
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को रामनगर स्थित विश्वप्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क में जंगल सफारी का लुत्फ उठाया। जंगल की हरियाली, जीव-जंतुओं की रोमांचक झलक और प्रकृति की अपार जैव विविधता को नजदीक से देखने का यह अनुभव मुख्यमंत्री के लिए बेहद खास और अविस्मरणीय रहा।
मुख्यमंत्री धामी ने सफारी के दौरान बाघ, हाथी, हिरण और कई दुर्लभ पक्षियों के दर्शन किए। उन्होंने कहा कि कार्बेट नेशनल पार्क न केवल उत्तराखंड की बल्कि पूरे देश की प्राकृतिक धरोहर है, जहां की हरियाली और वन्यजीवन पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
पर्यटन को मिल रही नई पहचान
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के निरंतर प्रयासों से उत्तराखंड में जंगल सफारी और इको-टूरिज्म को एक नई पहचान मिल रही है। “अब देश और विदेश से हजारों पर्यटक कार्बेट समेत राज्य के विभिन्न वन्य क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं, जिससे न केवल राज्य की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए स्वरोजगार के नए द्वार भी खुले हैं,” उन्होंने कहा।
धामी ने यह भी बताया कि सरकार वन्य पर्यटन को और अधिक व्यवस्थित व सुरक्षित बनाने के लिए अधोसंरचना को मजबूत कर रही है। इससे पर्यटकों को एक बेहतर अनुभव मिलेगा और साथ ही जंगलों का संरक्षण भी सुनिश्चित किया जाएगा।
‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान: प्रकृति और मातृत्व को समर्पित
सफारी के बाद मुख्यमंत्री ने कार्बेट टाइगर रिजर्व के पास चलाए जा रहे एक विशेष वृक्षारोपण कार्यक्रम में भी भाग लिया। ‘एक पेड़ माँ के नाम’ नामक इस अभियान के तहत 1000 से अधिक पौधे लगाए गए, जिसमें वन विभाग, स्थानीय निवासी और पर्यावरण प्रेमी शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा, “यह सिर्फ एक वृक्षारोपण अभियान नहीं है, यह एक भावनात्मक पहल है जो मातृत्व, प्रकृति और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक बन चुका है। जब कोई अपने माँ के नाम से पेड़ लगाता है, तो उसमें सिर्फ पर्यावरण नहीं, बल्कि स्मृति, सम्मान और अपनापन भी जुड़ता है।” उन्होंने इस अभियान को पूरे राज्य में विस्तार देने की बात कही, ताकि हर नागरिक अपनी माँ के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सके।
वन विभाग की टीम को मिला मुख्यमंत्री का सराहना
मुख्यमंत्री धामी ने इस मौके पर वन विभाग की टीम से मुलाकात की और उनके समर्पण, परिश्रम और निष्ठा की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी वन्य जीवों की सुरक्षा, जंगलों के संरक्षण और इको टूरिज्म को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उनकी मेहनत और जागरूकता अभियान ही हैं, जिनकी वजह से उत्तराखंड की वन संपदा आज भी जीवंत है।”
धामी ने वन कर्मियों को आश्वस्त किया कि सरकार उनके कार्यों को पूरा समर्थन दे रही है और उनके लिए आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर की जा रही है।
उत्तराखंड: प्रकृति और पर्यटन का संगम
उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, लेकिन अब यह राज्य प्रकृति प्रेमियों और पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने वालों की भूमि के रूप में भी जाना जा रहा है। कार्बेट नेशनल पार्क, राजाजी टाइगर रिजर्व, अस्कोट वाइल्डलाइफ सेंचुरी जैसे अभ्यारण्य न केवल राज्य की जैव विविधता का प्रतीक हैं, बल्कि पर्यावरणीय अध्ययन और रिसर्च के भी केंद्र बनते जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने इस बात पर भी जोर दिया कि उत्तराखंड सरकार हरित उत्तराखंड की दिशा में आगे बढ़ रही है। “हमने वर्ष 2030 तक राज्य का हरित आवरण 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें जनभागीदारी बेहद जरूरी है,” उन्होंने कहा।
स्थानीय समुदायों के लिए नया अवसर
जंगल सफारी और इको टूरिज्म के बढ़ते प्रभाव ने स्थानीय समुदायों को भी लाभ पहुंचाया है। अब ग्राम स्तर पर होमस्टे, गाइडिंग सर्विस, हस्तशिल्प और जैविक उत्पादों की मांग बढ़ी है। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार इन गतिविधियों को और व्यवस्थित करने के लिए स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण दे रही है, ताकि वे पर्यटन से जुड़े रोजगार के अवसरों का लाभ उठा सकें।
पर्यावरण संरक्षण और विकास का संतुलन
मुख्यमंत्री धामी ने अपने दौरे के दौरान एक बार फिर दोहराया कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है, इसलिए यहां विकास की हर परियोजना में पर्यावरणीय पहलुओं को सर्वोपरि रखा जाता है। “हमें अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, हरित और सुरक्षित उत्तराखंड छोड़ना है। इसके लिए सरकार, समाज और हर नागरिक को मिलकर काम करना होगा,” उन्होंने कहा।