
भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार एक बड़े बदलाव की ओर कदम बढ़ा रही है, जिसे सरकार ने “नेक्स्ट जेन जीएसटी” का नाम दिया है। सरकारी सूत्रों ने इस नई व्यवस्था को “गेमचेंजर” बताया है, जिसके तहत दो स्लैब वाली कर प्रणाली लागू की जाएगी और दीर्घकाल में देश एक सिंगल टैक्स स्लैब (एकल कर दर) की दिशा में अग्रसर होगा।
सूत्रों के मुताबिक, यह बदलाव कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और व्यापार के अनुकूल बनाएगा। जहां व्यापारी वर्ग और उद्योग जगत को इससे राहत मिलने की उम्मीद है, वहीं सरकार का दावा है कि आम उपभोक्ताओं के लिए भी यह कदम टैक्स स्ट्रक्चर को समझना और अपनाना आसान बनाएगा।
कैसा होगा नया टैक्स ढांचा?
वर्तमान में भारत में जीएसटी के अंतर्गत चार प्रमुख स्लैब – 5%, 12%, 18%, और 28% हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार, प्रस्तावित बदलाव के तहत 12% और 28% वाले स्लैब समाप्त किए जाएंगे, और केवल 5% और 18% की दरें रह जाएंगी। “इस दो-स्तरीय कर संरचना से व्यापारियों को टैक्स कैलकुलेशन में आसानी होगी, और अनुपालन लागत भी कम होगी,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया।
यह प्रस्ताव जीएसटी काउंसिल की मंजूरी के अधीन है और इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। अंतिम लक्ष्य है कि 2047 तक, भारत एक सिंगल टैक्स स्लैब को अपनाए जिससे कर व्यवस्था में एकरूपता आ सके।
सरकार ने इसे बताया गेमचेंजर, पारदर्शिता और सुविधा पर जोर
सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह बदलाव न केवल राजस्व संग्रहण को अधिक स्थिर और निष्पक्ष बनाएगा, बल्कि व्यापारिक प्रक्रिया और निवेश वातावरण को भी बेहतर करेगा। “यह एक ऐतिहासिक कदम होगा, जिसमें भारत की टैक्स प्रणाली को एक विकसित देश के मॉडल की दिशा में ले जाया जाएगा,” वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि नई प्रणाली को तकनीकी सुधारों के साथ जोड़ा जाएगा, जिससे रिटर्न फाइलिंग और टैक्स कंप्लायंस और भी सहज हो जाएगा। जीएसटी नेटवर्क (GSTN) के माध्यम से AI आधारित टैक्स ट्रैकिंग सिस्टम, ई-इनवॉयसिंग, और ऑटोमैटिक रिटर्न जेनरेशन की प्रक्रिया को और मजबूत किया जाएगा।
राजनीतिक बयानबाज़ी: कांग्रेस पर केंद्र का हमला
जहां सरकार इस प्रस्ताव को “आर्थिक सुधार की नई क्रांति” मान रही है, वहीं कांग्रेस पार्टी ने इस बदलाव पर संदेह जताते हुए विरोध किया है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरकार का यह कदम निचले और मध्यम वर्ग पर अप्रत्यक्ष कर का बोझ और बढ़ा सकता है। उनका तर्क है कि दो स्लैब में समाहित करके कुछ आवश्यक वस्तुओं को ऊंचे टैक्स स्लैब में डाला जा सकता है, जिससे महंगाई और बढ़ेगी।
हालांकि, सरकार ने कांग्रेस के इस विरोध को “पाखंड” करार दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा: “यही कांग्रेस थी जिसने वर्षों तक एक समान कर प्रणाली की मांग की थी। अब जब हम इसे क्रियान्वित कर रहे हैं, तो उनका विरोध यह दिखाता है कि वे सिर्फ राजनीतिक विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं2047 तक सिंगल टैक्स स्लैब का लक्ष्य
सरकार ने साफ किया है कि यह बदलाव एक प्रक्रिया है, न कि तात्कालिक निर्णय। दो-स्लैब प्रणाली पहला चरण है, जिसके माध्यम से सरकार 2047 तक एक ऐसा टैक्स सिस्टम बनाना चाहती है, जिसमें सभी वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान दर लागू हो। “सिंगल टैक्स स्लैब से न केवल टैक्स चोरी कम होगी, बल्कि राज्यों और केंद्र के बीच टैक्स विवाद भी घटेंगे,”। यह लक्ष्य भारत @100 के दृष्टिकोण के साथ जोड़ा जा रहा है, जिसके तहत 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में लाने की रणनीति पर कार्य किया जा रहा है