हरियाणा पुलिस ने रविवार को एक गंभीर मामला सामने आने के बाद जांच शुरू की है, जिसमें एक आईपीएस अधिकारी पर महिला पुलिसकर्मियों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री के नाम और सात महिला पुलिसकर्मियों के हस्ताक्षर शामिल थे। हिसार रेंज के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एम रवि किरण ने पुष्टि की है कि मामले की गहन जांच चल रही है और संबंधित अधिकारी ने खुद जांच की मांग की है।
IPS अधिकारी पर लगे गंभीर आरोप
आरोपों के अनुसार, हरियाणा के एक जिले में तैनात आईपीएस अधिकारी ने कुछ महिला पुलिसकर्मियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की घटनाओं को अंजाम दिया। एडीजीपी एम रवि किरण ने मीडिया को बताया, “हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। फतेहाबाद की पुलिस अधीक्षक आस्था मोदी को जांच का जिम्मा सौंपा गया है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अधिकारी ने स्वयं मामले की निष्पक्ष जांच की अपील की है, जो कि उनके खिलाफ लगे आरोपों की गंभीरता को दर्शाता है।
महिला आयोग का संज्ञान
हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने भी इस मामले पर गंभीरता से संज्ञान लिया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को पत्र लिखकर मामले की जांच कराने का अनुरोध किया है। रेनू भाटिया ने कहा, “जिस आईपीएस अधिकारी पर आरोप लगाए गए हैं, उन्हें महिला आयोग की ओर से भी तलब किया जाएगा। हम पीड़ित महिला पुलिसकर्मियों से भी संपर्क करेंगे और उन्हें आगे की जानकारी देने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।”
समाज का गुस्सा और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी आई है। कांग्रेस विधायक विनेश फोगाट ने इस घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए लिखा, “जैसे पहलवान बेटियों के रक्षक ही उनके भक्षक हो गए थे, ठीक उसी तरह हरियाणा की बेटियों के साथ हरियाणा पुलिस में हो रहा है। मुझे कम ही उम्मीद है कि हरियाणा या केंद्र सरकार इन पुलिस की महिलाओं के साथ न्याय करेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस और राजनीतिक तंत्र महिलाओं की आवाज को दबाने का काम कर रहा है और उन्हें अन्याय सहने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
आरोपों की गहराई
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि मामले में जिले की दो महिला पुलिसकर्मी भी आईपीएस अधिकारी के साथ मिली हुई हैं। यह आरोप न केवल मामले की गंभीरता को बढ़ाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि यदि ये आरोप सच हैं, तो पुलिस महकमे के भीतर एक बड़ा नैतिक संकट पैदा हो सकता है। पुलिसकर्मियों का अपने वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा यौन उत्पीड़न का शिकार होना, न केवल उनकी सुरक्षा को खतरे में डालता है, बल्कि यह समाज में पुलिस बल के प्रति भरोसे को भी कमजोर करता है।
महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा
यह मामला महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा के प्रति एक बड़ा प्रश्न उठाता है। हरियाणा जैसे राज्य में, जहां महिला सुरक्षा के मामले में पहले से ही चुनौतियां हैं, इस तरह की घटनाएँ समाज में एक नकारात्मक संदेश भेजती हैं। महिलाओं को उनके कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए प्रभावी नीतियों की आवश्यकता है, और यह सरकार और पुलिस दोनों के लिए एक बड़ा मुद्दा है।
आगे की कार्रवाई
हरियाणा पुलिस और महिला आयोग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई करने की आवश्यकता को महसूस किया है। एडीजीपी एम रवि किरण ने यह आश्वासन दिया है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होगी। उन्होंने कहा, “हम सभी आरोपों की गहनता से जांच करेंगे और दोषियों को सजा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।”