
नई दिल्ली: दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (DPCC) ने राजधानी में 14 अक्टूबर से एक जनवरी तक पटाखों की खरीद-बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। यह आदेश न केवल भौतिक स्टोर्स पर, बल्कि ऑनलाइन माध्यमों से भी पटाखों की खरीद-बिक्री पर लागू होगा। DPCC ने स्पष्ट किया है कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) पिछले कई वर्षों से दिवाली के पहले पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने का प्रयास करता आया है, लेकिन ये उपाय राजधानी में प्रदूषण को रोकने में अप्रभावी साबित हो चुके हैं। हर साल दिवाली के समय लोग आसपास के इलाकों से पटाखों का इंतजाम कर लेते हैं, जिससे दिवाली की रात को राजधानी में जमकर पटाखे चलाए जाते हैं।
दिवाली के दूसरे दिन, यानी अगले दिन, प्रदूषण का स्तर गंभीर या अतिगंभीर दर्ज किया गया है। पिछले वर्ष 12 नवंबर को दिवाली थी, और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, उस दिन दिल्ली में पीएम 2.5 और पीएम 10 का घनत्व ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहा। दिवाली की रात और अगले दिन की सुबह, वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘बहुत गंभीर’ श्रेणी में रिकॉर्ड किया गया।
पिछले वर्षों में प्रदूषण के स्तर में उतार-चढ़ाव
वर्ष 2022 में, दिवाली 24 अक्टूबर को मनाई गई थी, और इस दौरान सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, 32 निगरानी केंद्रों में से 21 में हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। पटाखों के साथ-साथ, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में भी वृद्धि हुई, जो हवा के प्रदूषण का प्रमुख कारण बनी।
2023 में दिवाली से पहले, सरकार ने यह निर्देश दिया था कि पटाखों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, 2022 में पटाखों से होने वाले प्रदूषण में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं आई थी, जिसके लिए हवा की गति में बदलाव को जिम्मेदार ठहराया गया था।
प्रदूषण नियंत्रण में दिक्कतें
डॉ. एनपी साई, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, ने इस बात की पुष्टि की है कि पटाखों पर प्रतिबंध से प्रदूषण में कमी अवश्य आती है, लेकिन यह इतना प्रभावी नहीं होता कि आम लोग इसे महसूस कर सकें। उन्होंने कहा कि दिवाली के आसपास हवा का बहाव कम होने से, भले ही पटाखों की मात्रा कम हो, उनके कण हवा में लटके रहते हैं, जिससे प्रदूषण का अनुभव होता है।
दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध केवल राजधानी क्षेत्र में लागू होता है, जबकि लोग अक्सर आसपास के इलाकों से पटाखे मंगवाते हैं, जिससे प्रभाव कम हो जाता है। धार्मिक त्योहारों के कारण पुलिस भी कार्रवाई करने से कतराती है, जिससे प्रदूषण पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है।
जागरूकता और समाधान
डॉ. एनपी साई का मानना है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लोगों को जागरूक करना एक कारगर उपाय हो सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे तंबाकू और सिगरेट के उपयोग के खिलाफ जागरूकता अभियानों के कारण उपयोग में कमी आई है, वैसे ही प्रदूषण और बच्चों पर इसके प्रभाव के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
डॉ. साई ने सुझाव दिया कि पारंपरिक पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए, बल्कि हरित पटाखों की गुणवत्ता को बढ़ाकर प्रदूषण स्तर को कम करने का प्रयास किया जाना चाहिए। इस दिशा में प्रयास करके, लोग अपनी परंपराओं का पालन करते हुए भी प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं।