से मिलने वाला 1 बिलियन डॉलर का कर्ज रोक दिया जाएगा। यह आर्थिक दबाव पाकिस्तान की पहले से ही चरमराई अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका साबित होता।
इसके अतिरिक्त, अमेरिका ने भारत के “संशोधित युद्ध सिद्धांत” को भी औपचारिक रूप से मान्यता दे दी है। इस सिद्धांत के तहत भविष्य में भारत किसी भी आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई मानेगा, और उसी के अनुरूप जवाबी कार्रवाई करेगा।
इन मोर्चों पर प्रतिबंध यथावत
भारत ने साफ कर दिया है कि निम्नलिखित क्षेत्रों में लगाए गए प्रतिबंध जारी रहेंगे और इन पर कोई बातचीत नहीं की जाएगी:
- सिंधु जल समझौता:
भारत ने इस समझौते को निलंबित कर रखा है और पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की जल संबंधी जानकारी साझा नहीं करेगा। इसके अलावा भारत उत्तरी नदियों पर नई जल परियोजनाएं शुरू करेगा। - व्यापारिक संबंध:
पाकिस्तान के साथ कोई भी द्विपक्षीय व्यापार पुनः आरंभ नहीं किया जाएगा। भारतीय बंदरगाहों पर पाकिस्तानी मालवाहक जहाजों के प्रवेश पर भी रोक बरकरार है। - कूटनीतिक संबंध:
जिन पाकिस्तानी राजनयिकों को भारत से वापस भेजा गया था, उन्हें अभी बुलाया नहीं जाएगा। भारत-पाकिस्तान दूतावासों में यथास्थिति बनी रहेगी। - वित्तीय प्रतिबंध:
पाकिस्तान पर लगाए गए वित्तीय प्रतिबंध जैसे बैंकों की निगरानी, धन हस्तांतरण की रोक और फंडिंग पर नियंत्रण पहले की तरह लागू रहेंगे।
साफ संदेश: शांति बिना शर्त नहीं
भारत सरकार का रुख स्पष्ट है—शांति की कीमत आतंकवाद से दूरी है। यह पहली बार है जब भारत ने सैन्य संघर्ष के बीच भी एक बहु-स्तरीय रणनीतिक दबाव नीति अपनाई है, जिसमें जल, अर्थव्यवस्था, कूटनीति और सैन्य क्षेत्र एक साथ काम कर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार: “यह युद्धविराम केवल बंदूकें रोकने के लिए है, हमारी नीति आतंक के खिलाफ पूरी ताकत से जारी रहेगी। पाकिस्तान को यह समझना होगा कि हम सिर्फ बम और गोलियों की भाषा नहीं, अर्थशास्त्र और भू-राजनीति की भाषा भी बोलते हैं।”
सिंधु जल समझौता: रणनीतिक शस्त्र
सिंधु जल समझौते का निलंबन पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती बनकर उभरा है। यह समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था, जिसके तहत भारत तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलज) का उपयोग कर सकता था, जबकि तीन उत्तरी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया था।
अब भारत ने इस समझौते के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले पानी की जानकारी देना बंद कर दी है और उन नदियों पर नई जल अवसंरचना परियोजनाएं शुरू कर दी हैं, जिससे पाकिस्तान की जल सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है।