
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि उनकी सरकार राज्य के गरीब और वंचित वर्गों के कल्याण के लिए पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। अमृतसर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने पंजाब अनुसूचित जाति भूमि विकास एवं वित्त निगम (PSCFDC) के करीब 4,800 ऋणधारकों को राहत प्रदान करते हुए 67.84 करोड़ रुपये की ऋण माफी योजना की शुरुआत की। इस मौके पर उन्होंने ऋण माफी प्रमाण पत्र (Loan Waiver Certificates) लाभार्थियों को सौंपे और इस योजना को राज्य की सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया।
गरीबों के लिए सरकार की पहली प्राथमिकता: सीएम मान
अपने संबोधन में भगवंत मान ने कहा कि पिछली सरकारों ने हमेशा पूंजीपतियों और संपन्न वर्गों के हित में निर्णय लिए, जबकि राज्य का गरीब और वंचित वर्ग उनके एजेंडे में कभी नहीं रहा। उन्होंने कहा, “पंजाब के इतिहास में पहली बार यह राहत समाज के उस वर्ग को दी जा रही है जिसे हमेशा नजरअंदाज किया गया। हमने बड़े कारोबारियों का नहीं, बल्कि मेहनतकश और वंचित तबके का कर्ज माफ किया है। यही असली जनकल्याण है।” मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यह ऋण माफी किसी एक वर्ग या राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा नहीं, बल्कि संवैधानिक और सामाजिक न्याय के मूल्यों पर आधारित है।
क्या है ऋण माफी योजना?
मुख्यमंत्री मान ने बताया कि यह योजना उन लाभार्थियों के लिए है जिन्होंने 31 मार्च 2020 तक PSCFDC से ऋण लिया था। इसमें अनुसूचित जाति और दिव्यांगजन दोनों शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत मूलधन, ब्याज और दंडात्मक ब्याज सहित पूरी राशि को राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा और 30 अप्रैल 2025 तक की गणना के अनुसार इसे PSCFDC को लौटा दिया जाएगा। इसके साथ ही लाभार्थियों को ‘शून्य देयता प्रमाण पत्र’ (No Dues Certificate) भी प्रदान किए जाएंगे, जो यह दर्शाएगा कि उनका कोई भी ऋण बकाया नहीं है।
कैबिनेट से मिली मंजूरी
यह योजना पंजाब मंत्रिमंडल द्वारा 3 जून 2025 को मंजूरी दी गई थी। इसके तहत 4,000 से अधिक दलित परिवारों को लाभ मिलेगा। राज्य सरकार ने PSCFDC से लिए गए 67.84 करोड़ रुपये के ऋण को पूरी तरह माफ कर दिया है। यह कदम पंजाब सरकार के सामाजिक समावेशी विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाता है।
लाभार्थियों के लिए आशा की किरण
कार्यक्रम में उपस्थित कई लाभार्थियों ने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उनका ऋण कभी माफ होगा। कुछ ने बताया कि वे कई वर्षों से इस ऋण का बोझ ढो रहे थे, और इस माफी से अब वे फिर से आत्मनिर्भर बनने की राह पर लौट सकेंगे।
एक लाभार्थी, बलवंत सिंह ने कहा, “जब मैंने सुना कि सरकार हमारा कर्ज माफ कर रही है, तो यकीन नहीं हुआ। ये हमारे लिए जीवन बदलने वाला निर्णय है।”
राजनीतिक संदेश भी स्पष्ट
मुख्यमंत्री मान ने अपने भाषण में यह भी कहा कि उनकी सरकार केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं रहती, बल्कि जमीनी स्तर पर काम करती है। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने केवल अपने हित साधे, जबकि आम लोगों की समस्याओं की अनदेखी की।
उन्होंने कहा,
“हमारे लिए सत्ता कोई मंच नहीं, सेवा का अवसर है। हम राजनीति को सेवा का माध्यम मानते हैं, न कि स्वार्थ सिद्धि का। यही कारण है कि हमारी योजनाओं का सीधा लाभ आम जनता को मिल रहा है।”
समाज में समरसता की दिशा में बड़ा कदम
राज्य सरकार की यह योजना केवल आर्थिक राहत नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। अनुसूचित जाति और दिव्यांगजनों को दिए गए इस सम्मानजनक राहत से उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी और वे सामाजिक मुख्यधारा में और मजबूती से शामिल हो सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना एक मॉडल बन सकती है जिसे अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से भी अपील की कि वह इसी प्रकार की योजनाओं के लिए राज्यों को सहयोग दे, ताकि पूरे देश में समानता और समावेश की भावना को बल मिल सके।
विकास के साथ न्याय की नीति
मुख्यमंत्री मान ने कहा कि उनकी सरकार केवल बुनियादी ढांचे के विकास पर ही नहीं, बल्कि ‘विकास के साथ न्याय’ की नीति पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है।
इस मौके पर उन्होंने यह भी घोषणा की कि जल्द ही राज्य के अन्य सामाजिक समूहों के लिए भी इसी प्रकार की राहत योजनाएं लाई जाएंगी।