
उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा इस साल नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। अब तक करीब 32 लाख तीर्थयात्री चारधाम की यात्रा पूरी कर चुके हैं। इस अद्वितीय धार्मिक यात्रा का प्रभाव अब केवल बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अन्य प्रमुख मंदिरों और तीर्थस्थलों पर भी इसका सकारात्मक असर देखा जा रहा है। इससे राज्य में व्यापक आर्थिक गतिविधियों को भी बल मिल रहा है।
चारधाम यात्रा के साथ तीर्थयात्री अब कार्तिक स्वामी मंदिर, जागेश्वर धाम और राज्य के अन्य धार्मिक स्थलों की ओर भी आकर्षित हो रहे हैं। धार्मिक पर्यटन के इस व्यापक विस्तार ने उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में भी नए अवसर पैदा किए हैं।
चारधाम यात्रा में 44 लाख से अधिक पंजीकरण
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस यात्रा सीजन में चारधाम और हेमकुंड साहिब के लिए कुल पंजीकरण की संख्या 44 लाख को पार कर चुकी है। अब तक:
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केदारनाथ: 14,43,513 पंजीकरण
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बदरीनाथ: 13,36,923 पंजीकरण
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गंगोत्री: 7,80,554 पंजीकरण
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यमुनोत्री: 7,13,456 पंजीकरण
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हेमकुंड साहिब: 1,69,180 पंजीकरण
इनमें से अब तक लगभग 32 लाख तीर्थयात्री यात्रा पूरी कर चुके हैं, जो कि एक अभूतपूर्व संख्या है।
कार्तिक स्वामी मंदिर की लोकप्रियता में भारी वृद्धि
रुद्रप्रयाग जिले में स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर को लेकर भी श्रद्धालुओं की आस्था में वृद्धि देखी गई है। जहां 2021 में यहां मात्र 15,735 तीर्थयात्री पहुंचे थे, वहीं 2024 तक यह संख्या बढ़कर 2,28,837 तक पहुंच गई। इस वर्ष मई महीने तक ही 57,863 श्रद्धालु मंदिर के दर्शन कर चुके थे। यह दर्शाता है कि चारधाम यात्रा के साथ-साथ अन्य धार्मिक स्थलों में भी भक्तों की रुचि लगातार बढ़ रही है।
जागेश्वर धाम में भी श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद में स्थित ऐतिहासिक जागेश्वर धाम भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। 15 जून 2025 तक यहां 56,423 तीर्थयात्री दर्शन कर चुके थे, जबकि 2024 में कुल 2,08,073 लोग यहां पहुंचे थे। यह आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि धार्मिक पर्यटन अब केवल सीमित धामों तक नहीं रह गया है, बल्कि राज्य के अन्य धार्मिक स्थल भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
आर्थिक गतिविधियों को मिला नया आयाम
चारधाम यात्रा के साथ जुड़े यात्रा मार्गों, जैसे कि ऋषिकेश, गौरीकुंड, सोनप्रयाग, और जोशीमठ जैसे क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। होटल, होमस्टे, टैक्सी सेवा, स्थानीय खानपान, और धार्मिक वस्तुओं की बिक्री जैसे क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष लाभ मिला है।
अब जब तीर्थयात्री अन्य स्थलों की ओर भी आकर्षित हो रहे हैं, तब इन स्थलों पर भी पर्यटन आधारित व्यवसायों में तेजी आई है। इससे राज्य के दूरस्थ गांवों और कस्बों में भी रोजगार के नए अवसर सामने आ रहे हैं।