
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज देहरादून में एक विशेष कार्यक्रम के दौरान राज्य के स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त 220 नवचयनित चिकित्सा अधिकारियों को औपचारिक रूप से नियुक्ति पत्र प्रदान किए। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने चिकित्सा अधिकारियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि राज्य की सेवा का माध्यम है, जिसे पूरी ईमानदारी, निष्ठा और परिश्रम के साथ निभाना होगा।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी के साथ स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, चयनित अभ्यर्थी और उनके परिजन बड़ी संख्या में मौजूद रहे। समारोह का आयोजन एक उत्सव के रूप में किया गया, जिसमें नई पीढ़ी के चिकित्सकों के योगदान को भविष्य की मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव बताया गया।
राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को मिलेगी मजबूती
सीएम धामी ने अपने संबोधन में कहा कि ये नियुक्तियां राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को जमीनी स्तर तक मजबूत करने के उद्देश्य से की गई हैं। “हमारी सरकार का उद्देश्य केवल नौकरी देना नहीं है, बल्कि एक ऐसा सिस्टम खड़ा करना है जो आम जनता को समय पर, गुणवत्तापूर्ण और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर सके,” उन्होंने कहा।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि डॉक्टर केवल पेशेवर नहीं, बल्कि समाज के प्रति जवाबदेह नागरिक होते हैं। उन्होंने नियुक्त हुए चिकित्सकों को आग्रह किया कि वे ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में अपनी सेवाएं पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ दें।
रिकॉर्ड तोड़ सरकारी भर्तियां, युवाओं को मिल रहा अवसर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर जानकारी दी कि पिछले चार वर्षों में उत्तराखंड सरकार ने पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के तहत 24,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी प्रदान की है, जो राज्य के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।
उन्होंने कहा, “हमने यह सुनिश्चित किया है कि हर योग्य और मेहनती युवा को अवसर मिले। भर्ती की प्रक्रिया से भ्रष्टाचार, सिफारिश और अराजकता को पूरी तरह खत्म किया गया है। आज उत्तराखंड में सरकारी नौकरी का मतलब है – योग्यता, पारदर्शिता और मेहनत।”
नकल विरोधी कानून बना उत्तराखंड की पहचान
सीएम धामी ने नकल माफिया पर लगाम लगाने के लिए लाए गए कड़े नकल विरोधी कानून की भी विशेष रूप से चर्चा की। उन्होंने बताया कि इस कानून के लागू होने के बाद से राज्य में सभी प्रतियोगी परीक्षाएं निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से आयोजित हो रही हैं।
उन्होंने कहा, “जब तक परीक्षाएं पारदर्शी नहीं होंगी, तब तक योग्य उम्मीदवारों के साथ न्याय नहीं हो सकता। हमने इस दिशा में कठोर कदम उठाए और आज नतीजा सबके सामने है – राज्य की युवाशक्ति को न्याय मिल रहा है।” इस कानून के तहत परीक्षा में नकल कराने या शामिल होने पर कठोर सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है, जिसने नकल माफिया की कमर तोड़ दी है।
चिकित्सा सेवा: सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। हाल के वर्षों में अस्पतालों के आधुनिकीकरण, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत करने, टेलीमेडिसिन सेवाओं को बढ़ावा देने और विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती जैसे कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि हर गांव और हर नागरिक को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा मिले, चाहे वो पहाड़ हो या मैदान। इसके लिए हमने बड़ी संख्या में चिकित्सा पदों को भरा है और आगे भी भरते रहेंगे।”
नियुक्तियों से जुड़े कुछ मुख्य तथ्य:
नियुक्ति पाने वाले 220 चिकित्सा अधिकारियों को राज्य के विभिन्न जिलों में तैनात किया जाएगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पतालों में सेवाएं देंगे नए चिकित्सक।नियुक्तियों में महिलाओं और पर्वतीय क्षेत्र के अभ्यर्थियों को वरीयता दी गई। यह नियुक्तियां उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) के माध्यम से पारदर्शी परीक्षा प्रणाली के तहत की गई हैं।
धामी सरकार का विजन: समृद्ध, स्वस्थ और सशक्त उत्तराखंड
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कार्यक्रम के अंत में कहा कि उत्तराखंड को एक “आदर्श और विकसित राज्य” बनाने का सपना अब साकार होता नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केवल आज के नहीं, बल्कि आने वाले 25 वर्षों के उत्तराखंड की योजना बना रही है।
“हम चाहते हैं कि उत्तराखंड ऐसा राज्य बने जहां युवा पलायन न करें, गांवों में भी स्वास्थ्य और शिक्षा की बेहतर सुविधाएं हों, और प्रत्येक नागरिक को जीवन के हर क्षेत्र में समान अवसर मिलें,” मुख्यमंत्री ने कहा। उन्होंने नई पीढ़ी के डॉक्टरों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे राज्य के भविष्य निर्माता हैं और उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है।