
संविधान निर्माता भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती के अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘सम्मान अभियान’ कार्यक्रम के तहत आयोजित प्रदेश स्तरीय कार्यशाला में भाग लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन देहरादून के आई.आर.डी.टी. ऑडिटोरियम, सर्वेचौक में किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बाबा साहेब को नमन करते हुए उनके विचारों और संघर्ष को भारत की आत्मा बताया। उन्होंने कहा कि यह अभियान न केवल राष्ट्र निर्माण में डॉ. अंबेडकर के योगदान को स्मरण करने का अवसर है, बल्कि उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम भी है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि बाबा साहेब ने अपने विचार, ज्ञान और धैर्य से भारत को नई दिशा प्रदान की। उन्होंने समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए जो संघर्ष किया, वह हर पीढ़ी के लिए एक मिसाल है। “बाबा साहेब ने जाति प्रथा के खिलाफ जिस प्रकार से आवाज उठाई और संविधान के माध्यम से न्याय, स्वतंत्रता और समानता के मूल स्तंभ स्थापित किए, वह आज भी हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की रीढ़ हैं,” उन्होंने कहा।
धामी ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने ऐसे भारत की परिकल्पना की थी, जहाँ सभी वर्गों को समान अधिकार, अवसर और गरिमा प्राप्त हो। आज उसी मार्ग पर चलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘नए भारत’ का निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा साहब की जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि बाबा साहेब से जुड़ी स्मृतियों को राष्ट्र चेतना के पंच तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है। इन स्थलों को एक प्रेरणा केंद्र के रूप में स्थापित किया जा रहा है, ताकि युवा पीढ़ी देश के महान सपूतों से प्रेरणा ले सके।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जनसंघ से लेकर आज तक भाजपा की विचारधारा सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रीय एकता पर आधारित रही है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सिद्धांत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “जब अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति सत्ता में भागीदारी करेगा, तभी सच्चे अर्थों में राष्ट्रोदय संभव होगा।”
धामी ने राष्ट्रपति पद पर रामनाथ कोविंद और द्रौपदी मुर्मू के आसीन होने को इसी विचारधारा का प्रमाण बताया। “यह दर्शाता है कि कैसे अंत्योदय के सिद्धांत को व्यावहारिक रूप से लागू किया गया है,” उन्होंने कहा।
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि स्टैंडअप इंडिया योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, हर घर नल से जल और आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं गरीबों, शोषितों, वंचितों और आदिवासियों को प्राथमिकता देते हुए उनके समग्र विकास की दिशा में काम कर रही हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार ने 1989 के दलित उत्पीड़न कानून को संशोधित कर और अधिक प्रभावी और सख्त बनाया है। साथ ही अनुसूचित वर्ग के कल्याण के लिए आम बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है।
राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अनुसूचित जाति समाज को सशक्त, शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने हेतु कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों को छात्रवृत्ति दी जा रही है, साथ ही 15 छात्रावास, 5 आवासीय विद्यालय और 3 आईटीआई का संचालन किया जा रहा है।
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं को निःशुल्क कोचिंग की सुविधा भी राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जा रही है। इसके साथ ही अनुसूचित जाति के युवक या युवती द्वारा अंतर-जातीय विवाह करने पर 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की बेटियों के विवाह हेतु भी सरकार 50 हजार रुपये की अनुदान राशि प्रदान कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता लागू करके सामाजिक न्याय और समरसता की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। यह बाबा साहब को सच्ची श्रद्धांजलि है, जो जीवन भर सामाजिक समानता के लिए संघर्षरत रहे।
मुख्यमंत्री ने ‘सम्मान अभियान’ के आगामी सत्रों की ओर संकेत करते हुए कहा कि इन कार्यशालाओं के माध्यम से लोगों को बाबा साहब के विचारों, उनके योगदान और सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों से अवगत कराया जाएगा। यह अभियान निश्चित रूप से सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देगा और सभी वर्गों को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करेगा।
इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, राज्यसभा सांसद डॉ. राधा मोहन अग्रवाल, भाजपा महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार सहित कई अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। सभी ने बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम का आयोजन न केवल बाबा साहब की स्मृति में एक श्रद्धांजलि था, बल्कि यह सामाजिक समानता, समरसता और न्याय की भावना को मजबूत करने का प्रयास भी था। ‘सम्मान अभियान’ के माध्यम से सरकार यह संदेश देना चाहती है कि डॉ. अंबेडकर के सपनों का भारत तभी साकार होगा जब समाज का हर वर्ग समान अधिकारों और अवसरों के साथ आगे बढ़े।
बाबा साहब की जयंती पर आयोजित यह कार्यशाला न केवल उनके विचारों का सम्मान है, बल्कि यह उत्तराखंड सरकार की सामाजिक समरसता के प्रति प्रतिबद्धता का भी परिचायक है। आने वाले समय में यह अभियान राज्य के कोने-कोने तक पहुंचेगा और बाबा साहेब के आदर्शों को घर-घर तक ले जाएगा।