
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार के उस निर्णय की तीखी आलोचना की है, जिसमें नांगल बांध की सुरक्षा के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के 296 जवानों को तैनात करने की मंजूरी दी गई है। उन्होंने इस कदम को न केवल पंजाब की पुलिस पर अविश्वास, बल्कि राज्य के अधिकारों में हस्तक्षेप करार दिया है। मान ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मुद्दे को नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष जोरदार तरीके से उठाएंगे।
केंद्र के निर्णय पर पंजाब सरकार का एतराज
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरुवार को संगरूर में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि नांगल बांध की सुरक्षा वर्षों से पंजाब पुलिस द्वारा की जा रही है, और उसमें किसी प्रकार की कमी नहीं पाई गई है। ऐसे में CISF की तैनाती अनावश्यक और खर्चीली है। उन्होंने सवाल किया, “क्या प्रधानमंत्री को लगता है कि पंजाब पुलिस अक्षम है?”
उन्होंने कहा कि जब राज्य की अपनी पुलिस व्यवस्था बांध की सुरक्षा कर रही है और वह भी बिना किसी अतिरिक्त वित्तीय बोझ के, तो केंद्र सरकार को करोड़ों रुपये खर्च कर सुरक्षा बल तैनात करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
कितनी आएगी लागत?
केंद्र सरकार ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) को एक पत्र जारी कर बताया है कि CISF की तैनाती पर सालाना ₹8.58 करोड़ का खर्च आएगा। यह रकम BBMB द्वारा या फिर पंजाब सरकार के खजाने से दी जाएगी।
मुख्यमंत्री मान ने इस पत्र की प्रति मीडिया को दिखाते हुए कहा, “हम न तो BBMB के माध्यम से और न ही पंजाब सरकार के खजाने से यह राशि खर्च करने देंगे।” उन्होंने इस फैसले को जन विरोधी, खर्चीला और राजनीति से प्रेरित बताया।
जल विवाद की पृष्ठभूमि
यह मुद्दा ऐसे समय पर सामने आया है जब पंजाब और हरियाणा के बीच जल वितरण को लेकर तनाव चल रहा है। नांगल बांध, जो रूपनगर जिले में स्थित है, भाखड़ा बांध के नीचे है और सतलुज नदी के जल प्रवाह को नियंत्रित करता है।
पिछले कुछ वर्षों में पंजाब ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से इनकार कर दिया था, जिसके चलते पंजाब पुलिस ने बांध की सुरक्षा कड़ी कर दी थी। इसी संदर्भ में अब CISF की तैनाती को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या यह तैनाती पानी की हिस्सेदारी पर दबाव बनाने की एक साजिश है? मुख्यमंत्री ने कहा, “क्या यह सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर हमारे संसाधनों पर नियंत्रण पाने की कोशिश है?”
“हम ऐसा नहीं होने देंगे”: भगवंत मान
भगवंत मान ने केंद्र सरकार के इस फैसले को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि यह पंजाब की स्वायत्तता पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य को सुरक्षा व्यवस्था की बेहतर समझ है, और जब पंजाब पुलिस अंतरराष्ट्रीय सीमा की निगरानी कर सकती है, तो बांध की सुरक्षा में भी सक्षम है। उन्होंने कहा, “हम अपने संसाधनों की रक्षा करना जानते हैं। हम किसी को भी पंजाब का पानी चुराने नहीं देंगे।”
बीजेपी नेताओं से भी किया सवाल
मुख्यमंत्री मान ने पंजाब बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़ समेत पार्टी के नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि, “क्या यह फैसला केंद्र सरकार ने आपकी सहमति से लिया है? यदि हां, तो पंजाब की जनता को इस पर सफाई दीजिए।”
उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले राज्य के अधिकारों का हनन हैं और राजनीतिक संप्रभुता को कमजोर करने वाले हैं। उन्होंने भाजपा नेताओं को चेताया कि यदि वे पंजाब के हितों के साथ खड़े नहीं होते, तो जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी।