
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा शुरू किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक समीकरणों में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इसी कड़ी में, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए तुर्किये के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ किया गया अकादमिक समझौता निलंबित कर दिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस निर्णय का कारण राष्ट्रीय सुरक्षा बताया है।
JNU द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, “राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से जेएनयू और इनोनू विश्वविद्यालय, तुर्किये के बीच समझौता ज्ञापन को अगली सूचना तक निलंबित कर दिया गया है।”
यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब भारत और तुर्किये के बीच तनाव चरम पर है। भारत में तुर्किये के खिलाफ विरोध की लहर है और आम नागरिकों से लेकर शैक्षणिक संस्थानों तक में इसकी प्रतिक्रिया देखी जा रही है।
समझौते की पृष्ठभूमि
यह समझौता ज्ञापन (MoU) भारत और तुर्किये के बीच शैक्षणिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 3 फरवरी 2025 को तीन साल की अवधि के लिए किया गया था। इस समझौते में छात्र एवं संकाय विनिमय, संयुक्त शोध परियोजनाएं और शैक्षणिक सेमिनार आदि शामिल थे।
इनोनू विश्वविद्यालय, जो कि तुर्किये के मालट्या में स्थित है, ने JNU के साथ इस साझेदारी को क्रॉस-कल्चरल रिसर्च और वैश्विक शैक्षणिक सहभागिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया था। लेकिन अब यह सहयोग भू-राजनीतिक तनावों की भेंट चढ़ गया है।
JNU के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के मद्देनजर, हमने इस MoU को फिलहाल निलंबित करने का निर्णय लिया है। वर्तमान अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य को देखते हुए यह आवश्यक हो गया था।”
तुर्किये का पाकिस्तान को समर्थन और उसका असर
इस निर्णय के पीछे सबसे बड़ा कारण तुर्किये द्वारा पाकिस्तान को दिया गया खुला समर्थन है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान में स्थित आतंकी शिविरों पर सटीक हमले किए, जो कि पहलगाम आतंकी हमले का जवाब थे। इन हमलों की निंदा करते हुए तुर्किये ने पाकिस्तान का समर्थन किया और भारत से संयम बरतने की अपील की।
तुर्की के इस रुख को भारत में “पक्षपातपूर्ण और असंवेदनशील” बताया गया है। जहां एक ओर भारत ने अपने नागरिकों और जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए, वहीं दूसरी ओर तुर्किये ने भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को दरकिनार करते हुए पाकिस्तान का पक्ष लिया।
इस रुख से भारत में गहरी नाराजगी पैदा हुई है। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey, #IndiaFirst और #SupportOperationSindoor जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं। लोगों ने तुर्की के सामान, पर्यटन और सेवाओं के बहिष्कार की मांग की है।
व्यापार और पर्यटन पर असर
तुर्किये के इस रुख के बाद भारत और तुर्की के बीच आर्थिक संबंधों पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। भारत में प्रमुख ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफॉर्म्स जैसे EaseMyTrip और Ixigo ने तुर्किये की यात्रा को लेकर एडवाइजरी जारी कर दी है। इन प्लेटफॉर्म्स ने यात्रियों से तुर्किये न जाने की अपील की है, विशेष रूप से सुरक्षा कारणों के चलते।
बाजार में भी तुर्की से आयातित उत्पादों के बहिष्कार की मांग तेज हो गई है। कई व्यापारिक संगठनों ने सरकार से तुर्किये के साथ व्यापारिक संबंधों की समीक्षा करने की मांग की है।