पटना: बिहार में BPSC (बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन) के परीक्षा परिणाम को लेकर छात्रों का आंदोलन पिछले कुछ हफ्तों से जारी है, और अब इस आंदोलन ने एक नया मोड़ लिया है। जन सुराज के संस्थापक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मंगलवार (31 दिसंबर) को एबीपी न्यूज़ के साथ एक विशेष बातचीत में बिहार सरकार की भूमिका और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री “सीन से गायब” हैं और छात्रों के शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की घटनाओं की कड़ी आलोचना की।
छात्रों का आंदोलन: 15 दिनों से धरने पर बैठे छात्र
प्रशांत किशोर ने कहा कि चार लाख से अधिक छात्र पिछले 15 दिनों से शांतिपूर्ण तरीके से BPSC परीक्षा परिणाम और प्रक्रिया में अनियमितताओं के खिलाफ धरने पर बैठे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब तक उनसे मिलने का समय नहीं दिया। उन्होंने कहा कि इन छात्रों की कुछ मांगें और शिकायतें हैं, जिनका समाधान सरकार को अविलंब करना चाहिए।
किशोर ने बताया कि शुरुआती दिनों में कोई राजनीतिक दल इस आंदोलन से नहीं जुड़ा, लेकिन जब पुलिस ने छात्रों पर बर्बरता से लाठीचार्ज किया, तो हम जैसे लोग उनके समर्थन में खड़े हुए। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी रहा है, और किसी भी सभ्य समाज में यह स्वीकार्य नहीं हो सकता कि सरकार लाठी तंत्र के माध्यम से आंदोलनकारियों को दबाए।
“हम बच्चे के साथ खड़े हैं, सरकार से मांग है कि बच्चों से बात करें”
प्रशांत किशोर ने कहा कि उन्होंने और उनकी टीम ने छात्रों के अधिकारों के लिए खड़ा होने का निर्णय लिया है। उनकी मांग यह थी कि सरकार छात्रों से बात करे और उनकी समस्याओं का समाधान निकाले। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार को कुछ समस्याएं और शिकायतें सही न लगें, तो उन्हें खारिज किया जा सकता है, लेकिन छात्रों पर एफआईआर दर्ज करना, उन्हें लाठी से पीटना और डराना-धमकाना पूरी तरह से गलत है।
किशोर ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई और कहा कि लोकतंत्र में बच्चों को प्रताड़ित करना और उन्हें डराना अस्वीकार्य है। “बिहार एक लोकतांत्रिक राज्य है, और कोई भी सरकार ऐसी बर्बरता को नहीं मना सकती,” उन्होंने कहा।
गांधी मैदान में छात्रों की संसद और लाठीचार्ज की घटना
प्रशांत किशोर ने आंदोलन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि गांधी मैदान में छात्र संसद का आयोजन किया गया, जहां 15,000 छात्र इकट्ठा हुए थे। इस दौरान, छात्रों ने अपनी एक नेतृत्व समिति बनाई, जिसमें किसी भी कोचिंग संचालक या राजनीतिक नेता को शामिल नहीं किया गया।
किशोर ने बताया कि आंदोलन के दौरान जब पुलिस ने छात्रों को रोकने का प्रयास किया, तो वे खुद पहले से ही वहां मौजूद थे, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से हो और कोई असामाजिक तत्व उसमें बाधा न डाले। जब पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया, तो किशोर ने कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “यह बिल्कुल गलत है, यदि कोई कानून का उल्लंघन कर रहा था तो कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन छात्रों को लाठी से मारना पूरी तरह से अवैध और बर्बर है।”
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी पर सवाल
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार की चुप्पी पर सवाल उठाया और कहा कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर मुख्यमंत्री का मौन रहना दर्शाता है कि उनका राजनीतिक करियर अब अपने अंतिम दौर में है। किशोर ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार केवल अपनी गद्दी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जनता को इस समय उनके कार्यों का जवाब देना चाहिए।
किशोर ने कहा, “2015 में, मैंने नीतीश कुमार की पार्टी को सत्ता में लाने में मदद की, लेकिन अब उनका खुद का राजनीतिक भविष्य खतरे में है। जब चुनाव होंगे, तो जनता खुद तय करेगी कि उन्हें किसे चुनना है।”
सरकार और प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी
प्रशांत किशोर ने कहा कि पुलिस और प्रशासन द्वारा की गई बर्बरता के खिलाफ वे एफआईआर दर्ज कराएंगे। “यदि अधिकारियों ने कानून का उल्लंघन किया है, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। कोई भी अधिकारी कानून से ऊपर नहीं हो सकता। अगर यह गलत है, तो इसे सही किया जाना चाहिए,” उन्होंने कहा।
किशोर ने बिहार में लालू यादव के शासन के दौरान अपराधियों के राज और वर्तमान में नीतीश कुमार के शासन में अधिकारियों के प्रभाव की तुलना की। उन्होंने कहा कि जिस तरह से लालू यादव के समय में अपराधी राज चलता था, उसी तरह अब अधिकारियों का राज चल रहा है, जो लोकतंत्र के खिलाफ है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना
प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि प्रशासन ने छात्रों से बातचीत करने का एक प्रस्ताव रखा था, जिसमें छात्रों को मुख्य सचिव से मिलने का अवसर दिया गया था। हालांकि, जब कुछ छात्रों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया, तो बाकी छात्रों ने वहीं गांधी मैदान में बैठकर प्रदर्शन जारी रखा। किशोर ने कहा कि प्रशासन को इस स्थिति को और अधिक गंभीरता से लेना चाहिए था और छात्रों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए थी।
उन्होंने लाठीचार्ज के दौरान पुलिस की कार्रवाई को “बेहद गलत” बताया और कहा कि इस घटना के बाद उन्होंने प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का फैसला लिया।
निष्कर्ष
प्रशांत किशोर ने इस बातचीत में बिहार की सरकार पर तीखा हमला किया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी को लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया। उनका कहना था कि सरकार को छात्रों से सीधे संवाद करना चाहिए और उनकी समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। किशोर ने इस पूरे घटनाक्रम को एक राजनीतिक मुद्दे के रूप में देखा और कहा कि आगामी चुनावों में जनता अपनी राय देने का पूरा अधिकार रखती है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस आंदोलन के बाद नीतीश कुमार और बिहार सरकार किस प्रकार की प्रतिक्रिया देती है और क्या छात्रों की मांगें पूरी होती हैं।