
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज हरिद्वार में भारतीय मजदूर संघ उत्तराखंड द्वारा आयोजित “स्वर्णिम 70 वर्ष” के समापन समारोह में शामिल हुए। इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने उत्तराखंड के श्रमिकों के हितों, औद्योगिक विकास, कांवड़ मेले की तैयारियों और राज्य में आपदा प्रबंधन के प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की।
धामी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “हम श्रमिकों और उद्योगों के बीच संतुलन और समन्वय को बनाए रखने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य है कि श्रमिकों को सर्वोत्तम सुविधाएं मिलें और राज्य का औद्योगिक विकास भी सुचारू रूप से आगे बढ़े।”
श्रमिकों के हितों की प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य सरकार श्रमिकों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि श्रमिक कल्याण से जुड़े मुद्दों को न सिर्फ सुना जाएगा बल्कि उन पर तेजी से कार्रवाई भी की जाएगी।
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार विभिन्न नीतियों के ज़रिए श्रमिकों के जीवनस्तर को सुधारने पर कार्य कर रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि आने वाले समय में ऐसी योजनाएं लाई जाएंगी जो श्रमिकों को न सिर्फ आर्थिक बल्कि सामाजिक सुरक्षा भी प्रदान करेंगी।
धामी ने आगे कहा, “हमारा निरंतर प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि हमारे सभी श्रमिकों को सर्वोत्तम संभव सुविधाएं मिलें। उद्योगों के विकास में श्रमिकों की भूमिका अनिवार्य है और हम इसे पूरी गंभीरता से समझते हैं।”
आध्यात्मिक संतों से भेंट और कांवड़ मेला
समारोह के उपरांत मुख्यमंत्री जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राज राजेश्वराश्रम महाराज से भी मिले और उनका आशीर्वाद लिया। यह मुलाकात आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि स्वामी राज राजेश्वराश्रम उत्तर भारत के प्रमुख संतों में गिने जाते हैं।
मुख्यमंत्री ने संत से प्रदेश की समृद्धि, शांति और उन्नति के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आगामी कांवड़ मेले को लेकर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि कांवड़ मेले की तैयारी पूर्ण हो चुकी है और जल्द ही वे उच्च-स्तरीय बैठक कर शेष तैयारियों की समीक्षा करेंगे।
उन्होंने कहा, “हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु कांवड़ यात्रा में भाग लेते हैं, हमारी ज़िम्मेदारी है कि उनकी सुरक्षा और सुविधा का पूरी तरह ध्यान रखा जाए।”
मानसून और आपदा प्रबंधन को लेकर गंभीर
मुख्यमंत्री ने मानसून को लेकर केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ हुई बैठक की जानकारी साझा करते हुए कहा कि उत्तराखंड एक आपदा संभावित राज्य है और हर साल कहीं न कहीं प्राकृतिक आपदाएं सामने आती हैं।
उन्होंने कहा, “हमारी कोशिश है कि आपदाओं के असर को न्यूनतम किया जा सके। इसके लिए हाल ही में एक बड़ा सेमिनार आयोजित किया गया था, जिसमें विशेषज्ञों और नीति-निर्माताओं ने हिस्सा लिया। इस सेमिनार से जो निष्कर्ष सामने आए हैं, उनसे न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरी दुनिया को लाभ मिलेगा।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हर वर्ष मानसून पूर्व तैयारियों की समीक्षा करती है और ज़रूरत के अनुसार संसाधनों का आवंटन करती है। उन्होंने कहा कि आपदाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जनभागीदारी जरूरी है और इसके लिए राज्य प्रशासन, स्वयंसेवी संस्थाएं और स्थानीय निकाय मिलकर काम कर रहे हैं।