
पंजाब सरकार राज्य में औद्योगिक विकास को नई दिशा देने की तैयारी में जुट गई है। इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने घोषणा की है कि राज्य के हर औद्योगिक सेक्टर के लिए अलग-अलग कमेटियां गठित की जाएंगी। उद्योग मंत्री संजीव अरोड़ा ने जानकारी दी कि इन कमेटियों का उद्देश्य न केवल इंडस्ट्री से जुड़े मसलों को समझना होगा, बल्कि हर सेक्टर की जरूरतों के हिसाब से राज्य की औद्योगिक नीति (Industrial Policy) को मजबूती से आकार देना भी होगा।
मंत्री अरोड़ा ने बताया कि इन कमेटियों की संरचना बेहद व्यावसायिक और उद्देश्यपरक होगी। प्रत्येक कमेटी में चेयरमैन समेत कुल आठ से दस सदस्य होंगे, जिनमें संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ, उद्योगपति, व्यापारी प्रतिनिधि, और अन्य प्रमुख हितधारक शामिल किए जाएंगे। ये कमेटियां दो वर्षों की अवधि के लिए गठित की जाएंगी। कार्यकाल समाप्त होने के बाद, कमेटियों के प्रदर्शन की समीक्षा की जाएगी और आवश्यकतानुसार उनमें बदलाव भी किया जाएगा।
22 कमेटियों का गठन
सरकार कुल 22 सेक्टर-आधारित कमेटियां गठित करेगी। इनमें से प्रत्येक कमेटी किसी एक विशिष्ट इंडस्ट्री को फोकस करेगी, जैसे टेक्सटाइल, इलेक्ट्रिक वाहन, वेयरहाउसिंग, लॉजिस्टिक्स, मशीन टूल्स, ऑटोमोबाइल्स, फार्मास्यूटिकल्स, फूड प्रोसेसिंग, IT, एग्रो-इंडस्ट्रीज इत्यादि। टेक्सटाइल इंडस्ट्री को राज्य के लिए खास अहमियत देते हुए, इसके अंतर्गत तीन सब-कमेटियां भी बनाई जाएंगी ताकि इसका गहन विश्लेषण हो सके।
इसी तरह इलेक्ट्रिक वाहन सेक्टर के लिए भी एक अलग कमेटी गठित की जाएगी, जो ईवी मैन्युफैक्चरिंग से लेकर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तक हर पहलू पर सुझाव देगी। मंत्री अरोड़ा ने बताया कि वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में पंजाब में हाल के वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है, और इसे और अधिक संगठित एवं लाभकारी बनाने के लिए भी एक विशेष कमेटी काम करेगी।
ग्राउंड लेवल की चुनौतियों को समझने पर फोकस
इन कमेटियों का सबसे महत्वपूर्ण कार्य होगा – जमीनी स्तर पर उद्योगों के सामने आ रही समस्याओं और आवश्यकताओं की पहचान करना। चाहे वह लाइसेंसिंग की बाधाएं हों, पर्यावरण मंजूरी से जुड़े मसले हों, बिजली दरों में असमानता हो, या फिर कुशल श्रम की कमी – हर मुद्दे पर कमेटियां गहराई से विचार करेंगी और सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगी।
साथ ही, यह कमेटियां राज्य सरकार को यह भी सुझाव देंगी कि किस सेक्टर के लिए कौन-से स्पेशल इंसेंटिव्स दिए जा सकते हैं ताकि राज्य में निवेश आकर्षित किया जा सके और उद्योगों को बढ़ावा मिल सके।
ज्वाइंट इंडस्ट्रियल पॉलिसी की ओर कदम
इन सभी कमेटियों से प्राप्त सुझावों और फीडबैक के आधार पर एक समग्र ‘ज्वाइंट इंडस्ट्रियल पॉलिसी’ का प्रारूप तैयार किया जाएगा। सरकार का मानना है कि जब तक नीति निर्माण में सभी संबंधित पक्षों की भागीदारी नहीं होगी, तब तक प्रभावी नीति बनाना संभव नहीं है। इसलिए यह नीति पूरी तरह ‘बॉटम-अप अप्रोच’ (नीचे से ऊपर) पर आधारित होगी, जिसमें नीति ऊपर से थोपी नहीं जाएगी, बल्कि उद्योग जगत की भागीदारी से विकसित की जाएगी।
45 दिन में जुटाया जाएगा फीडबैक
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया के लिए समयसीमा भी निर्धारित की है। मंत्री अरोड़ा ने बताया कि सभी कमेटियों को अगले 45 दिनों के भीतर उद्योगों, व्यापारियों और उद्यमियों से संवाद करके फीडबैक इकट्ठा करना होगा और उसे विभाग को सौंपना होगा। इसके बाद फाइनल इंडस्ट्रियल पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा। यह ड्राफ्ट सितंबर 2025 के अंत तक आने की उम्मीद है।
इंडस्ट्री के लिए नया युग
इस पूरी पहल को पंजाब में उद्योगों के लिए एक “नए युग की शुरुआत” के रूप में देखा जा रहा है। सरकार का उद्देश्य है कि राज्य को न केवल उत्तरी भारत का औद्योगिक हब बनाया जाए, बल्कि देश के टॉप इंडस्ट्रियल डेस्टिनेश में से एक के रूप में स्थापित किया जाए।
मंत्री ने यह भी संकेत दिए कि नई नीति में कई प्रकार के निवेश प्रोत्साहन (Incentives) शामिल किए जा सकते हैं, जैसे टैक्स में छूट, लैंड अलॉटमेंट में प्राथमिकता, पर्यावरण मंजूरी में फास्ट ट्रैक मैकेनिज्म, MSME सेक्टर के लिए विशेष पैकेज और स्टार्टअप्स के लिए फंडिंग सपोर्ट।
नीति निर्माण में भागीदारी से मिलेगा विश्वास
उद्योग मंत्री ने स्पष्ट किया कि अब वो समय नहीं रहा जब सरकार अकेले नीति बनाती थी और उद्योग जगत को उसके अनुसार ढलना पड़ता था। उन्होंने कहा, “हम एक साझेदारी वाले युग में जी रहे हैं। सरकार, उद्योग और समाज—तीनों को मिलकर आगे बढ़ना होगा। यही कारण है कि हमने यह निर्णय लिया कि हर इंडस्ट्री से सीधे संवाद कर नीतिगत सुझाव लिए जाएं।”