
महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से उत्तराखंड सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। “मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना” के अंतर्गत अब राज्य की निराश्रित और परित्यक्ता महिलाएं अपनी रुचि के अनुसार व्यवसाय का चुनाव कर सकेंगी। इस योजना के अंतर्गत सरकार उन्हें दो लाख रुपये तक की सब्सिडी प्रदान करेगी। खास बात यह है कि स्वरोजगार के लिए किसी विशेष क्षेत्र की बाध्यता नहीं है। महिला जिस भी कार्य में दक्ष है, उसके आधार पर सहायता प्राप्त कर सकती है।
यह योजना उन महिलाओं के लिए एक नई आशा बनकर सामने आई है, जो सामाजिक या पारिवारिक कारणों से अकेली रह गई हैं और रोजगार के साधनों की तलाश में हैं। योजना का उद्देश्य न केवल महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता देना है, बल्कि उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान भी दिलाना है।
योजना का स्वरूप: व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता
राज्य सरकार की इस योजना में एक अनूठी बात यह है कि इसमें स्वरोजगार के क्षेत्र को लेकर कोई बाध्यता नहीं रखी गई है। महिला जिस क्षेत्र में काम करना चाहती है – जैसे कि ब्यूटी पार्लर, सिलाई-कढ़ाई, टेलरिंग, पशुपालन, बेकरी, या छोटे स्तर के खुदरा व्यापार – वह स्वयं तय कर सकती है।
राज्य नोडल अधिकारी और केंद्र पोषित योजनाओं की प्रभारी आरती बलोदी ने बताया कि योजना की यही सबसे बड़ी खासियत है कि यह महिला की क्षमता और पसंद के आधार पर स्वरोजगार को बढ़ावा देती है। महिलाओं को सिर्फ यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके बैंक खाते में 25 हजार रुपये हों – भले ही वह लोन लेकर ही क्यों न हो – बाकी की राशि सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में दी जाएगी।
पहले आओ, पहले पाओ का आधार
योजना के अंतर्गत प्रत्येक जनपद में पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर लाभार्थियों का चयन किया जाएगा। यानी जो महिलाएं पहले आवेदन करेंगी और पात्रता की शर्तें पूरी करेंगी, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। इससे चयन प्रक्रिया पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक बनती है, जिससे इच्छुक महिलाएं समय पर अपनी योजना बना सकें।
पात्रता की शर्तें:
आयु सीमा – योजना के तहत महिलाओं की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम आयु 50 वर्ष निर्धारित की गई है। आय सीमा – पूरे परिवार की वार्षिक आय अधिकतम ₹72,000 होनी चाहिए।निवास प्रमाण पत्र – आवेदन केवल उत्तराखंड मूल की महिलाएं ही कर सकती हैं। परित्यक्ता या निराश्रित महिला – केवल समाज कल्याण विभाग द्वारा मान्य परित्यक्ता या निराश्रित महिलाएं ही पात्र होंगी। प्रमाणपत्र आवश्यक – यदि समाज कल्याण विभाग में पंजीकरण नहीं है, तो ग्राम प्रधान द्वारा जारी प्रमाणपत्र मान्य होगा। इसके अतिरिक्त विधायक या सांसद द्वारा दिया गया प्रमाणपत्र और एक शपथ पत्र भी साथ में आवश्यक होगा।
आवेदन की प्रक्रिया और समय-सीमा
नोडल अधिकारी बलोदी के अनुसार, इच्छुक और पात्र महिलाएं योजना की विज्ञप्ति जारी होने पर अपने जनपद के जिला कार्यक्रम अधिकारी से संपर्क कर आवेदन पत्र प्राप्त कर सकती हैं। आवेदन की प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाने के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है: आवेदन जांच – आवेदन पत्रों की जांच एक महीने के भीतर की जाएगी। जिला स्तर की समिति – समिति द्वारा अनुमोदन के बाद प्रस्ताव को अधिकतम 15 दिनों के भीतर निदेशालय भेजा जाएगा। राज्य स्तरीय अंतिम स्वीकृति – अंतिम स्वीकृति राज्य स्तरीय समिति द्वारा जांच के बाद दी जाएगी।
यह सुनिश्चित करेगा कि योग्य महिलाओं को समय पर योजना का लाभ मिल सके और किसी प्रकार की प्रशासनिक देरी न हो।
सकारात्मक पहलू: महिलाओं को मिलेगा आत्मविश्वास और सशक्तिकरण
इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार ने एक संवेदनशील और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया है। महिलाएं अपने आत्मसम्मान को बनाए रखते हुए स्वरोजगार शुरू कर सकती हैं। यह योजना ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की महिलाओं के लिए लाभकारी है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो समाज से अलग-थलग पड़ गई हैं या जिनके पास स्थायी रोजगार का कोई साधन नहीं है।