
पंजाब की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आया है। अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को आय से अधिक संपत्ति मामले में रविवार को मोहाली कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। कोर्ट ने उन्हें नाभा जेल में बंद करने का आदेश दिया। इससे पहले मजीठिया पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की चार दिन की अतिरिक्त रिमांड पर थे, जो रविवार को समाप्त हो गई थी।
पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने मजीठिया को ड्यूटी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया, जहां कोर्ट ने उन्हें ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई अब 19 जुलाई को होगी। इस दौरान विजिलेंस ब्यूरो द्वारा की गई छापेमारी और जांच में सामने आए नए तथ्यों को कोर्ट में रखा जाएगा।
मोहाली कोर्ट के बाहर अकाली कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन
बिक्रम मजीठिया की गिरफ्तारी से शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में भारी रोष देखने को मिला। मोहाली कोर्ट के बाहर बड़ी संख्या में शिअद नेता और कार्यकर्ता एकत्र हो गए और मजीठिया की गिरफ्तारी के विरोध में नारेबाजी की। पार्टी समर्थकों ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया।
मौके पर तैनात पुलिस बल ने तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रदर्शन कर रहे कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया ताकि कोर्ट परिसर में कानून-व्यवस्था बनी रहे। हालांकि, पार्टी की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि मजीठिया के समर्थन में संघर्ष जारी रहेगा।
हिमाचल और दिल्ली में मजीठिया की संपत्तियों पर छापेमारी
इससे पहले शनिवार को विजिलेंस ब्यूरो ने दिल्ली और हिमाचल पुलिस के सहयोग से हिमाचल प्रदेश में बिक्रम मजीठिया की कई संपत्तियों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में अधिकारियों को कई संदिग्ध शेल कंपनियों से जुड़े रिकॉर्ड हाथ लगे हैं।
विजिलेंस के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इन कंपनियों के माध्यम से मजीठिया ने कई बेनामी संपत्तियां बनाई हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन हिमाचल और पंजाब में हुआ है। इन शेल कंपनियों के बैंक खातों, लेन-देन और शेयरहोल्डिंग पैटर्न की गहराई से जांच की जा रही है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, कई कंपनियों के पते झूठे या फर्जी पाए गए हैं, और उनमें लेनदेन के जरिए करोड़ों रुपये की संपत्तियां अर्जित की गई हैं। विजिलेंस की जांच का दायरा अब सिर्फ मजीठिया तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके करीबियों और परिजनों तक फैल गया है।
मजीठिया के करीबियों पर भी विजिलेंस की नजर
जांच में सामने आया है कि मजीठिया के करीबियों और राजनीतिक सहयोगियों ने भी इन अवैध कंपनियों के जरिए भारी ट्रांजेक्शन किए हैं। विजिलेंस अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि अब इन सभी लेनदेन की वित्तीय जांच और सत्यापन किया जाएगा और जिन-जिन लोगों ने संदिग्ध निवेश या पैसा ट्रांसफर किया है, उन्हें पूछताछ के लिए तलब किया जाएगा।
इनमें बिक्रम मजीठिया के पूर्व निजी सचिव तलबीर सिंह गिल, पूर्व विधायक बोनी अजनाला, अकाली नेता मनिंदर सिंह उर्फ बिट्टू औलख और जगजीत सिंह चहल के नाम भी शामिल हैं, जिनके बयान पहले ही दर्ज किए जा चुके हैं।
इन सभी के बयान और दस्तावेजी साक्ष्य को आधार बनाकर विजिलेंस ने पंजाब, दिल्ली, हिमाचल सहित कई राज्यों में कार्रवाई की है। बताया जा रहा है कि इस मामले की केंद्रीय एजेंसियों से भी समन्वय किया जा रहा है, जिससे अंतरराज्यीय धन लेन-देन की पुष्टि की जा सके।
शिअद का विरोध, कहा – बदले की राजनीति
शिरोमणि अकाली दल ने मजीठिया की गिरफ्तारी को राजनीतिक साजिश बताया है। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि विपक्षी दलों को दबाने के लिए सरकार कानून का दुरुपयोग कर रही है। “हम बिक्रम सिंह मजीठिया के साथ खड़े हैं। उनकी छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है,” एक वरिष्ठ अकाली नेता ने कहा। शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इस कार्रवाई को “लोकतंत्र पर हमला” करार देते हुए कहा कि पार्टी जल्द ही इस मुद्दे पर सड़कों पर उतरेगी।
आगे की जांच और कानूनी प्रक्रिया
बिक्रम सिंह मजीठिया को अब 19 जुलाई को फिर कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां विजिलेंस ब्यूरो अपनी अगली रिपोर्ट और सबूत कोर्ट के सामने पेश करेगा। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर शेल कंपनियों और अवैध संपत्तियों से जुड़े आरोप साबित हो जाते हैं, तो यह मामला मजीठिया के लिए राजनीतिक और कानूनी रूप से गंभीर मोड़ ले सकता है। पंजाब सरकार और विजिलेंस ब्यूरो ने साफ कर दिया है कि मामले की गहराई से जांच की जाएगी, और दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।