
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते लगभग दो सप्ताह तक बंद रही अटारी-वाघा, हुसैनीवाला और सादकी बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी मंगलवार को एक बार फिर से शुरू हो गई। शाम 6:30 बजे, बीएसएफ जवानों और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच इस पारंपरिक झंडा उतरने की रस्म का आयोजन किया गया, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में आम नागरिक भी मौजूद रहे। इसके साथ ही सीमा क्षेत्र में स्थित किसानों के लिए भी राहत की खबर आई है, क्योंकि बीएसएफ ने फेंसिंग पार खेती के लिए गेट खोल दिए हैं, जो सुरक्षा कारणों से 28 दिनों से बंद थे।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पैदा हुए सैन्य तनाव की वजह से 7 मई से इन सभी बॉर्डर प्वाइंट्स पर रिट्रीट सेरेमनी और आम जनता की आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। अब जब दोनों देशों के बीच हालात सामान्य होते दिख रहे हैं, तो परंपरा, सहयोग और आम जनजीवन को दोबारा सामान्य करने की दिशा में यह कदम एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
बॉर्डर पर दोबारा गूंजे देशभक्ति के गीत, उमड़ा जनसैलाब
मंगलवार की शाम अटारी बॉर्डर पर माहौल कुछ अलग ही था। भारी संख्या में लोगों ने वहां पहुंचकर भारत-पाकिस्तान की रिट्रीट सेरेमनी का आनंद उठाया। देशभक्ति के गीत, तिरंगे की शान, और बीएसएफ जवानों की गूंजती परेड ने माहौल को फिर से ऊर्जा से भर दिया।
तीन बॉर्डर प्वाइंट्स—अटारी (अमृतसर), हुसैनीवाला (फिरोजपुर), और सादकी बॉर्डर (फाजिल्का)—पर लगभग दो हफ्ते से रिट्रीट सेरेमनी स्थगित थी। अटारी बॉर्डर पर मौजूद दर्शकों ने बताया कि उन्हें इस क्षण का बेसब्री से इंतजार था। “राष्ट्रगान की गूंज और जवानों की ताल पर चलती परेड हमें गौरव से भर देती है,” एक पर्यटक ने कहा।
तनाव के बाद सामान्य हो रहे हैं हालात
रिट्रीट सेरेमनी का दोबारा शुरू होना केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक और सामाजिक संकेत भी है कि दोनों देशों की सीमाओं पर स्थिति अब स्थिर हो रही है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सफल सैन्य कार्रवाई की थी, उसके बाद दोनों देशों की सीमाओं पर सैन्य गतिविधियां तेज कर दी गई थीं।
इसी क्रम में, फेंसिंग पर लगे गेट भी सुरक्षा कारणों से बंद कर दिए गए थे, जिससे सीमावर्ती किसानों को अपनी फसल की देखभाल और खेती में भारी दिक्कतें आ रही थीं। लेकिन अब बीएसएफ ने फेंसिंग पार जाने के लिए गेट खोल दिए हैं, जिससे किसानों को राहत मिली है।
खेतों में दुश्मन के बारूदी जाल की आशंका के चलते की गई थी जांच
बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि फेंसिंग के पार किसानों को भेजने से पहले पूरे सीमावर्ती इलाके की सुरक्षा जांच की गई थी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि दुश्मन की ओर से खेतों में बारूदी सुरंग या विस्फोटक पदार्थ न बिछाए गए हों। सभी खेतों की गहन जांच के बाद अब गेट खोलने की अनुमति दी गई है।
बीएसएफ की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि किसान अब सुरक्षित रूप से फेंसिंग पार जाकर अपनी भूमि पर खेती कर सकते हैं। यह निर्णय न केवल सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सेना और प्रशासन दोनों नागरिकों के हितों को लेकर संवेदनशील हैं।
मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल का दौरा और किसानों को राहत
इस बीच, पंजाब सरकार की ओर से भी बॉर्डर पर तैनात जवानों के साथ-साथ किसानों को राहत देने के प्रयास जारी हैं। सोमवार को कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने अजनाला क्षेत्र की सीमा चौकी शाहपुर का दौरा किया, जहां उन्होंने बीएसएफ जवानों को मिठाई और फलों की टोकरी भेंट कर सम्मानित किया।
धालीवाल ने कहा,
“हमें अपने जवानों पर गर्व है। जब देश को उनकी जरूरत होती है, वे बिना किसी हिचकिचाहट के खड़े हो जाते हैं। पंजाब सरकार और राज्य के किसान हमेशा उनके साथ हैं।”
मंत्री ने साथ ही किसानों की समस्याओं को बीएसएफ अधिकारियों के साथ साझा करते हुए घोषणा की कि अगले दिन से किसानों के लिए फेंसिंग पार खेती के गेट खोल दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब किसान बिना किसी रोक-टोक के अपने खेतों तक पहुंच सकेंगे।
रिट्रीट सेरेमनी: सीमाओं पर शांति और संप्रभुता का प्रतीक
रिट्रीट सेरेमनी, जिसे हर शाम अटारी-वाघा और अन्य सीमाओं पर आयोजित किया जाता है, केवल एक सैन्य परंपरा नहीं, बल्कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाओं पर शांति बनाए रखने की एक कोशिश भी है। जब यह आयोजन स्थगित होता है, तो यह न केवल सैन्य दृष्टिकोण से तनाव का संकेत देता है, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी एक असहज माहौल बना देता है।
अब जब यह समारोह दोबारा शुरू हो गया है, तो इसे भारत-पाकिस्तान के बीच कम होते तनाव और सामान्य होते संबंधों का संकेत माना जा रहा है। यह आम नागरिकों, खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है।