
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को उनके खिलाफ चल रहे मानहानि मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से आंशिक राहत मिली है। हाईकोर्ट ने मानसा मजिस्ट्रेट कोर्ट के 2 अगस्त 2025 के आदेश पर अंतरिम रोक नहीं लगाई है, लेकिन सीएम मान को व्यक्तिगत पेशी से छूट के लिए आवेदन दायर करने की अनुमति जरूर दे दी है। साथ ही कोर्ट ने पंजाब सरकार और पूर्व विधायक नाजर सिंह मानशाहिया को नोटिस जारी कर 18 अगस्त तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
क्या है मामला?
यह मामला 2019 की राजनीतिक बयानबाजी से जुड़ा है। 25 अप्रैल 2019 को आप (आम आदमी पार्टी) के तत्कालीन विधायक नाजर सिंह मानशाहिया ने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया था। इसके तुरंत बाद उस समय संगरूर से सांसद रहे भगवंत मान ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया था कि मानशाहिया ने “पैसों और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का चेयरमैन बनने के लालच में” पार्टी बदली है। इस बयान को लेकर नाजर सिंह मानशाहिया ने भगवंत मान के खिलाफ मानसा कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। यह मामला तब से निचली अदालत में ट्रायल के दौर में है।
जमानत और पेशी से छूट का इतिहास
मानहानि केस में सीएम भगवंत मान पहले ही जमानत पर हैं। उन्होंने निचली अदालत से व्यक्तिगत पेशी से स्थायी छूट भी ले रखी थी। इस छूट के तहत वे ट्रायल की हर तारीख पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हो रहे थे।
हालांकि, मानसा मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 2 अगस्त 2025 को एक सख्त आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया था कि अब कोई और छूट याचिका स्वीकार नहीं की जाएगी, और यदि भगवंत मान 18 अगस्त को पेश नहीं हुए, तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी।
हाईकोर्ट पहुंचे सीएम, याचिका में क्या कहा गया?
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मानसा कोर्ट की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की। उनके वकील ने दलील दी कि यह मामला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है।मुख्यमंत्री होने के कारण उन्हें रोजमर्रा की पेशियों से छूट मिलनी चाहिए। ट्रायल कोर्ट ने बिना पर्याप्त कारण बताए पहले दी गई छूट को रद्द कर दिया। इससे ना सिर्फ मुख्यमंत्री की प्रशासनिक जिम्मेदारियों पर असर पड़ता है, बल्कि यह राज्य शासन व्यवस्था में भी बाधा है।
हाईकोर्ट का फैसला: आंशिक राहत
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए भगवंत मान को यह राहत दी कि वह मानसा कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी से छूट के लिए फिर से अर्जी दायर कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने निचली अदालत को आदेश दिया है कि वह उस अर्जी पर विचार करे और कानून के अनुसार निर्णय ले।
हालांकि, हाईकोर्ट ने अभी ट्रायल को स्थगित नहीं किया है, और ना ही मजिस्ट्रेट कोर्ट के 2 अगस्त के आदेश को रद्द किया है। इसका मतलब है कि यदि ट्रायल कोर्ट सीएम की नई अर्जी को स्वीकार नहीं करता, तो उन्हें 18 अगस्त को कोर्ट में पेश होना होगा, अन्यथा उनकी जमानत रद्द हो सकती है।
नाजर सिंह मानशाहिया की प्रतिक्रिया
पूर्व विधायक नाजर सिंह मानशाहिया ने मीडिया से बातचीत में कहा, “यह मामला मेरी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और राजनीतिक ईमानदारी से जुड़ा है। जब मैंने पार्टी बदली, तब सार्वजनिक रूप से मेरे ऊपर झूठे और अपमानजनक आरोप लगाए गए। मुझे अपनी छवि की रक्षा करनी है। मुख्यमंत्री होने का मतलब यह नहीं कि कोई भी कुछ भी कहे और कानून से ऊपर हो जाए।” उन्होंने यह भी कहा कि वे कोर्ट की कार्यवाही में पूरी तरह भरोसा रखते हैं और हाईकोर्ट के नोटिस का जवाब समय पर देंगे।