
पश्चिम एशिया में बीते 12 दिनों तक चले खूनी संघर्ष के बाद ईरान और इज़राइल के बीच अंततः युद्धविराम लागू हो गया है। इस टकराव ने वैश्विक शक्ति संतुलन को एक बार फिर झकझोर कर रख दिया, खासकर तब जब अमेरिका भी इस लड़ाई में कूद पड़ा और उसने ईरान पर सीधे सैन्य हमला किया।
ईरान ने इस अमेरिकी कार्रवाई का जवाब कतर स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमलों से दिया, जिसे उसने “ऑपरेशन हेराल्ड ऑफ विक्ट्री” नाम दिया। यह ऑपरेशन भले ही सीमित रहा हो, लेकिन इससे ईरान की सैन्य ताकत और रणनीतिक जवाब देने की क्षमता को पूरी दुनिया ने एक बार फिर महसूस किया।
युद्धविराम से पहले तनाव चरम पर
संघर्ष की शुरुआत इज़राइल और ईरान के बीच सीरिया में सक्रिय हिज़्बुल्लाह और हमास जैसे संगठनों को लेकर हुई। इज़राइल ने ईरान समर्थित ठिकानों पर हमला किया, जिसके बाद ईरान ने सीधे इज़राइली सैन्य प्रतिष्ठानों पर मिसाइलें दागीं। जैसे-जैसे लड़ाई आगे बढ़ी, अमेरिका ने इज़राइल का समर्थन करते हुए ईरान के कुछ रणनीतिक ठिकानों पर हवाई हमले किए।
ईरान की चेतावनी के बावजूद अमेरिका के हमले ने हालात को और बिगाड़ दिया और मंगलवार रात ईरान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए कतर के दोहा एयरबेस पर मिसाइलें दागीं।
कतर: अमेरिका के सैन्य ठिकाने पर हमला, लेकिन बड़ा नुकसान नहीं
ईरान के हमले की पुष्टि करते हुए कतर के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ईरान ने दोहा एयरबेस पर कुल 19 मिसाइलें दागीं, जिनमें से 18 मिसाइलें इंटरसेप्ट कर ली गईं, जबकि एक मिसाइल ने लक्ष्य भेदा, लेकिन इससे कोई जान-माल का बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
इस हमले को लेकर विभिन्न रिपोर्ट्स में अलग-अलग आंकड़े सामने आए। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान ने 10 मिसाइलें दागीं, वहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि 14 मिसाइलें दागी गईं, जिनमें से 13 को रोका गया। हालांकि, कतर की पुष्टि फिलहाल सबसे अधिक आधिकारिक मानी जा रही है।
ईरान की मिसाइल शक्ति: एक नजर
इस संघर्ष में ईरान ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल बेड़े का आक्रामक इस्तेमाल किया और दुनिया को दिखा दिया कि उसके पास महज बयानबाज़ी नहीं, ठोस सैन्य ताकत भी मौजूद है। बताया जा रहा है कि ईरान ने बीते 12 दिनों में 400 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें इज़राइल और सहयोगी ठिकानों पर दागी हैं।
खैबर मिसाइल — ईरान की सबसे एडवांस हथियार
ईरान की जो मिसाइल इस युद्ध में सबसे चर्चित रही, वह है “खैबर” बैलिस्टिक मिसाइल। यह मिसाइल MIRV (Multiple Independently targetable Reentry Vehicle) तकनीक से लैस है, यानी एक ही मिसाइल में कई वॉरहेड होते हैं, और हर वॉरहेड अलग-अलग लक्ष्यों पर निशाना साध सकता है। “MIRV तकनीक किसी भी मिसाइल को अत्याधुनिक और बेहद घातक बना देती है,” एक सैन्य विश्लेषक के अनुसार।
खैबर की रेंज और क्षमता
रेंज: 2000 किलोमीटर
वॉरहेड ले जाने की क्षमता: 1500 किलोग्राम
विशेषता: दिशा बदलने में सक्षम, इंटरसेप्ट करना मुश्किल
गति: हाइपरसोनिक (आवाज़ की गति से कई गुना तेज)
अन्य ईरानी मिसाइलें जो चर्चा में रहीं
फतह-1 (Fateh-1): एक हाइपरसोनिक शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल जो दुश्मन की रक्षा प्रणाली को चकमा देने में सक्षम है। सेजिल (Sejjil): यह दो-चरणीय, सॉलिड-फ्यूल मिसाइल है जिसकी रेंज 2000 किलोमीटर से अधिक है। यह ईरान की सबसे घातक मिसाइलों में से एक मानी जाती है। घदर-110 (Ghadr-110): इस मिसाइल की रेंज करीब 1800 किमी है और यह 750 किलोग्राम तक का वॉरहेड ले जा सकती है।
ईरान की रणनीति: जवाबी हमला, लेकिन सीमित नुकसान
ईरान का हमला जवाबी कार्रवाई थी, लेकिन रणनीतिक रूप से काफी नियंत्रित रहा। उसने हमले से पहले चेतावनी दी और मिसाइलें भी ऐसे समय और स्थान पर दागीं जहां से सीमित सैन्य जवाब की संभावना रहे। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह हमला “संदेश देने वाला था, युद्ध छेड़ने वाला नहीं।” “ईरान ने बता दिया कि वह अमेरिका को जवाब देने की क्षमता और इच्छाशक्ति दोनों रखता है, लेकिन उसने सीधे टकराव से बचने की कोशिश की,” — वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार।
अमेरिका की प्रतिक्रिया और आगे की राह
अमेरिका ने फिलहाल संयम बरतने का संकेत दिया है। व्हाइट हाउस से जारी बयान में कहा गया, “हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। हमारी प्राथमिकता है क्षेत्र में स्थायित्व सुनिश्चित करना और युद्धविराम को बनाए रखना।” हालांकि, अमेरिकी कांग्रेस में कुछ रिपब्लिकन नेताओं ने ईरान पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।