
नेपाल में हो रही भारी बारिश के कारण बिहार में नदियों के जलस्तर में अत्यधिक वृद्धि हो रही है। पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर बराज से चार लाख 74 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिससे दियारा क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। गंडक का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, और बराज के सभी 36 फाटक खोल दिए गए हैं।
नारायणघाट का प्रभाव
नेपाल के नारायणघाट से भी छह लाख 10 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिससे पहाड़ी नदियों का जलस्तर और भी बढ़ गया है। पश्चिमी चंपारण के गौनाहा प्रखंड के 200 गांव बाढ़ के पानी से प्रभावित हो गए हैं। स्थानीय प्रशासन ने लोगों को ऊंचे स्थानों पर शरण लेने की सलाह दी है, क्योंकि हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं।
1968 के रिकॉर्ड के आस-पास
कोसी बराज से 5.57 लाख क्यूसेक का जलस्राव दर्ज किया गया है, और सभी 56 फाटक खोल दिए गए हैं। यह स्थिति 1968 के रिकॉर्ड के करीब पहुंच गई है, जब कोसी बराज से 9,13,000 क्यूसेक जलस्राव हुआ था। नेपाल प्रशासन ने कोसी बराज होकर आवाजाही पर रोक लगा दी है, और उच्चतम सतर्कता बरती जा रही है।
प्रशासन की तैयारियां
मुख्य अभियंता ने बताया कि वर्तमान में कोसी बांध और बराज पर कोई खतरा नहीं है। विभाग के सभी अधिकारी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और तटबंध पर पूरी सतर्कता बरती जा रही है। बाढ़ की आशंका के मद्देनजर, वाल्मीकिनगर में प्रस्तावित इंडो-नेपाल बार्डर डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डिनेशन मीटिंग को स्थगित कर दिया गया है।
नरकटियागंज में उफान पर नदियां
पश्चिम चंपारण जिले के नरकटियागंज में कई नदियां जैसे पंडई, मनियारी, हरबोड़ा, और बिरहा उफान पर हैं। प्रशासन ने बाढ़ की स्थिति को देखते हुए लोगों से ऊंचे स्थानों पर शरण लेने का आग्रह किया है। इसी बीच, मधुबनी में कोसी बराज से 5.49 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, और डगमारा में बाढ़ का पानी पुल पर चढ़ गया है।
बागमती और अन्य नदियों की स्थिति
शिवहर में बागमती नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। सीतामढ़ी में भी बागमती, लालबकेया, झीम और रातो नदी के जलस्तर में वृद्धि हो रही है, जिससे निचले इलाकों में पानी फैलने का खतरा बढ़ गया है।
सुपौल में बाढ़ का कहर
सुपौल के छातापुर में सुरसर, गैड़ा, और मिरचैया नदियों में बाढ़ आई है, जिससे सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न हो गई है। सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड के ढोली गांव में बांध टूटने के कारण कई घरों में पानी प्रवेश कर गया है। किशनपुर प्रखंड के तटबंध के अंदर बसे गांवों में भी बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है।
अररिया और गोपालगंज की चुनौती
अररिया में बाढ़ का पानी NH-327(E) से 1 मीटर ऊपर बह रहा है, जिससे सड़कें कट गई हैं और रेलवे पुल निर्माण शिविर में पानी घुस गया है। गोपालगंज में वाल्मीकिनगर बराज से अधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है। प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है, और सभी अधिकारियों की छुट्टियाँ रद्द कर दी गई हैं।