
उत्तराखंड की सियासत में इन दिनों एक बार फिर कैबिनेट विस्तार को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इस मुद्दे पर खुलकर बयान दिए हैं, जिससे साफ हो गया है कि राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार अब ज्यादा दूर नहीं है। खाली पड़े पांच कैबिनेट पदों को लेकर काफी समय से अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन अब नेतृत्व स्तर पर चर्चा पूरी होने की बात कही जा रही है।
लंबे समय से खाली हैं मंत्री पद
राज्य सरकार में इस समय कुल पांच मंत्री पद खाली हैं, जिनमें चार पद काफी समय से रिक्त हैं जबकि एक पद पूर्व संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद खाली हुआ है। भाजपा सरकार के तीन साल पूरे होने के बावजूद इन खाली पदों को भरने को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया था, जिससे न सिर्फ संगठन में असंतोष पनपने लगा था, बल्कि सरकार की कार्यकुशलता पर भी सवाल उठने लगे थे।
इन रिक्त पदों को भरने के लिए कई बार नामों पर मंथन किया गया, लेकिन अंतिम फैसला नहीं हो सका। अब मुख्यमंत्री धामी के हालिया दिल्ली दौरे के दौरान शीर्ष नेतृत्व से हुई बातचीत के बाद इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की संभावना है।
सीएम और प्रदेश अध्यक्ष ने दिए संकेत
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा,“कैबिनेट विस्तार को लेकर हाईकमान से बातचीत चल रही है। हमारी पार्टी लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर निर्णय लेती है। हाईकमान के निर्देश के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा।” वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी स्पष्ट रूप से कहा कि, “कैबिनेट में खाली पदों को भरने के लिए लंबे समय से कवायद चल रही है। अब इन पदों को भरने का समय आ गया है और जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।” इन बयानों के बाद भाजपा खेमे में हलचल बढ़ गई है और विधायकों की धड़कनें तेज हो गई हैं जो मंत्री बनने की कतार में हैं।
कौन-कौन हैं दौड़ में?
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पार्टी और संगठन दोनों ही स्तर पर लंबे समय से मंथन चल रहा है। संभावित चेहरों की सूची में कई वरिष्ठ और प्रभावशाली विधायकों के नाम चर्चा में हैं:
- खजान दास: देहरादून कैंट से विधायक और संगठन के पुराने चेहरे। सामाजिक समीकरणों में फिट बैठते हैं।
- मदन कौशिक: हरिद्वार से विधायक, पूर्व मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष। अनुभव और कार्यकुशलता दोनों के कारण मजबूत दावेदार।
- प्रदीप बत्रा: रुड़की से विधायक, पिछड़ी जाति से आते हैं और हरिद्वार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- विनोद कंडारी: श्रीनगर से विधायक, युवा चेहरा और संगठन में सक्रिय भूमिका।
- भरत चौधरी: चंपावत जिले से हैं, मुख्यमंत्री धामी के गृह जिले से होने के चलते समीकरणों में अहम।
- बंशीधर भगत: नैनीताल से विधायक, पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री।
- बिशन सिंह चुफाल: पिथौरागढ़ से विधायक, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और संगठन के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार।
- राम सिंह कैड़ा: दलित समुदाय से आते हैं, पार्टी में लंबे समय से सक्रिय।
इन सभी नामों पर गहन विचार किया जा रहा है और क्षेत्रीय, जातीय और राजनीतिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए ही चयन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
राजनीतिक संतुलन भी है चुनौती
उत्तराखंड की राजनीति में क्षेत्रीय संतुलन एक अहम पहलू है। सरकार को गढ़वाल-कुमाऊं, मैदानी-पहाड़ी और जातीय प्रतिनिधित्व के आधार पर संतुलन बनाना होता है। वर्तमान मंत्रिमंडल में कई क्षेत्रों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, इसलिए नए चेहरों के चयन में इस पहलू को भी अहम माना जा रहा है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि कैबिनेट विस्तार का यह अवसर आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव की रणनीति से भी जुड़ा हुआ है। भाजपा चाहती है कि मंत्री पद के जरिए ऐसे चेहरों को जिम्मेदारी दी जाए जो संगठनात्मक रूप से मजबूत हों और आगामी चुनाव में पार्टी को मजबूती दे सकें।
दिल्ली दरबार से मिली हरी झंडी?
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री धामी के हालिया दिल्ली दौरे के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मंत्रिमंडल विस्तार पर विस्तार से चर्चा हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान ने हरी झंडी दे दी है और अब मुख्यमंत्री को उपयुक्त समय पर यह विस्तार करने की छूट दी गई है। हालांकि, केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति यह भी रही है कि कोई भी निर्णय संगठन की एकजुटता को प्रभावित न करे। इसलिए नामों पर सहमति बनाने में वक्त लगा।