हरियाणा में राज्यसभा की एक खाली सीट पर उपचुनाव का आयोजन 20 दिसंबर को होगा, जैसा कि चुनाव आयोग ने मंगलवार को अपनी अधिसूचना जारी की। यह सीट भाजपा नेता कृष्णलाल पंवार के पानीपत के इसराना से विधायक चुने जाने के बाद खाली हुई थी। पंवार का कार्यकाल अगस्त 2028 तक था, लेकिन उनके विधायक बनने के बाद इस सीट पर उपचुनाव अनिवार्य हो गया। इस उपचुनाव के परिणामों को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की जीत तय है, क्योंकि राज्य विधानसभा में भाजपा के पास पूर्ण बहुमत है। हालांकि दावेदारों के बीच यह मुकाबला दिलचस्प रहेगा, क्योंकि तीन प्रमुख नामों की चर्चा है—भा.ज.पा. प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली, पूर्व सांसद संजय भाटिया, और पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल। इन तीनों में से किसे भाजपा राज्यसभा भेजेगी, यह सवाल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। राज्यसभा सीट पर भाजपा के दावेदारों में मोहन लाल बड़ौली, संजय भाटिया और सुनीता दुग्गल का नाम सबसे ऊपर है।
मोहन लाल बड़ौली – सबसे प्रबल दावेदार
भा.ज.पा. के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली को इस सीट के लिए सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है। उनके प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए भाजपा ने विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की थी, जो उनके नेतृत्व की क्षमता को दर्शाता है। वे पार्टी के ब्राह्मण चेहरे के रूप में उभरे हैं और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के करीबी सहयोगी भी हैं। उनकी पार्टी में अच्छी पकड़ और राजनीतिक अनुभव उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाता है।
संजय भाटिया – प्रभावशाली नेता
पूर्व सांसद संजय भाटिया का नाम भी इस सीट के लिए चर्चा में है। वह विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें रैलियों के आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी थी। संजय भाटिया ने सफल रैलियों का आयोजन कर पार्टी की स्थिति को और मजबूत किया, जिससे उनका कद और बढ़ा है। पार्टी में उनका प्रभाव और कार्यकर्ता वर्ग में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें इस पद का दावेदार माना जा रहा है।
सुनीता दुग्गल – दलित समुदाय से ताल्लुक
पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल का नाम भी इस उपचुनाव के दावेदारों में शुमार है। वह दलित समुदाय से आती हैं और कृष्णलाल पंवार भी दलित थे, ऐसे में भाजपा दलित सीट को दलित से भरने का फैसला ले सकती है। सुनीता दुग्गल की राजनीतिक पृष्ठभूमि और पार्टी के प्रति उनकी वफादारी उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाती है। अगर भाजपा दलित समाज से किसी नेता को इस सीट पर भेजती है, तो सुनीता दुग्गल के पक्ष में यह एक अहम तर्क हो सकता है।
उपचुनाव की प्रक्रिया
राज्यसभा सदस्य के उपचुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया तीन दिसंबर से शुरू होगी। उम्मीदवारों को 10 दिसंबर तक नामांकन पत्र भरने का समय मिलेगा। 11 दिसंबर को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी और 13 दिसंबर तक उम्मीदवार अपने नामांकन वापस ले सकेंगे। अगर चुनाव की स्थिति बनती है तो 20 दिसंबर को उपचुनाव के लिए मतदान होगा।
हालांकि हरियाणा में चुनाव की स्थिति बनती नहीं दिख रही है क्योंकि भाजपा के पास विधानसभा में पूर्ण बहुमत है। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि उपचुनाव के लिए कोई उम्मीदवार नहीं होगा और 20 दिसंबर को ही राज्यसभा के सांसद का नाम घोषित कर दिया जाएगा।
हरियाणा में राज्यसभा की मौजूदा स्थिति
हरियाणा में राज्यसभा की कुल पांच सीटें हैं और वर्तमान में इन सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने इन सीटों पर अपनी स्थिति मजबूत कर रखी है, और पार्टी का राज्यसभा में प्रभाव स्पष्ट है। इस उपचुनाव के माध्यम से पार्टी अपनी पकड़ और मजबूत करने की कोशिश करेगी, खासकर जब पार्टी के नेताओं के बीच इस सीट को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ी हुई है।