
उत्तराखंड सरकार ने इस वर्ष की चारधाम यात्रा को तीर्थयात्रियों के लिए और अधिक सुगम और व्यवस्थित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों में इस बार दर्शन व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए टोकन सिस्टम को प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है। इस नए सिस्टम के माध्यम से अब श्रद्धालुओं को घंटों लंबी कतारों में खड़े रहकर दर्शन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
टोकन सिस्टम से दर्शन होंगे आसान, लाइन से मिलेगी मुक्ति
चारधाम यात्रा के दौरान प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड के हिमालयी धामों में पहुंचते हैं। लेकिन भीड़ और अव्यवस्था के चलते दर्शन की प्रक्रिया में अक्सर परेशानियां आती रही हैं। खासकर केदारनाथ में तो कपाट खुलने के पहले दिन ही दो से तीन किलोमीटर लंबी कतारें लग जाती हैं। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (UTDB) ने टोकन सिस्टम को इस बार पूरी तरह से सक्षम और प्रभावी रूप से लागू करने का निर्णय लिया है।
टोकन सिस्टम के तहत श्रद्धालुओं को धाम में प्रवेश के बाद टोकन प्रदान किया जाएगा, जिसमें दर्शन का निर्धारित समय लिखा होगा। इससे वे तय समय पर दर्शन कर सकेंगे और बाकी समय वे धाम के आसपास के क्षेत्रों का भ्रमण या विश्राम कर पाएंगे।
मुख्यमंत्री धामी ने दिए निर्देश, स्लॉट मैनेजमेंट हो और बेहतर
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संबंधित विभागों को चारधाम यात्रा के दौरान स्लॉट मैनेजमेंट सिस्टम को और बेहतर बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि भीड़ नियंत्रण और तीर्थयात्रियों की सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता है। “टोकन सिस्टम को व्यवस्थित ढंग से लागू किया जाए ताकि किसी भी तीर्थयात्री को लंबा इंतजार न करना पड़े। दर्शन समयबद्ध तरीके से कराए जाएं और श्रद्धालुओं को धाम में बेहतर अनुभव मिले,” – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामपिछले साल टोकन सिस्टम रहा था सीमित, इस बार व्यापक क्रियान्वयन
गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी टोकन व्यवस्था को प्रयोगात्मक रूप में लागू किया गया था, लेकिन व्यवस्थित क्रियान्वयन के अभाव में यह सफल नहीं हो सका। विशेष रूप से केदारनाथ धाम में पहले ही दिन भारी भीड़ जमा हो गई थी, जिससे टोकन सिस्टम प्रभावहीन साबित हुआ।
इस बार राज्य सरकार और पर्यटन विभाग ने पहले से ही व्यापक योजना तैयार की है। डिजिटल तकनीकों, ऑन-साइट सहायता केंद्र और प्रशिक्षित स्टाफ की मदद से व्यवस्था को भरोसेमंद और तीर्थयात्रियों के अनुकूल बनाया जा रहा है।
क्या है टोकन सिस्टम और कैसे करेगा काम?
- पंजीकरण अनिवार्य: चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से पंजीकरण आवश्यक है।
- धाम में पहुंचने पर टोकन: जब तीर्थयात्री संबंधित धाम में पहुंचेगा, तो उसे पंजीकरण दिखाने पर टोकन मिलेगा।
- दर्शन का निर्धारित समय: टोकन में उस श्रद्धालु के दर्शन का सटीक समय अंकित होगा।
- समय के अनुसार प्रवेश: दर्शन सिर्फ उसी निर्धारित समय पर किया जा सकेगा, जिससे भीड़ का संतुलन बना रहेगा।
- धामों में आराम और भ्रमण का अवसर: तीर्थयात्रियों को लाइन में खड़े रहने की बजाय अन्य गतिविधियों के लिए समय मिलेगा।
अब तक 17 लाख से अधिक पंजीकरण, श्रद्धालुओं में उत्साह
चारधाम यात्रा 2025 को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। अब तक 17 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने पंजीकरण करा लिया है:
- केदारनाथ: 5.73 लाख
- बदरीनाथ: 5.04 लाख
- गंगोत्री: 3.01 लाख
- यमुनोत्री: 2.78 लाख
इन आंकड़ों से साफ है कि इस बार यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल होने जा रहे हैं। ऐसे में टोकन व्यवस्था को सुचारू ढंग से लागू करना न केवल जरूरी है, बल्कि यह सुरक्षा और अनुभव की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण बन गया है।
धार्मिक भावना के साथ तकनीकी समन्वय
उत्तराखंड सरकार की यह पहल एक उदाहरण है कि किस प्रकार धार्मिक आस्था और आधुनिक तकनीकी व्यवस्था का समन्वय कर एक सुखद यात्रा अनुभव सुनिश्चित किया जा सकता है। पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन यात्रा के दौरान आवश्यक संसाधनों, मेडिकल सुविधाओं, सुरक्षा व्यवस्था और सफाई व्यवस्था को भी सुदृढ़ कर रहे हैं। डिजिटल टोकन, SMS अलर्ट, दर्शन स्लॉट की ऑनलाइन जानकारी और स्थानीय हेल्प डेस्क की सहायता से श्रद्धालुओं को हर संभव सुविधा देने की तैयारी पूरी है।
पर्यटन विभाग की अपील – समय से पंजीकरण कराएं, योजना के अनुसार यात्रा करें
उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने तीर्थयात्रियों से अपील की है कि वे यात्रा के लिए समय से पंजीकरण कराएं और अपनी यात्रा को निर्धारित समय के अनुसार ही योजना बनाएं। इससे न केवल उन्हें बेहतर अनुभव मिलेगा, बल्कि सरकार को भी भीड़ नियंत्रित करने में सहयोग मिलेगा। “हमारी कोशिश है कि श्रद्धालुओं को दर्शन का एक बेहतर अनुभव मिले, जिससे वे श्रद्धा के साथ साथ शांति और सुविधा भी महसूस करें,” – पर्यटन विभाग अधिकारी