
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास में कैंचीधाम मेले की तैयारियों को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की। इस बैठक में उन्होंने मेले की व्यापकता और प्रतिवर्ष बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए तात्कालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाएं तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार केवल अस्थायी उपायों से काम नहीं चलेगा, बल्कि कैंचीधाम के भविष्य के दर्शन को ध्यान में रखते हुए एक मजबूत, स्थायी और समग्र व्यवस्थागत दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।
तीन स्तरीय योजना की रूपरेखा
बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि कैंचीधाम मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह उत्तराखंड की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। हर साल श्रद्धालुओं की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है, जिससे ट्रैफिक प्रबंधन, पार्किंग, सुरक्षा और सुविधा व्यवस्थाओं पर भारी दबाव पड़ रहा है।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि—
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तात्कालिक योजनाओं के तहत इस वर्ष के मेले के संचालन को व्यवस्थित किया जाए, ताकि आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
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मध्यकालिक उपायों में अगले दो-तीन वर्षों के भीतर बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ किया जाए, जैसे पार्किंग स्थल, पैदल मार्ग, पानी और शौचालय की बेहतर व्यवस्था।
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दीर्घकालिक योजनाओं के अंतर्गत एक स्थायी तीर्थस्थल प्रबंधन प्रणाली विकसित की जाए, जिससे हर वर्ष मेले के समय व्यवस्थाएं अपने आप सक्रिय हो जाएं और स्थानीय प्रशासन पर अतिरिक्त दबाव न पड़े।
युद्धस्तर पर सड़क कटिंग कार्य के निर्देश
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि सेनेटोरियम से भवाली पेट्रोल पंप से आगे तक के लगभग तीन किलोमीटर के मार्ग पर चल रहे कटिंग कार्य को तत्काल प्रभाव से युद्धस्तर पर पूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा कि इस मार्ग की स्थिति श्रद्धालुओं के सुगम आवागमन में बाधक बन सकती है, इसलिए इसमें कोई ढिलाई न बरती जाए।
सड़क चौड़ीकरण, अस्थायी बैरियर, मोबाइल पुलिस चौकियां, और CCTV निगरानी जैसे बिंदुओं को भी योजना में सम्मिलित किया जा रहा है।
श्रद्धालुओं की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि
बैठक में मौजूद जिलाधिकारी नैनीताल वंदना सिंह ने जानकारी दी कि कैंचीधाम मेले में श्रद्धालुओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है। पिछले वर्ष जहां कुल मिलाकर 24 लाख श्रद्धालुओं ने कैंचीधाम में दर्शन किए, वहीं इससे पहले के वर्षों में यह संख्या औसतन आठ लाख हुआ करती थी।
इस वर्ष 15 जून को लगने वाले मेले में ढाई से तीन लाख श्रद्धालुओं के एक ही दिन में आने की संभावना है। इस भीड़ को नियंत्रित करने और उनकी सुरक्षा एवं सुविधा सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन ने व्यवस्थित प्लानिंग की है।
संवेदनशीलता और धारण क्षमता का संकट
DM वंदना सिंह ने यह भी कहा कि कैंचीधाम की धारण क्षमता सीमित है। यह क्षेत्र भौगोलिक रूप से संकीर्ण और पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील है। ऐसे में अचानक लाखों की भीड़ का आगमन एक गंभीर चुनौती बन जाता है।
इसी संदर्भ में, ट्रैफिक डायवर्जन, श्रद्धालुओं के लिए अस्थायी विश्राम स्थल, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, और डिजिटल सूचना केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।
प्रमुख बिंदुओं पर उठाए गए कदम
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यातायात प्रबंधन: पुलिस व ट्रैफिक विभाग ने मिलकर रूट चार्ट तैयार किया है। भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक। दोपहिया व चारपहिया वाहनों के लिए अलग-अलग पार्किंग ज़ोन।
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पार्किंग व्यवस्था: तीन नए अस्थायी पार्किंग स्थल चिह्नित किए गए हैं। श्रद्धालुओं को पैदल दर्शन के लिए सुरक्षित व स्पष्ट मार्ग प्रदान किए जाएंगे।
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सुरक्षा प्रबंधन: पुलिस बल की संख्या बढ़ाई गई है। मेला क्षेत्र में 24×7 CCTV निगरानी। महिला सुरक्षा के लिए विशेष महिला पुलिस दल नियुक्त।
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स्वास्थ्य सेवाएं: मेडिकल कैंप, एम्बुलेंस और हेल्थ वॉलंटियर्स की तैनाती। गर्मी के प्रकोप को देखते हुए जलपान केंद्रों की व्यवस्था।
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सूचना और संवाद: सोशल मीडिया व रेडियो पर लाइव ट्रैफिक अपडेट। श्रद्धालुओं को SMS अलर्ट व गूगल मैप इंटीग्रेशन से मार्गदर्शन।
स्थानीय लोगों की भागीदारी और रोजगार सृजन
मुख्यमंत्री धामी ने यह भी कहा कि कैंचीधाम मेला स्थानीय लोगों के लिए रोजगार सृजन का अवसर है। फल, फूल, प्रसाद, वाहन सेवा और रहने-खाने की व्यवस्थाओं में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों और स्वयंसेवी संगठनों से अपील की कि वे मेला आयोजन में सक्रिय सहयोग करें और क्षेत्र की स्वच्छता, सुरक्षा व व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन का साथ दें।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का अवसर
मुख्यमंत्री ने कैंचीधाम मेले को धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से एक मॉडल आयोजन बनाने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि इस आयोजन से उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था, सांस्कृतिक पहचान और पर्यटन विकास को नई दिशा मिल सकती है। दीर्घकालिक योजनाओं में एक केन्द्रीय तीर्थ प्रबंधन प्राधिकरण के गठन का सुझाव भी सामने आया है, जो कैंचीधाम जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों की देखरेख, योजना और संचालन के लिए उत्तरदायी हो।