
बिहार की राजनीति में आज जबरदस्त उबाल देखने को मिला। राजधानी पटना के सियासी गलियारों में उस वक्त हलचल तेज हो गई, जब कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के नेतृत्व में ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा को पुलिस ने बीच रास्ते में ही रोक दिया। यह यात्रा आज पटना स्थित सदाकत आश्रम से मुख्यमंत्री आवास की ओर निकाली गई थी, लेकिन राजापुल के पास पुलिस ने इसे रोकते हुए कन्हैया कुमार समेत कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।
प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हल्की झड़प भी देखने को मिली। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का भी प्रयोग किया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे शांतिपूर्वक मार्च कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें जबरन रोका और गिरफ्तार किया गया।
पलायन और बेरोजगारी के खिलाफ कांग्रेस की मुहिम
यह विरोध प्रदर्शन कांग्रेस की उस लंबी पदयात्रा का हिस्सा है जिसकी शुरुआत 16 मार्च को पश्चिम चंपारण के ऐतिहासिक भितिहरवा गांधी आश्रम से हुई थी। इस यात्रा को ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ नाम दिया गया, जिसका उद्देश्य बिहार के युवाओं को रोजगार दिलाने की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बनाना था। कांग्रेस के अनुसार, इस अभियान में लाखों लोगों ने हिस्सा लिया और यह आंदोलन अब एक बड़े जनसरोकार का रूप ले चुका है।
प्रदर्शन से पहले कन्हैया कुमार ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, “बिहार की जनता बेरोजगारी, महंगाई और गरीबी से त्रस्त है। यहां के युवाओं को अपने घर से दूर दूसरे राज्यों में पलायन करना पड़ रहा है। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, यह एक जनसंघर्ष है। हम सिर्फ सरकार से रोजगार की मांग कर रहे हैं, लेकिन जवाब में हमें पुलिसिया दमन मिल रहा है।”
मुख्यमंत्री आवास तक मार्च की थी योजना
कांग्रेस की योजना थी कि वे पटना के सदाकत आश्रम से मार्च निकालकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास तक पहुंचेंगे और उन्हें एक मांग पत्र सौंपेंगे, जिसमें युवाओं को रोजगार देने की मांग प्रमुख रूप से रखी गई थी। कन्हैया कुमार ने स्पष्ट किया कि उनका इरादा शांति और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का था। उन्होंने कहा, “हम मुख्यमंत्री से मिलकर बेरोजगारों की आवाज उनके कानों तक पहुंचाना चाहते हैं। यह हमारी लोकतांत्रिक मांग है।”
कांग्रेस का दावा है कि आज के मार्च में पांच हजार से ज्यादा कार्यकर्ता और नेता शामिल हुए। महिला कार्यकर्ताओं की भी अच्छी-खासी भागीदारी रही। लेकिन इससे पहले कि यात्रा सीएम हाउस तक पहुंचती, पुलिस ने इसे राजापुल के पास ही रोक दिया।
प्रशासन ने कसी सुरक्षा की कमान
कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पटना जिला प्रशासन पहले से ही सतर्क था। पटना के एसएसपी ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी थी और प्रमुख मार्गों पर अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई थी। कई जगहों पर बेरिकेडिंग की गई, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। प्रशासन का तर्क है कि इस तरह का प्रदर्शन कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बन सकता था, इसलिए इसे बीच में ही रोका गया।
पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने तय मार्ग से हटकर अचानक मुख्य मार्गों पर मार्च करने की कोशिश की, जिससे यातायात व्यवस्था बिगड़ने का खतरा पैदा हो गया था। इसी वजह से मजबूरी में पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी।
कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, “यह लोकतंत्र की हत्या है। जब विपक्ष अपनी बात रखने के लिए सड़क पर उतरता है तो उसे दबाया जाता है। भाजपा और जेडीयू की सरकार युवाओं की आवाज से डरती है।”
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह संघर्ष अब और व्यापक रूप लेगा। “हम इस आंदोलन को गांव-गांव तक पहुंचाएंगे। अगर सरकार सोचती है कि हमारे नेताओं को गिरफ्तार करके वह हमारी आवाज को रोक सकती है, तो वह गलतफहमी में है,” एक कांग्रेस नेता ने कहा।
कन्हैया की राजनीतिक अपील और रणनीति
कन्हैया कुमार, जो पहले जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं और अपनी दमदार वक्तृत्व कला के लिए जाने जाते हैं, अब कांग्रेस में एक उभरते हुए चेहरे के रूप में देखे जा रहे हैं। उन्होंने इस यात्रा को गांधीवादी तरीके से शुरू किया था और अब इसे ‘सत्याग्रह और संघर्ष’ का नाम दे दिया है।
उन्होंने कहा, “हमारे पूर्वजों ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए जिस तरह सत्याग्रह किया था, आज हम उसी राह पर चल रहे हैं। हमारी लड़ाई सत्ता से नहीं, सोच से है। यह सोच जो बेरोजगारी को नज़रअंदाज़ करती है, पलायन को नियति मानती है।”