मणिपुर में पिछले साल मई से चल रही जातीय हिंसा के बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने राज्य की जनता से माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि 2023 राज्य के लिए एक बेहद कठिन और दुखद वर्ष रहा है, जिसमें कई निर्दोष लोगों की जान गई और हजारों लोग अपनी ज़मीन और घरों से बेघर हो गए। मुख्यमंत्री ने इस कठिन समय के लिए माफी मांगते हुए कहा, “मैं राज्य के लोगों से माफी चाहता हूं, खासकर उन लोगों से जिन्होंने इस हिंसा के दौरान अपने प्रियजनों को खो दिया।”
मुख्यमंत्री ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “यह पूरी स्थिति दुखद है, लेकिन पिछले तीन-चार महीनों से शांति की स्थिति देख कर मुझे उम्मीद है कि हम 2025 तक मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल कर सकेंगे।”
मणिपुर में जातीय हिंसा की जड़ें
मणिपुर में जातीय हिंसा की शुरुआत 3 मई 2023 को हुई थी, जब मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ आदिवासी छात्रों संघ (ATSUM) ने एक विशाल रैली आयोजित की थी। यह रैली मुख्य रूप से मणिपुरी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) सूची में शामिल करने की मांग को लेकर थी। इस रैली के बाद मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा का दौर शुरू हो गया था, जिसने राज्य में व्यापक तबाही मचाई।
इसके परिणामस्वरूप राज्यभर में जातीय संघर्ष तेज हो गया, जिसमें अब तक 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, और हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। मणिपुर में इस हिंसा के कारण हजारों लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हुए हैं और कई गांवों में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं घटित हुई हैं।
मणिपुर में चल रही इस हिंसा के कारण राज्य सरकार और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर भी भारी दबाव पड़ा है। हिंसा और अस्थिरता के कारण सरकार की नीतियों और कार्यों पर सवाल उठाए जा रहे हैं, और राजनीतिक विरोधी लगातार उनकी आलोचना कर रहे हैं।
एनपीपी ने सरकार से समर्थन वापस लिया
इस संकट के बीच, मणिपुर की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के सहयोगी दल, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने नवंबर 2023 में मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। एनपीपी ने मणिपुर में जारी हिंसा और असुरक्षा की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी। एनपीपी का कहना था कि राज्य में स्थिति नियंत्रण से बाहर है और मुख्यमंत्री को अपने पद से हटाया जाए।
एनपीपी के इस कदम के बाद मणिपुर में राजनीतिक संकट और गहरा गया है। राज्य के अन्य विपक्षी दलों ने भी मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। इसके अलावा, हिंसा में बढ़ोतरी और शासन-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए भाजपा के भीतर भी कुछ वरिष्ठ नेताओं ने मुख्यमंत्री के नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं।
जिरीबाम हत्याकांड के बाद हिंसा का नया दौर
मणिपुर में हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही थीं। नवंबर 2023 में मणिपुर के जिरीबाम जिले में तीन महिलाओं और उनके तीन बच्चों की हत्या के बाद स्थिति और भी बिगड़ गई थी। इस घटना ने राज्यभर में आक्रोश की लहर दौड़ा दी थी और लोगों में गुस्सा फैल गया था। इसके बाद से हिंसा और नफ़रत का माहौल और अधिक गहरा गया।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस हत्याकांड की कड़ी निंदा की थी और जांच के आदेश दिए थे, लेकिन यह घटनाएं राज्य सरकार की असमर्थता और प्रशासनिक विफलता को उजागर करती हैं। यही कारण है कि राज्य में एनपीपी सहित अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है।
शांति की उम्मीदें और नई शुरुआत की संभावना
सीएम एन बीरेन सिंह ने अपनी माफी में उम्मीद जताई है कि राज्य में स्थिति जल्द सुधरेगी और 2025 तक मणिपुर में शांति स्थापित हो जाएगी। उन्होंने कहा, “पिछले तीन-चार महीनों में जो शांति की स्थिति देखने को मिली है, उससे मुझे उम्मीद है कि हम अगले साल तक मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल कर पाएंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने हिंसा के शिकार हुए लोगों के पुनर्वास और मुआवजा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, और प्रशासन का प्रयास है कि राज्य में शांति और स्थिरता लाई जाए। हालांकि, कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि सरकार को और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हिंसा के मुद्दे को पूरी तरह से सुलझाया जा सके।
केंद्रीय बलों की तैनाती और सरकार की स्थिति
मणिपुर सरकार की कोशिशों के बावजूद हिंसा की स्थिति पर काबू पाने में सफलता हासिल करना एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। इस हिंसा को रोकने के लिए केंद्र सरकार को राज्य में अर्धसैनिक बलों की तैनाती करनी पड़ी है। केंद्रीय बलों की तैनाती के बाद कुछ इलाकों में स्थिति पर नियंत्रण पाया गया है, लेकिन राज्य के कुछ हिस्सों में असुरक्षा की स्थिति अभी भी बनी हुई है। राज्य सरकार और केंद्र के सहयोग से शांति बहाली की कोशिशें जारी हैं, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और विरोधी दलों का दबाव मुख्यमंत्री के लिए एक बड़ा संकट बन चुका है।