
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और हाल ही में तुर्किए द्वारा पाकिस्तान को दिए गए समर्थन के बाद, भारत में उच्च शिक्षा जगत से एक बड़ा और साहसी निर्णय सामने आया है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं ने तुर्किए और अजरबैजान के साथ अपने सभी शैक्षणिक समझौते (MoUs) को राष्ट्रहित में तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है।
यह फैसला यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति और राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू के नेतृत्व में लिया गया, जिन्होंने स्पष्ट किया कि जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है, तब यूनिवर्सिटी किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगी। “हमारी प्राथमिकता देश है, और जब देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा की बात आती है, तो हम किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे,” संधू ने कहा।
पांच साल तक चलने थे समझौते, पर देश पहले
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने जिन 23 शैक्षणिक समझौतों को समाप्त किया है, वे पांच वर्षों तक प्रभावी रहने वाले थे। इन समझौतों में छात्रों और फैकल्टी के लिए एक्सचेंज प्रोग्राम, रिसर्च कोलैबोरेशन, वर्कशॉप और संयुक्त पाठ्यक्रमों का प्रावधान था।
विशेष उल्लेखनीय यह है कि जनवरी 2025 में ही यूनिवर्सिटी ने अंकारा यिल्डिरिम बेयाजित यूनिवर्सिटी (Ankara Yildirim Beyazit University) के साथ एक विस्तृत MoU पर हस्ताक्षर किया था, जो अब इसी फैसले के अंतर्गत निरस्त कर दिया गया है। यह निर्णय यूजीसी, एआईसीटीई और अन्य राष्ट्रीय शिक्षा निकायों के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
“राष्ट्र प्रथम” की भावना में लिया गया निर्णय
राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने कहा कि यूनिवर्सिटी का दृष्टिकोण हमेशा ‘राष्ट्र प्रथम’ रहा है। “हमारी संस्था सिर्फ शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि देशभक्ति और राष्ट्रीय चेतना की भावना को भी बढ़ावा देती है। हमारे छात्रों, संकाय और प्रबंधन के लिए भारत की सुरक्षा और गरिमा सबसे ऊपर है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यूनिवर्सिटी का यह निर्णय प्रतीक है कि भारत के नागरिक और संस्थान आतंकवाद या इसे समर्थन देने वाले किसी भी देश के साथ संबंध नहीं रख सकते। “जो देश हमारे निर्दोष नागरिकों और जवानों की जान का अपमान करते हैं, उनके साथ किसी भी स्तर पर सहयोग नहीं हो सकता,” उन्होंने जोड़ा।
प्रतिक्रिया और राष्ट्रीय संदर्भ
भारत-पाकिस्तान के बीच हाल ही में सीमा पर हुई झड़पों, आतंकवादियों की घुसपैठ और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर हमलों के बाद, राष्ट्रीय स्तर पर तुर्किए द्वारा पाकिस्तान को दिए जा रहे कूटनीतिक और सैन्य समर्थन की आलोचना हो रही है। भारत ने तुर्की के इस रुख को देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा माना है।
इस पृष्ठभूमि में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी का यह निर्णय न केवल शिक्षा जगत में एक नई मिसाल बनाता है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि अब देश के शैक्षिक संस्थान भी राष्ट्र सुरक्षा के मुद्दों पर सजग हैं और अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
“आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्र के साथ खड़े हैं”
संधू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि “आतंकवाद और आतंकियों को पनाह देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।” उन्होंने कहा, “चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी आतंकवाद और इसे प्रायोजित करने वालों के खिलाफ लड़ाई में पूरे देश के साथ खड़ी है।”
संधू ने यह भी स्पष्ट किया कि यूनिवर्सिटी भविष्य में ऐसे किसी भी देश के साथ शैक्षणिक या अन्य प्रकार के संबंध नहीं बनाएगी, जो भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हो या जो आतंकवादियों को समर्थन देता हो।