दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बार फिर गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। पिछले कुछ दिनों से प्रदूषण की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है, और शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 393 दर्ज किया गया। यह पिछले दिन के मुकाबले 22 अंक अधिक था, जो राजधानी के लिए एक चेतावनी है। विशेषज्ञों के अनुसार, शनिवार और रविवार तक प्रदूषण की स्थिति में कोई खास राहत मिलने की संभावना नहीं है। इसके चलते राजधानी में लोगों को सांस लेने में परेशानी और आंखों में जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और मौसम विभाग ने भी इस सप्ताह के अंत तक वायु गुणवत्ता में सुधार की संभावना न होने की बात कही है। इसके साथ ही, स्मॉग और कुहासा की स्थिति भी बनी रहने की संभावना जताई जा रही है। इस कारण हवा की गुणवत्ता लगातार गंभीर श्रेणी में बनी रही, जिससे लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।
प्रदूषण के बढ़ने का कारण
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में अचानक वृद्धि देखने को मिली है, और इसकी मुख्य वजह मौसम की प्रतिकूल स्थितियां हैं। भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) के मुताबिक, शुक्रवार को हवाएं पश्चिम दिशा से चलीं और हवा की गति 4 से 8 किलोमीटर प्रति घंटा रही। शाम के समय हवा की गति 6 किलोमीटर प्रति घंटा रही, जिससे प्रदूषक तत्व और अधिक संगठित हो गए। इसके परिणामस्वरूप स्मॉग की स्थिति बन गई, जिससे राजधानी में लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ा।
वेंटिलेशन इंडेक्स की बात करें तो यह 4500 घनमीटर प्रति सेकंड रहा, जबकि 24 घंटे में इसके 3500 घनमीटर प्रति सेकंड तक रहने का अनुमान था। इसके चलते प्रदूषक तत्वों का फैलाव रुक गया है, जिससे प्रदूषण में कोई कमी नहीं आई और यह स्थिति और बिगड़ती जा रही है। मौसम के विशेषज्ञों का कहना है कि हवा की दिशा में कोई विशेष बदलाव नहीं आ रहा है, और हवा की गति भी धीमी होने के कारण प्रदूषक हवा में ही सटे हुए हैं।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) स्थिति
दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर शुक्रवार को 393 तक पहुंच गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है। यह संख्या पिछले दिन के मुकाबले अधिक रही, जिससे प्रदूषण की गंभीरता को समझा जा सकता है। AQI के आंकड़े के अनुसार, 0 से 50 तक AQI अच्छे स्तर को दर्शाता है, जबकि 51 से 100 तक यह संतोषजनक माना जाता है। 101 से 200 तक यह मध्यम, 201 से 300 तक यह खराब और 301 से 400 तक यह बहुत खराब श्रेणी में आता है। इसके बाद, 400 से 500 तक की स्थिति को गंभीर माना जाता है, जो फिलहाल दिल्ली में बनी हुई है। इस स्तर पर सांस लेना मुश्किल हो सकता है और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
CPCB के मुताबिक, दिल्ली में वायु गुणवत्ता की स्थिति शुक्रवार को गंभीर हो चुकी थी, और शनिवार और रविवार तक इसमें कोई खास सुधार होने की संभावना नहीं थी। ऐसे में राजधानी में प्रदूषण की इस गंभीर स्थिति के कारण स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
स्मॉग और कुहासा की स्थिति
दिल्ली में प्रदूषण के साथ-साथ स्मॉग और कुहासा भी घेरने की संभावना है। शुक्रवार की शाम को हवा की गति धीमी होने के कारण प्रदूषक तत्वों का फैलाव और अधिक हो गया। इसके चलते स्मॉग और कुहासा की स्थिति उत्पन्न हुई, जिससे दृश्यता में कमी आई और सड़कों पर यातायात भी प्रभावित हुआ। स्मॉग की वजह से लोग दिन में भी रात जैसी स्थिति का सामना करने को मजबूर थे। विशेषज्ञों के मुताबिक, शनिवार और रविवार को भी यह स्थिति बनी रह सकती है, क्योंकि मौसम की दिशा और हवा की गति में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है।
वहीं, विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि प्रदूषक तत्वों के कारण आंखों में जलन, सांस में तकलीफ और गले में खराश जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। खासकर अस्थमा और श्वसन संबंधी रोगों से पीड़ित लोग इस समय और अधिक परेशान हो सकते हैं।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले दिनों में प्रदूषण की स्थिति में सुधार होने की संभावना बेहद कम है। शुक्रवार के बाद शनिवार और रविवार तक वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 के पार ही रहने की आशंका जताई जा रही है। इसके अलावा, सुबह और शाम के समय कुहासा और स्मॉग की स्थिति बनी रह सकती है, जो वायु गुणवत्ता को और भी खराब बना सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि हवाओं की दिशा में कोई बदलाव न होने के कारण प्रदूषण को फैलने में मुश्किल हो रही है, और इस कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।
इस स्थिति में, लोग विशेष रूप से संवेदनशील समूह जैसे बच्चों, बुजुर्गों और सांस के रोगियों को बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जा रही है। इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग ने भी लोगों को मास्क पहनने और घर में रहने की सलाह दी है, ताकि वे प्रदूषण से बच सकें।
समाधान और सुझाव
दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार और नागरिकों दोनों की जिम्मेदारी बनती है। सरकार को प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए, जैसे कि वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए सख्त नियम लागू करना, निर्माण कार्यों में प्रदूषण नियंत्रित करने के उपायों को अपनाना, और औद्योगिक प्रदूषण को कम करना।
इसके अलावा, नागरिकों को भी प्रदूषण नियंत्रण में योगदान देना चाहिए, जैसे कि वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना और ग्रीन सिटी बनाने के लिए पौधारोपण करना।