
छठ पूजा जिसे लोक आस्था का महापर्व माना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार है जो विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है। इस पर्व में छठी मईया यानी देवी षष्ठी और भगवान भास्कर (सूर्य देव) की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार यह पर्व कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलता है।
इस वर्ष छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर 2024 से होगी और इसका समापन शुक्रवार 8 नवंबर 2024 को होगा। छठ पूजा, दीपावली के छह दिन बाद मनाई जाती है और यह भारतीय संस्कृति में आस्था और श्रद्धा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है।
पौराणिक कथा का विवरण
छठ पूजा की पौराणिक कथा राजा प्रियव्रत से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी संतान न होने के कारण बहुत दुखी रहते थे। संतान प्राप्ति की कामना में, वे महर्षि कश्यप के पास गए। महर्षि ने राजा के लिए एक यज्ञ करवाया, जिसके परिणामस्वरूप रानी गर्भवती हो गई। नौ माह बाद, रानी ने पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह मरा हुआ था। इससे राजा और रानी का दुख और भी बढ़ गया।
दुखी होकर राजा प्रियव्रत अपने मृत पुत्र के साथ आत्महत्या करने के लिए श्मशान जाने लगे। तभी वहां देवी प्रकट हुईं, जिन्होंने स्वयं को ब्रह्मा की पुत्री देवसेना और सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न देवी षष्ठी बताया। देवी ने राजा से कहा कि यदि वे मेरी पूजा करेंगे और अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे, तो मैं उन्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी।
राजा ने देवी की बात मानी और कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को व्रत रखकर पूजा की। देवी की कृपा से राजा को पुत्र की प्राप्ति हुई। इस प्रकार छठ पूजा की शुरुआत मानी जाती है।
छठ पूजा के अनुष्ठान
छठ पूजा में विशेष अनुष्ठान और व्रत का पालन किया जाता है। यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है:
- नहाय खाय: पहले दिन, श्रद्धालु स्नान कर शुद्ध होकर विशेष भोजन करते हैं।
- खरना: दूसरे दिन, व्रति दिनभर उपवास रखती हैं और संध्या में गुड़ से बनी खीर, फल आदि का भोग अर्पित करती हैं।
- संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन, सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
- सुबह अर्घ्य: चौथे दिन, सूर्योदय के समय पुनः सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। यह पर्व एकत्रित होकर एक दूसरे के साथ मनाने और परस्पर सहयोग बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। छठ पूजा का उद्देश्य स्वास्थ्य, समृद्धि, और पारिवारिक सुख की प्राप्ति है।
साल में दो बार मनाया जाने वाला पर्व
छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। कार्तिक माह के साथ-साथ चैत्र मास में भी छठ पूजा होती है, जिसे ‘चैती छठ’ कहा जाता है। कार्तिक मास की छठ पूजा को ‘छठ महापर्व’ या ‘कार्तिकी छठ’ के नाम से जाना जाता है। यह पर्व न केवल स्त्रियों द्वारा, बल्कि पुरुषों द्वारा भी मनाया जा सकता है, जो इसे एक समानता का प्रतीक बनाता है।
सूर्य उपासना का अनूठा पर्व
छठ पूजा, सूर्य देव की उपासना का अद्भुत महापर्व है। यह मान्यता है कि सूर्य देव की कृपा से जीवन में सभी प्रकार की सुख-समृद्धि का संचार होता है। सूर्य को जीवन का स्रोत माना जाता है, और छठ पूजा में उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। इस दिन श्रद्धालु सूर्य के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं और उन्हें अर्घ्य देते हैं, जिससे वे अपने परिवार के लिए स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं।
छठ पूजा की तैयारी
छठ पूजा की तैयारी कई दिन पहले से शुरू होती है। घरों की सफाई, विशेष पकवानों की तैयारी और पूजा की सामग्री एकत्र करना शामिल होता है। महिलाएं अपने परिवार के लिए विशेष व्रत का भोजन तैयार करती हैं।