उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का इस वर्ष का सत्र आज संपन्न हो गया है। यमुनोत्री धाम के कपाट भैया दूज पर 3 नवंबर को दोपहर 12.05 बजे बंद हुए, जबकि गंगोत्री धाम के कपाट 2 नवंबर को बंद किए गए थे। इस बार की यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या ने एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है, जिससे यह यात्रा अपने धार्मिक महत्व के साथ-साथ आर्थिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हुई है।
यात्रा का इतिहास और महत्वपूर्ण आंकड़े
चारधाम यात्रा का आयोजन इस वर्ष 10 मई को शुरू हुआ था और कुल मिलाकर यह 177 दिनों तक चली। पिछले वर्ष की तुलना में, जब यात्रा 208 दिनों तक चली थी, इस वर्ष यात्रा का समय कम होते हुए भी श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष कुल 16 लाख से अधिक तीर्थयात्री चारधाम यात्रा में शामिल हुए थे, जबकि इस वर्ष गंगोत्री धाम में 8 लाख और यमुनोत्री धाम में 7 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं का आगमन हुआ। इस प्रकार, इस वर्ष की कुल संख्या 15 लाख तक पहुंच गई।
पिछले वर्ष की तुलना में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि
चारधाम यात्रा के इस वर्ष के सत्र में गंगोत्री धाम में 100,518 और यमुनोत्री धाम में 99,035 श्रद्धालुओं की बढ़ोतरी हुई है। यह आंकड़े इस बात का स्पष्ट संकेत देते हैं कि तीर्थ यात्रियों की संख्या में साल दर साल वृद्धि हो रही है, जो इस क्षेत्र के धार्मिक और पर्यटन स्थलों की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।
प्रशासनिक प्रयास और व्यवस्थाएं
चारधाम यात्रा के सुचारू और सुरक्षित संचालन के लिए प्रशासन ने कई महत्वपूर्ण उपाय किए। प्रारंभ में भारी भीड़ का सामना करते हुए, प्रशासन ने यात्रा का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित किया। प्रशासन ने मानसून के दौरान सड़कों को सुचारू बनाए रखने के लिए संवेदनशील स्थानों पर मशीनों और अन्य संसाधनों की तैनाती की। इस बार यात्रा के दौरान दुर्घटनाओं की घटनाएं भी काफी कम रही, जिससे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई।
स्थानीय प्रशासन का योगदान
जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने चारधाम यात्रा के सफल संपन्न होने के लिए विभिन्न विभागों, संगठनों और स्थानीय नागरिकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अगली चारधाम यात्रा को और अधिक सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए सभी संबंधित व्यक्तियों को सक्रिय रूप से प्रयासरत रहना होगा। उनकी यह भी अपील थी कि यात्रा व्यवस्थाओं में सुधार के लिए सभी को प्रतिबद्धता से काम करना होगा।