
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को देहरादून के गढ़ी कैंट क्षेत्र में आयोजित “विकसित उत्तराखंड @ 2047” सामूहिक संवाद कार्यक्रम में पूर्व सैनिकों के साथ विचार-विमर्श करते हुए राज्य और राष्ट्र के समक्ष मौजूद सामाजिक व संरचनात्मक चुनौतियों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि जबरन धर्मांतरण और जनसांख्यिकीय बदलाव (डेमोग्राफिक चेंज) जैसी समस्याएं केवल कानून से नहीं, बल्कि जनसहयोग और जनजागरूकता से ही प्रभावी रूप से नियंत्रित की जा सकती हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने इन समस्याओं से निपटने के लिए कई साहसिक और ठोस कदम उठाए हैं, जिनमें सख्त दंगा विरोधी कानून, भूमि अतिक्रमण के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई, और समान नागरिक संहिता (UCC) जैसे निर्णय शामिल हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन सभी प्रयासों की सफलता जनभागीदारी और सतत जागरूकता पर निर्भर करती है।
पूर्व सैनिकों को बताया राष्ट्र और पर्यावरण के प्रहरी
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित भूतपूर्व सैनिकों का स्वागत करते हुए उन्हें न केवल राष्ट्र के प्रहरी, बल्कि पर्यावरण रक्षकों के रूप में भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जैसे आपने सीमा पर तिरंगे की शान के लिए सेवा की, वैसे ही अब पर्यावरण की रक्षा में भी आपकी भूमिका अहम है।
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि वन विभाग को प्रत्येक डिवीजन में 1000 पेड़ लगाने के निर्देश दिए गए हैं। इस दिशा में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए अभियान “एक पेड़ माँ के नाम” का विशेष रूप से उल्लेख किया और पूर्व सैनिकों से इसमें भागीदारी करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “आपने मातृभूमि की रक्षा की है, अब मातृप्रकृति के संरक्षक बनें। पेड़ लगाना केवल पर्यावरण की रक्षा नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवनदायिनी विरासत तैयार करना है।”
पर्यटन और रोजगार में राज्य ने की प्रगति
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि सरकार के प्रयासों से उत्तराखंड में पर्यटन क्षेत्र ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। केवल दो महीनों में राज्य में 38 लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे हैं, जिससे पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को बल मिला है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के सहयोग से अब आदि कैलाश यात्रा और शीतकालीन पर्यटन को नई गति मिली है। मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि राज्य की बेरोजगारी दर घटकर 4.2% से भी नीचे पहुंच गई है, जो कि राष्ट्रीय औसत से कम है। उन्होंने इसे सरकार की रोजगार सृजन और कौशल विकास योजनाओं की सफलता करार दिया। इसके अलावा उन्होंने बताया कि मानसरोवर यात्रा का समय भी 7 दिन कम हो गया है, जिससे तीर्थयात्रियों को सुविधा और समय की बचत हो रही है।
सैनिकों के सम्मान में भावुक अपील
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा, “आपने कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से अरुणाचल तक देश की सीमाओं की रक्षा की है। आपकी वीरता, साहस और सेवा अतुलनीय है।” उन्होंने कहा कि खुद एक सैनिक परिवार से होने के कारण वह पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों की समस्याओं को गहराई से समझते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पूर्व सैनिकों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और उनकी सुविधाओं और कल्याण योजनाओं को बेहतर करने के लिए लगातार प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री ने विकसित उत्तराखंड 2047 के विज़न को साझा करते हुए कहा कि यह लक्ष्य तभी संभव होगा जब हम जनसमस्याओं को संवेदनशीलता, पारदर्शिता और जनसहयोग से हल करें। उन्होंने पूर्व सैनिकों से आग्रह किया कि वे इस यात्रा में सहभागी बनें और समाज को दिशा देने में अपनी भूमिका निभाएं।
संवाद में दिए गए सुझावों पर होगी कार्यवाही
कार्यक्रम के दौरान पूर्व सैनिकों ने राज्य की नीतियों, सुरक्षा, रोजगार, और पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कई महत्वपूर्ण सुझाव मुख्यमंत्री को दिए। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि सभी सुझावों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और जो सुझाव नीतिगत निर्णयों में उपयोगी होंगे, उन्हें तुरंत लागू किया जाएगा।
वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और गणमान्य भी रहे उपस्थित
इस महत्वपूर्ण संवाद कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, लेज (सेनि) एके सिंह, मेजर (सेनि) केएस राणा, कर्नल बीरेंद्र सिंह राणा, और ब्रिगेडियर नितेश बिष्ट समेत बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक, सैन्य परिवारों के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। सभी ने मुख्यमंत्री के साथ अपने विचार साझा किए और प्रदेश के भविष्य निर्माण में भूमिका निभाने की प्रतिबद्धता दोहराई।