
राजधानी देहरादून में लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं और ट्रैफिक जाम की गंभीर समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। इसी क्रम में हाल ही में जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में उठाए गए एक अहम मुद्दे — शराब की दुकानों के स्थानांतरण — को लेकर हुई लापरवाही और गलत तथ्यों की प्रस्तुति अब भारी पड़ गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त निर्देश पर आबकारी विभाग के अधिकारी केपी सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
यह कदम राज्य सरकार द्वारा प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा है, जिसे मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में पूरी दृढ़ता के साथ लागू किया जा रहा है।
सड़क हादसे और जाम: मूल मुद्दा
देहरादून, जो उत्तराखंड की राजधानी होने के साथ-साथ एक प्रमुख पर्यटन और शैक्षणिक केंद्र भी है, पिछले कुछ वर्षों से सड़कों पर बढ़ते दबाव का सामना कर रहा है। लगातार हो रहे सड़क हादसे, यातायात अवरोध और बढ़ता अराजकता का माहौल जन-जीवन को प्रभावित कर रहा है। जिला सड़क सुरक्षा समिति की हालिया बैठक में यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया था कि शहर के कुछ हिस्सों में अव्यवस्थित तरीके से खुली शराब की दुकानें यातायात में रुकावट पैदा कर रही हैं और दुर्घटनाओं की एक बड़ी वजह बन रही हैं।
बैठक में निर्णय लिया गया कि ऐसी दुकानों को शहर के भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों से हटाकर अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा। लेकिन जब इस पर अमल की बारी आई तो संबंधित अधिकारी केपी सिंह द्वारा न केवल लापरवाही बरती गई बल्कि गलत और भ्रामक तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिससे कार्रवाई में देरी हुई और समस्या ज्यों की त्यों बनी रही।
मुख्यमंत्री धामी ने दिखाई सख्ती
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, जिन्हें प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए जाना जाता है, ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “लापरवाही और जनता को गुमराह करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल निर्णय लेना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि उन निर्णयों का प्रभाव धरातल पर दिखाई दे। उन्होंने संबंधित अधिकारी केपी सिंह की भूमिका की समीक्षा के बाद तुरंत उन्हें निलंबित करने के आदेश दिए।
भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी का बयान
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने मुख्यमंत्री धामी की कार्रवाई की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह कार्रवाई भ्रष्टाचार और लापरवाही के खिलाफ राज्य सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का स्पष्ट प्रमाण है।”
चौहान ने आगे बताया कि धामी सरकार में अब तक 200 से अधिक अधिकारियों पर भ्रष्टाचार या प्रशासनिक लापरवाही के चलते कार्रवाई की जा चुकी है, जो दर्शाता है कि यह सरकार कड़े फैसले लेने से पीछे नहीं हटती। “बड़े हों या छोटे, सभी अधिकारी अब उत्तरदायित्व से मुक्त नहीं हैं।” उन्होंने कहा।
जवाबदेही और पारदर्शिता की नीति
उत्तराखंड में धामी सरकार ने शुरू से ही पारदर्शिता और जवाबदेही को शासन की प्राथमिकताओं में रखा है। हाल के वर्षों में देखा गया है कि कई वरिष्ठ अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार या कार्य में लापरवाही को लेकर कार्रवाई की गई है। यह संदेश सरकार की ओर से साफ है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे उसका पद कुछ भी हो, कानून से ऊपर नहीं है। पिछले दो वर्षों में राज्य में करीब 215 अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की गई, जिनमें से कई को सस्पेंड किया गया, जबकि कुछ के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा समय-समय पर इन मामलों की समीक्षा भी की जाती है।