
उत्तराखंड की सरकार आज एक ऐतिहासिक निर्णय की ओर बढ़ सकती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को होने वाली राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदेश की पहली योग नीति को मंजूरी मिल सकती है। इसके साथ ही राज्य सरकार कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को गोल्डन कार्ड के माध्यम से कैशलेस इलाज की सुविधा को और सुदृढ़ बनाने के लिए नई व्यवस्था को मंजूरी देने पर भी विचार कर रही है।
कैबिनेट की यह बैठक न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राज्य की स्वास्थ्य, शिक्षा और आध्यात्मिक पर्यटन नीति में व्यापक बदलाव की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।
योग नीति: स्वास्थ्य और पर्यटन को मिलेगा नया आयाम
पिछले दो वर्षों से प्रदेश सरकार योग नीति पर काम कर रही थी, जिसकी तैयारियों को अब अंतिम रूप दिया जा चुका है। योग नीति का उद्देश्य न केवल योग को जनसामान्य की दिनचर्या का हिस्सा बनाना है, बल्कि इसे एक संगठित और संस्थागत स्वरूप भी प्रदान करना है।
प्रस्तावित नीति के तहत प्रदेश में योग और ध्यान से संबंधित बुनियादी ढांचा विकसित किया जाएगा। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि योग, नेचुरोपैथी और आध्यात्मिक केंद्रों के निर्माण में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके लिए 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी देने का प्रावधान किया जा सकता है। प्रदेश के सभी स्कूलों में योग और ध्यान को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। सभी योग एवं ध्यान केंद्रों को पंजीकृत करना अनिवार्य होगा। ध्यान गुफाएं, विपासना केंद्र और योग रिट्रीट निर्माण के लिए नियमन और दिशा-निर्देश तैयार किए जाएंगे। स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योग केंद्रों को धार्मिक और प्राकृतिक स्थलों के पास विकसित किया जाएगा।
गोल्डन कार्ड में कैशलेस इलाज: नई व्यवस्था की संभावना
प्रदेश सरकार कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों के लिए संचालित गोल्डन कार्ड योजना में नई व्यवस्था लागू करने जा रही है। यह योजना पहले से ही कैशलेस इलाज की सुविधा देती है, लेकिन इसके लिए फंडिंग की समस्या बनी हुई है।
सूत्रों के अनुसार वर्तमान में कर्मचारियों के अंशदान से सालाना लगभग 120 करोड़ रुपये प्राप्त हो रहे हैं। जबकि इलाज पर होने वाला कुल खर्च इससे दोगुना तक पहुंच जाता है। इस वित्तीय असंतुलन को देखते हुए सरकार एक नई व्यवस्था लागू करने पर विचार कर रही है, जिसमें ‘गैप फंडिंग’ मॉडल अपनाया जा सकता है। फंडिंग गैप को पूरा करने के लिए राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त बजट का प्रावधान। बीमा कंपनियों के साथ नई साझेदारी की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। निजी अस्पतालों में इलाज के रेट पुनः तय किए जाएंगे ताकि लागत नियंत्रित की जा सके। कैशलेस इलाज को और पारदर्शी एवं सुगम बनाने के लिए तकनीकी आधार को मजबूत किया जाएगा।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार गोल्डन कार्ड योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष लाखों लोगों को लाभ मिलता है। हालांकि, फंडिंग की कमी के कारण कई बार लाभार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। नई नीति से इस समस्या के समाधान की उम्मीद की जा रही है।