
पंजाब में बिना अस्तित्व वाले विभाग चलाए जाने का मामला सामने आने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान और संबंधित मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने सफाई दी है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस पर मीडिया से बातचीत में कहा था कि जिन विभागों की बात हो रही है, वे केवल नाम के थे और उनका कोई वास्तविक कार्य नहीं था। वहीं, मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका लक्ष्य पंजाब की भलाई है, विभागों का अस्तित्व महत्त्वपूर्ण नहीं है।
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा, “हम सभी यहां पंजाब को बचाने के लिए हैं। मेरे लिए विभाग महत्वपूर्ण नहीं है, पंजाब महत्वपूर्ण है।” उन्होंने आगे बताया कि अब विभाग को समाप्त कर दिया गया है, और उन्होंने इस बात का खुलासा भी किया कि यह निर्णय उनके लिए कोई मुद्दा नहीं था। “यह विभाग अस्तित्व में है या नहीं, यह हमारे लिए एजेंडा नहीं है,” उन्होंने कहा।
कुलदीप धालीwal का यह बयान मुख्यमंत्री भगवंत मान के उस सफाई के बाद आया जिसमें उन्होंने कहा था कि विभाग केवल नाम के थे और इनमें कोई वास्तविक स्टाफ या ऑफिस नहीं था। उनका उद्देश्य केवल पंजाब की भलाई था, और विभागों के नामों से कोई फर्क नहीं पड़ता।
सरकारी आदेश और राजपत्र से बाहर आई जानकारी
यह मामला तब सामने आया जब मई 2023 में कुलदीप सिंह धालीwal को एडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी दी गई थी। इस संदर्भ में एक सरकारी आदेश जारी किया गया था, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि यह विभाग अस्तित्व में नहीं है। इसके बाद मंत्री को केवल NIRI (National Institute of Rural Industries) अफेयर के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।
इसके पहले भी कुलदीप धालीwal से दो मंत्रालय वापस ले लिए गए थे, जो कि सरकार के द्वारा दिए गए आदेशों के तहत थे। यह घटनाक्रम राज्य के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है और विपक्षी दलों ने इस पर तीखा हमला किया है।
बीजेपी का हमला: “अस्तित्व में न होने वाला विभाग चलाना केवल आप सरकार ही कर सकती है”
भाजपा ने इस मामले पर भगवंत मान सरकार को आड़े हाथों लिया है। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि “यह अकल्पनीय है कि कोई मंत्री 20 महीने से एक ऐसा विभाग चला रहा है, जो अस्तित्व में ही नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की स्थितियां केवल आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार में ही हो सकती हैं, और यह बताता है कि पार्टी की कार्यप्रणाली कितनी अव्यवस्थित है।
बीजेपी ने इस मुद्दे को लेकर पंजाब सरकार के प्रशासनिक ढांचे और फैसलों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इस प्रकार की घटनाएं राज्य के प्रशासनिक कार्यों में भ्रष्टाचार और असंगति को दर्शाती हैं।
कांग्रेस का आरोप: “पंजाब सरकार प्रशासनिक असमंजस में है”
कांग्रेस सांसद अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “मैं हैरान हूं कि धालीवाल को एक ऐसे मंत्रालय का प्रभार दिया गया जो अस्तित्व में ही नहीं था।” उनका कहना था कि यह प्रशासनिक असमंजस और कमजोर नेतृत्व का परिणाम है, जिससे पंजाब के लोगों को नुकसान हो सकता है।
कांग्रेस का आरोप है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी सरकार प्रशासन में गंभीर असमंजस का सामना कर रहे हैं, और यह स्थिति राज्य के विकास के लिए ठीक नहीं है। उनका कहना था कि जब विभागों का अस्तित्व ही नहीं है, तो ऐसे विभागों का संचालन किस उद्देश्य के लिए किया जा रहा है, यह एक बड़ा सवाल है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान का बचाव
हालांकि, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को इस मामले में अपनी सफाई पेश की। उन्होंने कहा कि जिन विभागों की चर्चा हो रही है, वे केवल नाम के थे और इनमें कोई स्टाफ या कार्यालय नहीं था। उन्होंने बताया कि सरकार प्रशासन में सुधार लाने के लिए इन विभागों का निर्माण कर रही थी, चाहे वह ब्यूरोक्रेसी हो या फिर अन्य कोई क्षेत्र।
सीएम मान ने यह भी कहा कि उनकी सरकार विभागों के बीच विलय करने पर विचार कर रही है ताकि एक समान काम करने वाले विभागों को एक साथ लाया जा सके और प्रशासनिक कामकाजी ढांचे में सुधार किया जा सके। उनका कहना था, “हमारा लक्ष्य राज्य में प्रशासनिक सुधार और बेहतर सेवा प्रदान करना है, न कि विभागों के नामों पर चर्चा करना।”
पंजाब के प्रशासनिक सुधार: सुधारात्मक कदम की दिशा में सीएम मान की योजना
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रशासन में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए हैं। उन्होंने राज्य में शुद्ध और पारदर्शी सरकार चलाने का वादा किया है। उनका मानना है कि राज्य के विकास के लिए जरूरी है कि प्रशासनिक प्रक्रिया सरल, प्रभावी और जनता के प्रति उत्तरदायी हो।
सीएम मान की योजना के तहत विभिन्न विभागों के कामकाजी ढांचे में सुधार लाने की कोशिश की जा रही है ताकि राज्य के नागरिकों को बेहतरीन सेवाएं मिल सकें। इसके अलावा, उन्होंने प्रशासन में भ्रष्टाचार और अराजकता को खत्म करने का भी संकल्प लिया है।।