मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शीतलहर से बचाव के लिए अधिकारियों को दिए निर्देश, शीतलहर के प्रभावी उपायों की समीक्षा
उत्तराखंड में शीतलहर और बर्फबारी के मौसम को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सचिवालय में शीतलहर से बचाव के लिए किए गए विभागीय उपायों की समीक्षा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए, ताकि राज्य में शीतलहर के प्रभाव से लोगों को सुरक्षित रखा जा सके और आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में शीतलहर के प्रभाव से बचाव के लिए सभी प्रभावी कदम उठाए जाएं। उन्होंने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि जनपदों में स्थित रेन बसेरों में ठहरने वालों को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हों। इसके साथ ही, जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को रेन बसेरों की व्यवस्थाओं का समय-समय पर निरीक्षण करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि शीतलहर के दृष्टिगत गरीब और जरूरतमंद लोगों को कंबल, दस्ताने, मौजे और अन्य आवश्यक सामग्रियां उपलब्ध कराई जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शीतलहर से बचाव के लिए अलाव की व्यवस्था की गई है, और यह सुनिश्चित किया जाए कि रात्रिकाल में अलाव की व्यवस्था के बारे में लोगों को विभिन्न माध्यमों से जानकारी दी जाए। इसके साथ ही, उन्होंने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि बर्फबारी के कारण सड़कों पर होने वाली बाधाएं जल्द से जल्द दूर की जाएं।
मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों से यह भी कहा कि बर्फबारी के कारण सड़कों पर उत्पन्न होने वाली बाधाओं को जल्द से जल्द दूर किया जाए। जिन क्षेत्रों में बर्फबारी अधिक होती है, वहां के सड़कों से बर्फ हटाने के लिए आवश्यक संसाधनों का उचित प्रबंधन किया जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि शीतकाल में गर्भवती महिलाओं का डाटा रखा जाए ताकि किसी भी आपात स्थिति में उन्हें शीघ्र चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।
शीतलहर के प्रभाव को देखते हुए मुख्यमंत्री ने निराश्रित पशुओं के लिए भी आवश्यक व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि ठंड से प्रभावित पशुओं के लिए पर्याप्त गर्मी और भोजन की व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारी प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि कोई भी जीव, चाहे वह मनुष्य हो या पशु, इस ठंड में किसी भी प्रकार से प्रभावित न हो।”
मुख्यमंत्री ने शीतलहर और बर्फबारी के मौसम को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के शीतकाल प्रवास स्थलों और उसके आसपास के क्षेत्रों में श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि कोई भी श्रद्धालु असुविधा महसूस न करे।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने 38वें राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन के लिए सभी विभागों को समन्वय के साथ काम करने और व्यक्तिगत जिम्मेदारी के साथ कार्य करने के निर्देश भी दिए। राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से राज्य में पर्यटन और खेलकूद को बढ़ावा मिलेगा, और इसके लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएं।
उत्तराखंड राज्य, अपनी ऊंचाई और ठंडी जलवायु के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर शीतलहर के दौरान सर्दी का असर काफी तीव्र होता है, और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और ऊंचे पर्वतीय इलाकों में स्थिति और गंभीर हो जाती है। मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों के तहत, राज्य में शीतलहर से बचाव के लिए व्यापक तैयारियां की गई हैं। रेन बसेरों की सुविधा, अलाव की व्यवस्था, शीतलहर से बचाव के लिए आवश्यक वस्त्र, और निराश्रित पशुओं के लिए विशेष प्रबंध उन उपायों में शामिल हैं जो शीतलहर से लोगों को सुरक्षित रखने में मदद करेंगे।
प्रदेश में शीतलहर से बचाव के लिए जो उपाय किए गए हैं, उनमें रात्रिकाल में अलाव जलाने की व्यवस्था प्रमुख है। इस दौरान लोगों को ठंड से राहत मिल सकेगी, और साथ ही रेन बसेरों में ठहरने वाले लोगों को गर्म कपड़े, कंबल और अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराए जाएंगे। अधिकारियों ने यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ली है कि किसी भी जरूरतमंद को ठंड से कोई परेशानी न हो।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि शीतलहर से बचाव के लिए सभी विभागों को एकजुट होकर काम करना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ केवल पात्र व्यक्तियों तक पहुंचे और कोई भी व्यक्ति इन योजनाओं का गलत फायदा न उठाए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इन दिशा-निर्देशों से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार शीतलहर के प्रभाव से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि राज्य के सभी हिस्सों में जरूरी इंतजाम किए जाएं, ताकि शीतलहर के दौरान किसी भी नागरिक को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।
मुख्यमंत्री के इन निर्देशों से यह भी साफ होता है कि राज्य सरकार इस मौसम में नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार के इन उपायों को किस हद तक प्रभावी रूप से लागू किया जाता है और शीतलहर से बचाव के लिए नागरिकों को कितनी राहत मिलती है।बैठक के दौरान सचिव आपदा प्रबंधन, विनोद कुमार सुमन ने शीतलहर से बचाव के लिए राज्य में किए जा रहे कार्यों का प्रस्तुतीकरण किया। उन्होंने बताया कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में शीतलहर से बचाव के लिए पूरी तैयारी की गई है। इस दौरान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, डीजीपी दीपम सेठ, प्रमुख वन संरक्षक धनजंय मोहन, सचिव डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में हिस्सा लिया।