
उत्तराखंड के पवित्र चारधामों में शामिल बदरीनाथ धाम में यात्रियों की सुविधा और पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए देश का पहला ‘फास्टैग इको टूरिज्म बैरियर’ शुरू कर दिया गया है। यह बैरियर बदरीनाथ धाम के प्रवेश द्वार देवदर्शनी में स्थापित किया गया है, जो 10,279 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह पहल देश में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में फास्टैग तकनीक से पर्यटक शुल्क लेने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
बृहस्पतिवार को इस अत्याधुनिक बैरियर का वर्चुअल उद्घाटन जिलाधिकारी संदीप तिवारी द्वारा किया गया। इस उद्घाटन के साथ ही अब बदरीनाथ आने वाले वाहनों से इको टूरिज्म शुल्क का डिजिटल भुगतान किया जा सकेगा, जिससे यात्रियों को लंबी लाइनों और नकद भुगतान की परेशानियों से राहत मिलेगी।
पहली बार इतनी ऊंचाई पर फास्टैग बैरियर
देवदर्शनी चेकपोस्ट पर यह फास्टैग बैरियर देश में अपने प्रकार का पहला उदाहरण है, जिसे इतनी ऊंचाई (10,279 फीट) पर लगाया गया है। इससे पहले फास्टैग तकनीक का उपयोग मुख्यतः टोल प्लाज़ा और राजमार्गों पर सीमित था। यह पहल न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे देश में पहाड़ी और धार्मिक स्थलों पर डिजिटलीकरण के विस्तार की मिसाल बन गई है।
मैनुअल शुल्क प्रणाली से राहत
नगर पंचायत बदरीनाथ के अधिशासी अधिकारी सुनील पुरोहित के अनुसार, 2022 से यहां आने वाले वाहनों से इको टूरिज्म शुल्क वसूली की जा रही थी, लेकिन यह प्रक्रिया पूरी तरह मैनुअल थी। यात्रियों को लाइन में खड़ा होना पड़ता था, जिससे ना केवल समय की बर्बादी होती थी बल्कि कई बार भीड़भाड़ और अव्यवस्था भी उत्पन्न हो जाती थी।
अब इस डिजिटल प्रणाली से सभी शुल्क फास्टैग के जरिए स्वचालित रूप से वसूले जाएंगे, जिससे यात्री सीधे आगे बढ़ सकेंगे। यह व्यवस्था विशेषकर चारधाम यात्रा के समय बड़ी संख्या में आने वाले वाहनों की नियंत्रित आवाजाही और प्रभावी प्रबंधन में सहायक होगी।
शुल्क की श्रेणियां
नगर पंचायत द्वारा लिए जा रहे इको टूरिज्म शुल्क की दरें इस प्रकार हैं:
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छोटे चौपहिया वाहन: ₹60
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टैम्पो ट्रैवलर/मिनी बस: ₹100
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बस: ₹120
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हेलिकॉप्टर सेवा: ₹1,000 प्रति ट्रिप
यह शुल्क पर्यावरण संरक्षण, बुनियादी ढांचे के रख-रखाव, और स्थानीय प्रशासन के विकास कार्यों में उपयोग किया जाता है।
पार्क प्लस कंपनी की तकनीकी भागीदारी
इस परियोजना को सफल बनाने में पार्क प्लस कंपनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कंपनी ने एनएचआईडीसीएल की गाइडलाइंस के अनुरूप देवदर्शनी में यह प्रणाली स्थापित की। बैरियर के संचालन से पहले 15 दिनों का सफल ट्रायल भी किया गया, जिसमें वाहनों की डिजिटल पहचान, शुल्क कटौती और डेटा संकलन जैसे सभी तकनीकी पहलुओं को जांचा गया।
डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ता उत्तराखंड
जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने वर्चुअल उद्घाटन के अवसर पर कहा,
“यह सिर्फ एक तकनीकी नवाचार नहीं, बल्कि डिजिटल इंडिया की भावना को हिमालय की ऊंचाइयों तक पहुंचाने का एक प्रयास है। यह पर्यावरण संरक्षण और तीर्थयात्रा प्रबंधन दोनों दृष्टियों से एक बड़ी पहल है।”
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे अन्य चारधाम स्थलों पर भी इस तकनीक को लागू करने की योजना पर विचार किया जा रहा है।
स्थानीय प्रशासन और समाज का समर्थन
इस उद्घाटन अवसर पर एसडीएम ज्योतिर्मठ चंद्रशेखर वशिष्ठ, पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, होटल एसोसिएशन अध्यक्ष राजेश मेहता, बदरीश पंडा पंचायत अध्यक्ष प्रवीण ध्यानी, बदरीनाथ थानाध्यक्ष नवनीत भंडारी सहित कई प्रमुख स्थानीय पदाधिकारी और सामाजिक प्रतिनिधि मौजूद थे।
होटल एसोसिएशन अध्यक्ष राजेश मेहता ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा,
“यह तकनीक श्रद्धालुओं की सुविधा और समय की बचत के लिहाज़ से एक क्रांतिकारी कदम है। इससे पर्यटकों का अनुभव और बेहतर होगा।”
पर्यावरण संरक्षण को मिलेगी बढ़त
इको टूरिज्म शुल्क का उद्देश्य न केवल राजस्व अर्जन है, बल्कि इससे जुड़े गहरे पर्यावरणीय उद्देश्य भी हैं। फास्टैग से शुल्क वसूली से वाहनों की रुकावट कम होगी, जिससे ईंधन की बचत और वायु प्रदूषण में कमी होगी। साथ ही, यह तकनीक वाहनों की संख्या का स्वचालित रिकॉर्ड भी रखेगी, जिससे भीड़ नियंत्रण और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में प्रशासन को मदद मिलेगी।