
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही में संपन्न पांच देशों की यात्रा पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा की गई तीखी टिप्पणी और उसके बाद विदेश मंत्रालय की निंदा से देश की सियासत में नई बहस छिड़ गई है। एक ओर जहां विदेश मंत्रालय ने भगवंत मान की टिप्पणियों को “गैर-जिम्मेदाराना और खेदजनक” करार दिया, वहीं मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि वे प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं और विदेश नीति पर सवाल उठाते रहेंगे।
चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भगवंत मान ने अपनी बात को मजबूती से रखते हुए कहा,
“क्या मुझे देश की विदेश नीति और प्रधानमंत्री ने वहां क्या किया, इसके बारे में पूछने का अधिकार नहीं है? प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं, अडानी का कारोबार वहीं क्यों शुरू हो जाता है? मैं एक नागरिक और मुख्यमंत्री के तौर पर देश की विदेश नीति पर सवाल उठाने का पूरा अधिकार रखता हूं।”
विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
भगवंत मान की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय ने तीखे शब्दों का प्रयोग किया। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बयान जारी कर कहा “हमने एक उच्च सरकारी अधिकारी की ओर से वैश्विक दक्षिण के मित्र देशों के साथ भारत के संबंधों के बारे में की गई कुछ टिप्पणियों को देखा है। ये टिप्पणियां गैर-जिम्मेदाराना और निराशाजनक हैं। ऐसे बयान किसी सरकारी अधिकारी को शोभा नहीं देते। भारत सरकार ऐसी अनुचित बयानबाजी से खुद को अलग करती है, जो मित्र देशों के साथ भारत के संबंधों को कमजोर करती हैं।”
हालांकि मंत्रालय ने सीधे भगवंत मान का नाम नहीं लिया, लेकिन पूरा संदर्भ साफ तौर पर पंजाब के मुख्यमंत्री की टिप्पणियों की ओर ही इशारा कर रहा था।
भगवंत मान के बयानों की पड़ताल
भगवंत मान ने हाल ही में एक मीडिया ब्रीफिंग में प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि “प्रधानमंत्री कहीं गए हैं। मुझे लगता है कि वह घाना गए हैं। वह वापस आएंगे और उनका स्वागत है। भगवान ही जाने वह किन देशों में जाते रहते हैं – ‘मैग्नेशिया’, ‘गैल्विसा’, ‘टार्विसिया’। वह 140 करोड़ लोगों वाले देश में नहीं रहते। वह ऐसे देशों में जा रहे हैं, जहां की आबादी 10,000 है और उन्हें वहां ‘सर्वोच्च पुरस्कार’ मिल रहे हैं। यहां 10,000 लोग एक जेसीबी देखने के लिए इकट्ठा हो जाते हैं। उन्होंने खुद को किस मुसीबत में डाल लिया है!”
यह बयान न केवल प्रधानमंत्री की विदेश नीति की आलोचना था, बल्कि उसमें तीखा व्यंग्य भी झलकता है। मान का इशारा स्पष्ट रूप से उन छोटे देशों की ओर था जहां पीएम मोदी हाल में गए थे और जिन्हें लेकर विपक्ष में पहले से सवाल उठते रहे हैं।
आलोचना और समर्थन दोनों
भगवंत मान के बयान के बाद जहां भाजपा और केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रहित के खिलाफ बताया, वहीं आम आदमी पार्टी और कई अन्य विपक्षी नेताओं ने मान के अधिकार का समर्थन किया। आम आदमी पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि भगवंत मान ने जो कहा, वो केवल उनकी व्यक्तिगत राय नहीं बल्कि पार्टी की विचारधारा का हिस्सा है, जिसमें पारदर्शिता और जनजवाबदेही की बात की जाती है।
पंजाब सरकार की अलग चुनौती: भाखड़ा ब्यास सुरक्षा मामला
इसी बीच पंजाब सरकार के एक और मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि: “केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार की साजिश थी कि भाखड़ा ब्यास बांध की सुरक्षा CISF को दे दी जाए, लेकिन हमने इसका विरोध किया। पिछले 70 सालों से पंजाब पुलिस इसकी सुरक्षा करती आ रही है और वह पूरी तरह सक्षम है।”
चीमा ने कहा कि यह फैसला भाजपा और कांग्रेस की मिलीभगत से लिया गया था, लेकिन अब पंजाब सरकार ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि CISF मंजूर नहीं है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि “कांग्रेस पार्टी ने अपनी पुरानी गलती को सुधारा है और अब हमारे साथ खड़ी है। यह पंजाब की सुरक्षा और स्वाभिमान का मुद्दा है।”