
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कई अहम और ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन फैसलों को भारत की “जीरो टॉलरेंस” नीति की पुष्टि बताते हुए कहा कि अब आतंकवाद के प्रति सहनशीलता का कोई स्थान नहीं है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में लिए गए ऐतिहासिक निर्णयों पर अमल शुरू हो चुका है, और इस दिशा में सबसे बड़ा कदम भारत सरकार द्वारा सिंधु जल संधि पर रोक लगाना है — जो दशकों पुरानी द्विपक्षीय व्यवस्था थी।
पाकिस्तान को मिला सख्त संदेश
पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “पहलगाम में जो हुआ वह अत्यंत निंदनीय और अमानवीय था। इसने पूरे देश को झकझोर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लिए गए फैसले दिखाते हैं कि भारत अब सिर्फ निंदा नहीं करता, बल्कि ठोस कार्रवाई में विश्वास रखता है।”
उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि को रोकने का निर्णय न केवल एक कूटनीतिक कदम है, बल्कि यह उस देश को सख्त संदेश भी है जो आतंकवाद को संरक्षण देता है। “अब खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते,” यह वाक्य इस समय पूरे देश की भावना को व्यक्त कर रहा है।
क्या है सिंधु जल संधि और क्यों है यह फैसला ऐतिहासिक?
सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी। इसके तहत सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के जल पर पाकिस्तान का अधिकार माना गया था, जबकि भारत को रावी, ब्यास और सतलज का नियंत्रण दिया गया था।
इस संधि को अब तक भारत ने तमाम युद्धों और तनावों के बावजूद भी निभाया, लेकिन हालिया आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने इस संधि पर रोक लगाकर यह स्पष्ट कर दिया है कि अब ‘धैर्य की सीमा समाप्त हो चुकी है।’
इस फैसले के तहत भारत अब पश्चिमी नदियों के जल प्रवाह को आंशिक या पूर्ण रूप से रोक सकता है, जिससे पाकिस्तान की जल आपूर्ति पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है। इससे पाकिस्तान को आर्थिक और सामाजिक तौर पर बड़ा झटका लग सकता है, खासकर उसके कृषि क्षेत्र को।
अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट बंद करने का भी फैसला
भारत सरकार ने इसी के साथ एक और बड़ा कदम उठाया — पंजाब स्थित अटारी-वाघा बॉर्डर पर चेक पोस्ट को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। यह बॉर्डर क्रॉसिंग न केवल पर्यटकों के लिए बल्कि व्यापार के लिहाज से भी महत्वपूर्ण था।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह कदम पाकिस्तान से होने वाली गतिविधियों की पुनर्समीक्षा तक जारी रहेगा। इससे द्विपक्षीय व्यापार और सीमा पार यात्राओं पर प्रभाव पड़ेगा, लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया है कि “राष्ट्रीय सुरक्षा के आगे किसी तरह की सुविधा या संबंध को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी।”
पहलूवाला हमला: क्यों हो रही है इतनी सख्त प्रतिक्रिया?
22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन क्षेत्र में हुए आतंकी हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली पर्यटक की जान चली गई थी। यह हमला उस समय हुआ जब पर्यटकों से भरा इलाका सामान्य दिनों की तरह सक्रिय था।
हमले की शैली और इसकी टाइमिंग ने स्पष्ट कर दिया कि यह एक सुनियोजित आतंकी हमला था, जिसे सीमा पार से निर्देशित किया गया था। इसकी जिम्मेदारी भले ही किसी संगठन ने आधिकारिक तौर पर न ली हो, लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार इसके पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों का हाथ है।
भारत की नीति में बदलाव: अब कार्रवाई, न कि प्रतीक्षा
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत अब आतंकवाद के खिलाफ सिर्फ ‘डिप्लोमैटिक प्रोटेस्ट’ तक सीमित नहीं रहेगा। उन्होंने कहा, “अब दुश्मनों को यह स्पष्ट समझ लेना चाहिए कि भारत हर आतंकी हमले का जवाब उसी तीव्रता से देगा। ये सिर्फ कदम नहीं, संदेश हैं कि भारत अब कमजोर नहीं है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की नीति में बड़ा बदलाव आया है — अब प्राथमिकता रोकथाम और प्रतिशोध है, न कि सिर्फ प्रतिक्रिया।