भाजपा की तरफ से राज्यसभा उपचुनाव में उम्मीदवार रेखा शर्मा ने मंगलवार को नामांकन दाखिल किया। उनके साथ मुख्यमंत्री नायब सैनी भी मौजूद थे। रेखा शर्मा का राज्यसभा उपचुनाव में जीतना लगभग तय माना जा रहा है, क्योंकि भाजपा के पास जीत के लिए पर्याप्त संख्या बल है। इस चुनाव के परिणाम पहले से ही भाजपा के पक्ष में दिख रहे हैं।
रेखा शर्मा के नाम की घोषणा ने सभी को चौंका दिया था, क्योंकि उनका नाम राज्यसभा उम्मीदवारों की दौड़ में कहीं नहीं था। हालांकि, भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार घोषित करके एक नई दिशा दी है। रेखा शर्मा राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकी हैं और भाजपा से लंबे समय से जुड़ी हुई हैं।
कृष्ण लाल पंवार के कैबिनेट मंत्री बनने से खाली हुई राज्यसभा सीट
हरियाणा की राज्यसभा सीट के लिए यह उपचुनाव कृष्ण लाल पंवार के कैबिनेट मंत्री बनने के कारण खाली हुई है। पंवार ने हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाई है, जिससे उनकी राज्यसभा सीट रिक्त हुई। इस सीट के लिए 20 दिसंबर को चुनाव होना है। भाजपा ने इस उपचुनाव को लेकर अपनी तैयारी पूरी कर ली है और रेखा शर्मा के नाम पर सहमति बनने के बाद उनका नाम उम्मीदवार के रूप में घोषित किया गया।
रेखा शर्मा के उम्मीदवार बनने पर राजनीति में हलचल
राज्यसभा के इस उपचुनाव में रेखा शर्मा का नाम आते ही राजनीति में हलचल मच गई। विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी चर्चा कालका विधानसभा से चुनाव लड़ने की थी, लेकिन पार्टी ने इस सीट से शक्ति रानी शर्मा को उतारा। हालांकि, रेखा शर्मा के नाम पर पार्टी की मुहर दिल्ली से ही लगी, जिससे यह साफ हो गया कि पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के उम्मीदवार के रूप में चुना है। रेखा शर्मा के नाम की घोषणा भाजपा के लिए एक सशक्त रणनीतिक कदम मानी जा रही है, क्योंकि उनके पास पार्टी का मजबूत समर्थन है और उनकी छवि भी बहुत सकारात्मक रही है।
इससे पहले, राज्यसभा के दावेदारों की दौड़ में भाजपा के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल थे। इनमें प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली, पूर्व सांसद संजय भाटिया, पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई और पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल जैसे नेता शामिल थे। इन नेताओं के बीच रेखा शर्मा का नाम उभरकर सामने आया और भाजपा ने उसे अपनी प्रत्याशी के रूप में घोषित किया।
निर्विरोध चुने जाने की संभावना
रेखा शर्मा का राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने जाना लगभग तय माना जा रहा है। हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा के पास 48 विधायक हैं और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी प्राप्त है। भाजपा के पास पर्याप्त संख्या बल है, जिससे रेखा शर्मा का जीतना सुनिश्चित है। वहीं, कांग्रेस ने राज्यसभा उम्मीदवार उतारने से मना कर दिया है, क्योंकि उनके पास केवल 37 विधायक हैं। कांग्रेस के पास संख्या बल की कमी है, जो इस चुनाव में उनके लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है।
कांग्रेस ने पहले ही यह घोषणा की थी कि वह इस उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेगी। इससे पहले भी, जब किरण चौधरी को राज्यसभा के लिए चुना गया था, तो उस दौरान भी कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हाल ही में यह कहा था कि यदि राज्यसभा के लिए दो सीटें होतीं तो वे अपना उम्मीदवार जरूर उतारते, लेकिन अब कांग्रेस ने राज्यसभा के इस उपचुनाव में अपने उम्मीदवार को नहीं उतारने का निर्णय लिया है।
भाजपा के पक्ष में स्थिति
राज्यसभा के इस उपचुनाव में भाजपा की स्थिति बहुत मजबूत है, क्योंकि राज्यसभा सीट के लिए निर्वाचन में पार्टी के पास पर्याप्त संख्या बल है। हरियाणा विधानसभा में भाजपा के पास 48 विधायक हैं, जो जीतने के लिए पर्याप्त हैं। इसके अलावा, तीन निर्दलीय विधायकों का भी भाजपा को समर्थन प्राप्त है, जो और भी सुनिश्चित करते हैं कि रेखा शर्मा का राज्यसभा सदस्य चुना जाना लगभग तय है।
कांग्रेस के पास इस चुनाव में केवल 37 विधायक हैं, जो कि भाजपा के मुकाबले बहुत कम हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए राज्यसभा में अपनी स्थिति मजबूत करना कठिन है, क्योंकि उनके पास उम्मीदवार उतारने के लिए जरूरी संख्या नहीं है। हालांकि, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दो दिन पहले यह कहा था कि यदि राज्यसभा के लिए दो सीटें होतीं, तो वे कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में अपने नाम को आगे रखते। लेकिन चूंकि यह केवल एक सीट के लिए उपचुनाव है, इसलिए कांग्रेस ने इस चुनाव में किसी उम्मीदवार को खड़ा नहीं किया।
भाजपा के लिए एक बड़ी जीत
भाजपा के लिए रेखा शर्मा का नामांकन एक बड़ी जीत की शुरुआत हो सकता है। उनका नाम भाजपा के लिए राजनीति में एक सशक्त कदम साबित हो सकता है, क्योंकि रेखा शर्मा की छवि एक निष्पक्ष और ईमानदार नेता की रही है। वे महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर भी सक्रिय रही हैं, और उनका राज्यसभा में जाना भाजपा के लिए एक सकारात्मक संदेश भेज सकता है।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि रेखा शर्मा की नियुक्ति से पार्टी को राज्यसभा में मजबूती मिलेगी और हरियाणा में भाजपा की पकड़ और भी मजबूत होगी। उनका चुनाव भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक रणनीति हो सकता है, क्योंकि रेखा शर्मा को राज्यसभा में भेजकर पार्टी अपनी छवि को और भी मजबूत कर सकती है।