
उत्तराखंड सरकार द्वारा हर्रावाला में निर्मित सुपर स्पेशियलिटी कैंसर अस्पताल के संचालन को लेकर एक बड़ा निर्णय जल्द ही कैबिनेट में लिया जाएगा। यह अस्पताल 106 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है और इसका उद्देश्य प्रदेश के कैंसर मरीजों को अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएं मुहैया कराना है। सरकार इस अस्पताल का संचालन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर कराने की तैयारी में है, जिसके तहत इसे नई दिल्ली स्थित राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र को सौंपे जाने की प्रक्रिया चल रही है।
PPP मोड से संचालन की योजना
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने जानकारी दी कि राज्य सरकार ने पहले ही तय कर लिया है कि अस्पताल का संचालन PPP मॉडल पर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में स्वास्थ्य विभाग की ओर से राजीव गांधी कैंसर संस्थान से चर्चा की जा चुकी है और अब अंतिम निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया जाएगा। यदि कैबिनेट में इस पर मुहर लगती है तो राजीव गांधी संस्थान को संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी, जिससे विशेषज्ञ सेवाओं का लाभ उत्तराखंड के मरीजों को घर बैठे मिल सकेगा।
2020 में रखा गया था शिलान्यास
हर्रावाला सुपर स्पेशियलिटी कैंसर अस्पताल की आधारशिला वर्ष 2020 में रखी गई थी। इस परियोजना को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत केंद्र सरकार और राज्य सरकार के वित्तीय सहयोग से विकसित किया गया है। तीन वर्षों के भीतर 300 बिस्तरों वाला यह अस्पताल पूरी तरह तैयार हो चुका है और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है।
कैंसर मरीजों को नहीं जाना होगा अन्य राज्यों में
इस अस्पताल के शुरू होने से उत्तराखंड के कैंसर मरीजों को दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई या लखनऊ जैसे बड़े शहरों में इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। मरीजों को एक ही स्थान पर जांच, परामर्श, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी और उच्चस्तरीय सर्जरी जैसी सभी आवश्यक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। यह अस्पताल न केवल राज्य के मरीजों को बल्कि पड़ोसी राज्यों के रोगियों के लिए भी वरदान साबित हो सकता है।
राज्य सरकार की सोच और स्वास्थ्य ढांचे में सुधार
उत्तराखंड सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और विशेषरूप से गंभीर बीमारियों के लिए राज्य में ही इलाज की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में गंभीरता से कार्य कर रही है। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के इलाज के लिए सुपर स्पेशियलिटी केंद्र की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। अब जब यह अस्पताल बनकर तैयार हो गया है, तो इसके संचालन की जिम्मेदारी एक अनुभवी और विशेषज्ञ संस्थान को सौंपना राज्य सरकार की दूरदृष्टि को दर्शाता है।
राजीव गांधी कैंसर संस्थान देश के प्रमुख कैंसर इलाज केंद्रों में से एक है। यदि इस संस्थान को हर्रावाला अस्पताल के संचालन की जिम्मेदारी दी जाती है, तो इससे चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में बड़ा सुधार देखने को मिल सकता है। साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टरों और तकनीकी स्टाफ की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो सकेगी।
स्थानीय स्तर पर रोजगार और चिकित्सा शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा
हर्रावाला कैंसर अस्पताल के संचालन से स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। नर्सिंग, तकनीकी स्टाफ, प्रशासनिक और सहायक कर्मचारियों के लिए बड़ी संख्या में नौकरियों के अवसर खुल सकते हैं। इसके साथ ही, यदि यहां मेडिकल शिक्षण से जुड़े प्रोग्राम भी शुरू होते हैं तो उत्तराखंड के छात्रों को विशेष प्रशिक्षण और व्यावहारिक अनुभव का लाभ मिलेगा।