
पंजाब में सामने आए ड्राइविंग लाइसेंस घोटाले को लेकर भगवंत मान सरकार ने सख्त एक्शन लेते हुए राज्य की भ्रष्टाचार रोधी इकाई—विजिलेंस ब्यूरो—के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। विजिलेंस ब्यूरो के चीफ एसपीएस परमार को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। उनके साथ एआईजी हरप्रीत सिंह और एसएसपी स्वर्णदीप सिंह को भी निलंबित कर दिया गया है।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब प्रदेश भर में ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में धांधली और भ्रष्टाचार के आरोपों ने तूल पकड़ लिया है। आरोप है कि विजिलेंस ब्यूरो के उच्चाधिकारियों ने इस घोटाले में संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई को टालने या रोकने की कोशिश की, जिससे मामले को दबाया जा सके।
घोटाले की परतें और प्रारंभिक जांच
घोटाले का खुलासा विजिलेंस ब्यूरो की खुद की कार्रवाई के दौरान हुआ, जब राज्य भर के आरटीए (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) और ड्राइविंग टेस्ट सेंटर्स पर छापेमारी की गई। इस दौरान कई एजेंटों और आरटीए अधिकारियों को हिरासत में लिया गया, जिन पर पैसे लेकर फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस जारी कराने और टेस्ट में धांधली कराने के आरोप हैं।
यह घोटाला लंबे समय से चल रहा था और एक संगठित नेटवर्क के माध्यम से उम्मीदवारों से हजारों से लाखों रुपये की वसूली की जा रही थी। आरोप है कि उम्मीदवारों को बिना टेस्ट दिए लाइसेंस मिल रहे थे, जिससे सड़क सुरक्षा को भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया था।
वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में
जांच के दौरान यह बात सामने आई कि घोटाले में शामिल कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई को जानबूझकर टालने या कमजोर करने का प्रयास किया गया। विशेष रूप से विजिलेंस ब्यूरो के शीर्ष अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठे।
1997 बैच के आईपीएस अधिकारी एसपीएस परमार, जो हाल ही में 26 मार्च को ही विजिलेंस ब्यूरो के प्रमुख नियुक्त किए गए थे, पहले एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर रह चुके हैं। सरकार को संदेह है कि उन्होंने अपने पद का उपयोग कर कार्रवाई को प्रभावित करने की कोशिश की।
उसी कड़ी में एआईजी हरप्रीत सिंह और एसएसपी स्वर्णदीप सिंह पर भी संदेह जताया गया कि उन्होंने जानबूझकर घोटाले की गंभीरता को नजरअंदाज किया और आरोपियों को संरक्षण देने का प्रयास किया।
गंभीर लापरवाही और कर्तव्य में चूक का आरोप
सरकार द्वारा जारी सस्पेंशन आदेश में कहा गया है कि तीनों अधिकारियों पर All India Services (Discipline and Appeal) Rules, 1969 के तहत कार्रवाई की गई है। यह निर्णय अधिकारियों द्वारा गंभीर लापरवाही और कर्तव्य में चूक के कारण लिया गया है।
आरोप है कि घोटाले में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई और जांच को जानबूझकर कमजोर करने की कोशिश की गई। यह एक बड़ा प्रशासनिक अपराध माना जा रहा है, क्योंकि ये अधिकारी स्वयं भ्रष्टाचार रोकने के लिए नियुक्त किए गए थे।
भगवंत मान का स्पष्ट संदेश, “कोई बख्शा नहीं जाएगा”
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस कार्रवाई के जरिए राज्य के अफसरशाही को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “जो भी भ्रष्टाचारियों को बचाने की कोशिश करेगा, चाहे वह कितने भी बड़े पद पर क्यों न हो, उसे छोड़ा नहीं जाएगा। यह सरकार ईमानदारी के सिद्धांत पर खड़ी है और भ्रष्टाचार को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
सीएम ने आगे कहा कि घोटाले की जड़ तक जाने और इसमें शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, भले ही वे किसी भी पद पर हों। उन्होंने जनता को आश्वस्त किया कि पंजाब में पारदर्शिता और जवाबदेही की संस्कृति को मजबूती से लागू किया जाएगा।
घोटाले में अब तक 24 गिरफ्तारियां
विजिलेंस विभाग की प्रारंभिक कार्रवाई में अब तक 24 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें आरटीए अधिकारी, बिचौलिए (एजेंट्स), और ड्राइविंग टेस्ट सेंटर्स से जुड़े कर्मचारी शामिल हैं। पूछताछ में सामने आया है कि लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया को पूरी तरह भ्रष्ट बना दिया गया था, जहां बिना ड्राइविंग टेस्ट के लाइसेंस जारी हो रहे थे।
विशेष रूप से उन लोगों को फायदा पहुंचाया जा रहा था, जो पैसे देकर प्रक्रिया को ‘बायपास’ करना चाहते थे। कई मामलों में तो उम्मीदवारों की जगह अन्य लोग टेस्ट दे रहे थे, या टेस्ट प्रक्रिया केवल कागजों पर होती थी।
जनता में नाराज़गी, सरकार की तेजी सराहनीय
इस मामले के उजागर होने के बाद आम जनता और सिविल सोसाइटी संगठनों में खासा गुस्सा देखा गया। ड्राइविंग लाइसेंस जैसी जरूरी सुविधा में भ्रष्टाचार से जहां सड़क सुरक्षा खतरे में पड़ती है, वहीं गरीब और ईमानदार नागरिकों के साथ अन्याय भी होता है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से की गई त्वरित और सख्त कार्रवाई को आमजन ने सकारात्मक कदम बताया है। सोशल मीडिया पर भी सरकार की ईमानदार छवि की तारीफ हो रही है।
आगे की कार्रवाई और जांच
सरकार ने संकेत दिए हैं कि घोटाले की जांच को अब स्वतंत्र एजेंसी या हाई-लेवल कमेटी से भी करवाया जा सकता है। साथ ही, यह भी तय किया गया है कि आरटीए और ड्राइविंग टेस्ट प्रक्रिया को डिजिटल रूप से अधिक पारदर्शी बनाया जाएगा ताकि भविष्य में इस तरह के घोटालों को रोका जा सके।